Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »जाने! दिव्यांका त्रिपाठी के शहर भोपाल को...क्या है यहां खास

जाने! दिव्यांका त्रिपाठी के शहर भोपाल को...क्या है यहां खास

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को तालों के ताल के नाम से जाना जाता है। यह शहर सिर्फ तालों का शहर ही नहीं बल्कि खूबसूरत होने के साथ-साथ ऐतिहासिक भी।

By Goldi

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को तालों के ताल के नाम से जाना जाता है। यह शहर सिर्फ तालों का शहर ही नहीं बल्कि खूबसूरत होने के साथ-साथ ऐतिहासिक भी।

भोपाल को राजा भोज ने साल 1000 - 1055 के बीच बसाया था। राजा भोज, परमार वंश से ताल्लुक रखते थे। बाद में शहर की आधुनिक नींव दोस्तर मुहम्मथद खान ने अठारहवीं सदी के दौरान रखी। इसके बाद इस शहर पर नवाबों का शासन था और हमीदुल्लावह खान, भोपाल के अंतिम शासक थे। यह शहर औपचारिक रूप से अप्रैल 1949 में भारत संघ में विलय कर दिया गया था।

 भारत में रहकर इनके चक्कर में नहीं पड़े तो... भारत में रहकर इनके चक्कर में नहीं पड़े तो...

भोपाल, भारत के पंसदीदा पर्यटन स्‍थलों में से एक है और हर साल हजारों और लाखों की तादाद में पर्यटक यहां सैर करने आते है। शहर का दिलचस्‍प इतिहास और मार्डन आउटलुक का मिश्रण, पर्यटकों को यहां आने के लिए उत्‍सुक करता है। इसके अलावा, भोपाल एक आकर्षक स्‍थल है और इसका दौरा अवश्‍य करना चाहिए।

दिल्ली के बच्चे होंगे..और भी स्मार्ट..जाने कैसेदिल्ली के बच्चे होंगे..और भी स्मार्ट..जाने कैसे

शहर की भौगोलिक स्थिति इसे तेंदुए का घर बनाती है, जिन्‍हे वन विहार नामक प्राकृतिक वन्‍यजीव पार्क में पाला जाता है। इतिहास प्रेमी यहां के पुरातत्‍व संग्रहालय और भारत भवन की सैर कर सकते है जबकि धार्मिक लोग बिरला मंदिर, मोती मस्जिद और जामा मस्जिद में प्रार्थना कर सकते है।कला प्रेमियों के लिए भोपाल में काफी खास स्‍थल हैं जिनमें ऐतिहासिक स्‍थलों से लेकर संग्रहालय और मंदिर भी शामिल है, इन सभी की सर्वोच्‍च शिल्‍प कौशल देखने लायक है।

ना आपको समुद्री किनारा पसंद है ना पहाड़...तो ना आपको समुद्री किनारा पसंद है ना पहाड़...तो

अगर आप भी इन छुट्टियों भोपाल घूमने का प्लान बना रहें है तो भोपाल में इन खास जगहों को घूमना बिल्कुल ना भूले क्योंकि इसी क्रम में आज हम आपको भोपाल के बेहद खास पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहें है...जिन्हें घूमने के बाद आप बार बार भोपाल आना चाहेंगे। आइये एक नजर डालिए स्लाइड्स पर

भोज वेटलैंड

भोज वेटलैंड

यह भोजताल और भोज वेटलैण्ड, मालवा राजा पमारा राजा भोज द्वारा बनवाया गया था, जिसके नाम पर ही भोपाल शहर का शुरुआत में नाम भोजपाल रथा गया था। यहां साल भर पर्यटक इसके प्राकृतिक दृश्य का आनंद उठाने आते हैं और कई सारे रोमांचक खेलों और क्रियाओं का भी लुत्फ़ उठाते हैं। कायकिंग, कैनोयिंग, राफ्टिंग, वॉटर राफ्टिंग, स्कीइंग आदि जैसी क्रियाएँ यहाँ के बोट क्लब में नैशनल स्कूल सेलिंग द्वारा आयोजित की जाती हैं।PC:Nemaaditya

कैसे हैं यहां बोटिंग के चार्जेस...

कैसे हैं यहां बोटिंग के चार्जेस...

मोटर बोट्स -210 रुपए में तीन व्यक्तियों के लिए पांच मिनट की राइड।
पैडल बोट्स- 60 रुपए पर बोट, तीस मिनट।
जेट स्कीइंग- प्रति व्यक्ति 400 रुपए।
पैरा सेलिंग- प्रति व्यक्ति 500 रुपए।
क्रूज- प्रति व्यक्ति 250 से 300 रुपए के बीच।
कॉन्टैक्ट - 0755- 329504, 2900881
PC: Chintu rohit

लक्ष्मीनारायण मंदिर

लक्ष्मीनारायण मंदिर

बिरला मंदिर के नाम से विख्‍यात यह मंदिर अरेरा पहाडियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। इस मंदिर में यहां शिव, विष्‍णु और अन्‍य अवतारों की पत्‍थर की मूर्तियां देखी जा सकती हैं।मंदिर के निकट ही एक संग्रहालय बना हुआ है जिसमें मध्‍यप्रदेश के रायसेन, सेहोर, मंदसौर और सहदोल आदि जगहों से लाई गईं मूर्तियां रखी गईं हैं। मंदिर के निकट बना संग्रहालय सोमवार के अलावा प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।PC: Bernard Gagnon

