हमारे लिए हमारा इतिहास बेहद महत्वपूर्ण है, इसी के जरिये हम जान पाते हैं, कि आखिर किस तरह हम आज खुली हवा में साँस ले रहे हैं। किन किन बाधायों से निपट कर आज यहां पहुंचे हैं। इसी क्रम में हमारे देश में कई ऐतिहासिक इमारते मौजूद हैं, जो हमे बताती है, कि साल दर साल ये इमारते कितनी बदलती चली गयी। इन्ही ऐतिहासिक इमारतों में से एक है निजामत इमामबाड़ा ,जो समय के साथ आज भी सुंदर वास्तुकला से परिपूर्ण खड़ा हुआ है।
पश्चिम बंगाल राज्य में मुर्शिदाबाद में स्थित, निजामात इमामबाड़ा भारत में सबसे बड़ा शिया मुस्लिम मण्डली हॉल है।जिसका निर्माण 19वीं सदी में नवाब मंसूर अली खान ने कराया था यह इमामबाड़ा ऐतिहासिक और धार्मिक नजरिये से बेहद महत्व रखता है।
कब आयें निजामत इमामबाड़ा
गर्मियों के दौरान मुर्शिदाबाद बेहद गर्म रहता है, हालंकि सर्दियों के दौरान इसकी यात्रा की जा सकती है। सर्दियों के दौरान यहां का मौसम बेहद सुहावना रहता है, और आप इस मौसम में इस जगह की खूबसूरती और वास्तुकला को अच्छे से निहार सकते हैं।Pc:Nupur Dasgupta
निजामत इमामबाड़े का इतिहास
निजामत इमामबाड़े को सबसे पहले नवाब सिराज-उद-दौला ने अपने हाथों से बनाया था। बताया जाता है कि, इसके निर्माण के वक्त 6 फीट गहरी खुदाई करके इसमें मक्का से लायी गयी मिट्टी को भरा गया था, ताकि इस इमामबाड़े में गरीब मुसलमान हज का अनुभव ले सकें।
यह पूरी तह लकड़ी से बना हुआ था, जोकि वर्ष 1842 में आग में जलकर राख हो गया। जिसके बाद इस इमामबाड़े का निर्माण नवाब मंसूर अली खान ने हजारद्वारी महल के सामने कराया।
Pc: William Prinsep
आखिर क्यों करनी चाहिए निजामत इमामबाड़े की सैर?
मक्का की मिट्टी
मक्का से लायी गयी मिट्टी में बना यह निजामत इमामबाड़ा मुसलमानों का पवित्र धार्मिक स्थल है। जिसके चलते इमामबाड़ा अत्यधिक प्रसिद्ध है, और इसे घूमने और देखने जार समुदाय के लोग पहुंचते हैं।Pc:Soumyabrata Roy
कैसे पहुंचे निजामत इमामबाड़ा
हवाईजहाज द्वारा- निजामत इमामबाड़ा का नजदीकी हवाई अड्डा कोलकाता हवाई अड्डा है, जोकि मुर्शिदाबाद से 220 किमी की दूरी पर स्थित हैं।
ट्रेन द्वारा- मुर्शिदाबाद का अपना रेलवे जंक्शन हैं, पर्यटक यहां के लिए सीधी ट्रेन पकड़ सकते हैं।
सड़क द्वारा- मुर्शिदाबाद सड़क द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
एक टूरिस्ट के अलावा विकिपीडिया भी रखता है इन इमारतों से लगाव करता है इश्क़