ऐतिहासिक और प्राकृतिक सौंदर्यता से भरा जलपाईगुड़ी भारत के पश्चिम बंगाल राज्य का एक जिला है। यह राज्य के उत्तर में स्थित है और उत्तर बंगाल का दूसरा सबसे बड़ा शहर भी है। यह शहर महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि यह देश के बाकी राज्यों को पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने का काम करता है। भौगोलिक दृष्टि से यह पश्चिम बंगाल का एक शानदार स्थल है जहां प्रकृति ने अपना खजाना दिल खोल कर लुटाया है।
यह स्थल प्रकृति प्रेमी से लेकर एडवेंचर के शौकीन सभी को यहां आने का आमंत्रण प्रदान करता है। इसलिए, जलपाईगुड़ी प्रकृति से प्यार करने वाले ट्रैवलर्स के लिए एक स्वर्गीय निवास है। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से यह शहर आपके लिए कितना खास है। जानिए यहां के चुनिंदा सबसे शानदार गंतव्यों के विषय में।
गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान
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गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान जलपाईगुड़ी के डूअर्स क्षेत्र में स्थित है। हिमालयी तलहटी में बसा यह राष्ट्रीय उद्यान वनस्पतियों और जीवों के साथ एक समृद्ध वन्य क्षेत्र है। यह लातगुड़ी से 15 किमी, चल्सा से 10 किमी और जलपाईगुड़ी शहर से 52 किमी दूर पर स्थित है।
जंगली जीवों में आप यहां हाथी, तेंदुआ, हॉर्नबिल्स, जंगली सूअर, राइनों आदि को देख सकते हैं। इसके अलावा आप यहां 193 पक्षियों की प्रजातियां, कछुए की 7 प्रजाती, सरीसृप की 22 और मछली की 22 प्रजातियों को देख सकते हैं।
जलदापारा वन्यजीव अभयारण्य
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गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान के अलावा आप यहां जलदापारा वन्यजीव अभयारण्य की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह अभयारण्य पूर्वी हिमालय की तलहटी पर टोरसा नदी के किनारे बसा है। जिसमें वेट-फॉरेस्ट, रिवर-फॉरेस्ट और ड्राई मिक्स फॉरेस्टे से घिरे घास के मैदानों का विशाल विस्तार शामिल है। पश्चिम बंगाल के इस अभयारण्य में एक-सींग वाले गैंडे की आबादी ज्यादा है।
इसके अलावा आप यहां जंगली जीवों में रॉयल बंगाल टाइगर, तेंदुआ, हॉग हिरण, भौंकने वाली हिरण, सांभर और चीता आदि शामिल हैं। सर्दियों के दौरान यहां विभिन्न प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। अभयारण्य की सैर के लिए यहां जीप-हाथी सफारी की भी सुविधा उपलब्ध है।
जलपाईगुड़ी राजबारी
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जलपाईगुड़ी राजबारी यहां आने वाले सभी पर्यटकों के लिए सबसे लोकप्रिय स्थलों मे गिना जाता है। राजबारी का मतलब होता है महल, जो कभी रायकाट के स्थानीय शासक बायकुनथपुर एस्टेट का पूर्व निवास था। यह महल अपने ऐतिहासिक महत्व के साथ-साथ अपनी आकर्षक वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है।
राजबारी में महल भवन, पोर्टिको, दो मंदिर और महल तालाब 'राजबारी दीघी' से घिरा विशाल महल उद्यान शामिल है। राजबारी पर्यटकों के लिए 9 बजे से शाम 4 बजे तक खुला रहता है।
जलपेश
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उपरोक्त स्थानों के अलावा आप जलपेश मंदिर के दर्शन का प्लान बना सकते हैं। जलपाईगुड़ी शहर से लगभग 25 किमी दूर और मिंगुरी से 8 किमी दूर स्थित स्थित यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। माना जाता है कि जलपाईगुड़ी शब्द की उत्पत्ति जलपेश शब्द से हुई है। इतिहास के अधूरे पन्नों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना बगदाद के अंतिम शासक राजा जलपेश ने 800ईसा पूर्व में की थी ।
लेकिन बाद में कई राजाओं ने इस मंदिर पर हमला किया और नष्ट कर दिया जबकि कुछ राजाओं ने इसे पुन स्थापित करने की कोशिश की भी। 1665 में कोच राजवंश के राजा प्रणनारायण ने मंदिर की पुन: स्थापना की। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण मंदिर भूकंप के कारण नष्ट हो गया। बाद में इस मंदिर की फिर से स्थापना की गई।
कैसे करें प्रवेश
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जलपाईगुड़ी पश्चिम बंगाल का एक प्रसिद्ध शहर है,जहां आप तीनों मार्गों से आसानी से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा बागडोगरा एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन का सहारा ला सकते हैं। अगर आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी आ सकते हैं, बेहतर सड़क मार्गों के द्वारा जलपाईगुड़ी राज्य के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।