मोती मस्जिद

मोती मस्जिद

मोटी मस्जिद की शैली दिल्‍ली में बनी जामा मस्जिद के समान है, लेकिन आकार में यह उससे छोटी है। मस्जिद की गहरे लाल रंग की दो मीनारें हैं, जो ऊपर नुकीली हैं और सोने के समान लगती हैं। इस मस्जिद को कदसिया बेगम की बेटी सिकंदर जहां बेगम ने 1860 ई. में बनवाया था।
PC:Vivek Sarje

ताज-उल-मस्जिद

ताज-उल-मस्जिद

भोपाल में भारत की विशाल मस्जिद भी पर्यटकों के बीच मुख्य आकर्षण है। इस मस्जिद का निर्माण शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी। 1971 में भारत सरकार के दखल के बाद यह मस्जिद पूरी तरह से बन तैयार हो सकी। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्‍हें मदरसे के तौर पर इस्‍तेमाल किया जाता है।
PC: wikimedia.org

शौकत महल

शौकत महल

शौकत महल शहर के बीचोंबीच चौक एरिया के प्रवेश द्वार पर स्थित है। यह महल इस्‍लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है। यह महल लोगों की पुरातात्विक जिज्ञासा को जीवंत कर देता है। महल के निकट ही
भव्‍य सदर मंजिल भी बनी हुई है। कहा जाता है कि भोपाल के शासक इस मंजिल का इस्‍तेमाल पब्लिक हॉल के रूप में करते थे।

गोहर महल

गोहर महल

गोहर महल झील के किनारे शौकत महल के पीछे बना हुआ है..इस महल का निर्माण 1820 ई. में कुदसिया बेगम ने करवाया था । यह महल कला का यह अनूठा उदाहरण है क्यों कि आप इस महल की वास्तुकला में हिन्‍दु और मुगल वास्‍तुशिल्‍प का बेहतरीन नमूना है।

पुरातात्विक संग्रहालय

पुरातात्विक संग्रहालय

बनगंगा रोड पर स्थित इस संग्रहालय में मध्‍यप्रदेश के विभिन्‍न हिस्‍सों से एकत्रित की हुई मूर्तियों को रखा गया है। विभिन्‍न स्‍कूलों से एकत्रित की गई पेंटिग्‍स, बाघ गुफाओं की चित्रकारियों की प्रतिलिपियां, अलक्ष्‍मी और बुद्ध की प्रतिमाएं इस संग्रहालय में सहेजकर रखी गई हैं।यह संग्रहालय सोमवर के अलावा प्रतिदिन सुबह 10 से शाम 5 बजे तक यह संग्रहालय खुला रहता है। यहां की दुकानों से पत्‍थरों की मूर्तियों खरीदी जा सकती हैं।
PC: Suyash Dwivedi

भारत भवन

भारत भवन

शामला पहाडियों पर स्थित इस भवन को प्रसिद्ध वास्‍तुकार चार्ल्‍स कोरेया ने डिजाइन किया था। भारत के विभिन्‍न पारंपरिक शास्‍त्रीय कलाओं के संरक्षण का यह प्रमुख केन्‍द्र है। इस भवन में एक म्‍युजियम ऑफ आर्ट, एक आर्ट गैलरी, ललित कलाओं की कार्यशाला, भारतीय काव्‍य की पुस्‍तकालय आदि शामिल हैं। इन्‍हें अनेक नामों जैसे रूपांकर, रंगमंडल, वगर्थ और अन्‍हद जैसे नामों से जाना जाता है। सोमवार के अतिरिक्‍त प्रतिदिन दिन में 2 बजे से रात 8 बजे तक यह भवन खुला रहता है।
1982 में स्‍थापित इस भवन में अनेक रचनात्‍मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है।यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्‍ट्रीय संस्‍थानों में एक है।
PC: Suyash Dwivedi

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय

यह अनोखा संग्रहालय शामला की पहाडियों पर 200 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस संग्रहालय में भारत के विभिन्‍न राज्‍यों की जनजातीय संस्‍कृति की झलक देखी जा सकती है। यह संग्रहालय जिस स्‍थान पर बना है,
उसे प्रागैतिहासिक काल से संबंधित माना जाता है।

भीमबेटका गुफाएं

भीमबेटका गुफाएं

महाभारत के एक पौराणिक चरित्र भीम के नाम पर आधारित भीमबेटका भारत की प्राचीन गुफाओं में से एक है। इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है। यह गुफाएं चारों तरफ से विन्‍ध्‍य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं,यहाँ 600 से भी अधिक गुफाएं हैं जिनमें विभिन्न चित्र हैं। इन चित्रों में प्राचीन व्यक्तियों की दैनिक गतिविधियों को दर्शाया गया है। मनुष्यों के चित्रों के अलावा कई गुफाओं में विभिन्न प्राणियों जैसे कि चीता, कुत्ता, छिपकली, हाथी, भैंस इत्यादि के रंगीन चित्र भी देखने को मिलते हैं।PC: wikimedia.org

भोजपुर

भोजपुर

यह प्राचीन शहर दक्षिण पूर्व भोपाल से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। यह शहर भगवान शिव को समर्पित भोजेश्‍वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है। मंदिर की सबसे खास विशेषता यहां के लिंगम का विशाल आकार है। लिंगम की ऊंचाई लगभग 2.3 मीटर की है और इसकी परिधि 5.3 मीटर है। यह मंदिर 11 वीं शताब्‍दी में राजा भोज ने बनवाया था। शिव रात्रि का पर्व यहां बडी धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर के निकट ही एक जैन मंदिर भी है जिसमें एक जैन तीर्थंकर की 6 मीटर ऊंची काले रंग की प्रतिमा स्‍थापित है।
PC: Darkknight7213

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X