आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको एक ऐसे डेस्टिनेशन से अवगत कराने वाले हैं जिसे हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का गढ़ कहा जाता है। कहते हैं भारत में संगीत की शुरुआत इसी शहर से हुई। जी हां हम बात कर रहे हैं पंजाब के पटियाला की। पटियाला दक्षिण - पूर्व पंजाब में तीसरा सबसे बड़ा शहर है एवं समुद्र तल से 250 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
यहां व्यापक रूप से यहाँ बोली जाने वाली पंजाबी के साथ साथ, हिंदी और अंग्रेजी का भी शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग किया जाता है। दिवाली, होली, दशहरा, गुरूपर्व और बैसाखी शहर में मनाये जाने वाले मुख्य त्योहार हैं। एक त्योहार 'पटियाला विरासत महोत्सव' केवल यहीं मनाया जाता है, और इसलिए, यह पटियाला पर्यटन के लगभग सभी भ्रमण स्थलों का एक अभिन्न अंग है।
फरवरी के महीने में हर साल आयोजित होने वाला यहा त्योहार, आस पास के व दूर दूर से संगीत एवं कला प्रेमियों को आकर्षित करता है। बात अगर पटियाला तथा आस पास के घूमने लायक स्थानों की हो तो आज पटियाला में कई ऐसे स्थान हैं जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के चलते देश दुनिया के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं, के कारण इसकी लोकप्रियता बढ़ रही है।
यह किला मुबारक काम्पलेक्स, शीश महल, बारादरी गारडन्स, किला अन्दरून, रंग महल, मज्जी दि सराय, माल रोड एवं दरबार हाल जैसे कई किलों व उद्यानों का गढ़ है। यहां पटियाला के निकट कई दूसरे पर्यटन आकर्षण जैसे कि समाना, बनूर तथा सानौर भी माजूद हैं।
किला मुबारक परिसर
किला मुबारक परिसर, सिख पैलेस वास्तुकला का एक आदर्श उदाहरण, शहर के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है। पटियाला का पूरे शहर किला मुबारक परिसर के चारों ओर फैला हुआ है। 1764 में महाराजा आला सिंह द्वारा निर्मित, यह परिसर ओल्ड मोती बाग पैलेस के निर्माण से पहले तक, पटियाला राजपरिवार का निवास था।
परिसर मूल रूप से लगभग 10 एकड़ क्षेत्र में एक मिट्टी के किले या काची गृह के रूप में बनाया गया था तथा बाद में इसे एक पक्के किले के रूप में पुनर्निर्मित किया गया। परिसर को दो भागों में बांटा गया है- भीतरी हिस्सा, जिसे किला अंदरून कहते है, तथा बाहरी हिस्सा जिसे दरबार हॉल कहते हैं।
शीश महल
मोती बाग पैलेस के पीछे, 1847 में महाराजा नरेन्द्र सिंह द्वारा निर्मित शीशा महल, पटियाला के महाराजा का आवासीय महल था। इस भवन को इसके आकर्षक रंगीन कांच और कांच के काम की वजह से 'दर्पणों के महल' के रूप में जाना जाता है। महल के सामने की ओर एक झील है तथा झील के पार एक झूला,जिसे लक्ष्मण झूला के नाम से जाना जाता है, इस महल की खूबसूरती को और बढ़ा देते हैं।
महल में एक संग्रहालय है, जिसमें विश्व के विभिन्न भागों के पदकों का सबसे बड़ा संग्रह है। दीवारों और छत के ऊपर बनी सुंदर और विस्तृत कलाकृति, राजस्थान और कांगड़ा के कलाकारों की कड़ी मेहनत को दर्शाते है। हर साल, कई सांस्कृतिक कार्यक्रम और विरासतीय त्योहार शीश महल में आयोजित होते हैं।
बारादरी गार्डन
बरादरी गार्डन पुराने पटियाला शहर के उत्तर में स्थित हैं। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें प्रवेश के लिए बारह द्वार हैं। उद्यान का निर्माण बारादरी पैलेस के निकट किया गया था, जो शुरू में सम्राट राजिंदर सिंह का निवास था। उन्होंने इस उद्यान में दुर्लभ किस्म के पेड़ और फूल लगाए थे।
वर्तमान में, बरादरी पैलेस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक दस्तावेजों का एक संग्रह होने का दम भरता है। राजिंदर सिंह की संगमरमर की प्रतिमा वाले इन बागानों को सभी आयु वर्ग के लोग पसन्द करते हैं।
कैसे जाएं पटियाला
फ्लाइट द्वारा : पटियाला के सबसे नजदीक लगभग 60 किमी दूर स्थित चंडीगढ़ हवाई अड्डा है। इस हवाई अड्डे से शहर तक पहुंचने के लिए कैब आसानी से उपलब्ध रहती हैं। यह स्थान दिल्ली, चेन्नई, मुंबई और बैंगलोर समेत देश के सभी बड़े शहरों से नियमित उड़ानों द्वारा जुड़ा है।
रेल द्वारा : शहर में एक रेलवे स्टेशन है जो राज्य के साथ ही देश के भीतर कई स्थलों से जुड़ा है। पर्यटक मुंबई, चंडीगढ़ और दिल्ली से गाड़ियां पकड़ सकते हैं, क्योंकि इन शहरों यहां के लिए नियमित रूप से गाड़ियां उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : भारत के अन्य राज्यों से बस द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग 1 के माध्यम से पटियाला पहुंचना काफी सुविधाजनक है। यह दिल्ली से लगभग 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा नियमित रूप से राजकीय और निजी बसों से जुड़ा हुआ है। यह पंजाब के प्रमुख शहरों जैसे चंडीगढ़ और अमृतसर से भी बसों द्वारा जुड़ा हुआ है।