गंगोत्री गंगा की उत्पत्ति के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि गंगा नदी का जन्म इसी स्थान पर हुआ था। यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य के लिए तो पर्यटकों के बीच खासा प्रसिद्ध है ही साथ ही इसका आस्था से भी बड़ा गहरा संबंध है। यह गंगा मय्या का पवित्र स्थान है जो कि तीर्थ स्थल के रूप में पूजनीय भी है।
यहाँ हर साल श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है जो माँ गंगा के दर्शन करने हेतु यहाँ आते हैं। गंगोत्री हिमालय की गोद में बसा एक बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। जहाँ आप गंगा मय्या के दर्शन करने के साथ ही ट्रेकिंग का पूरा मज़ा भी ले सकते हैं। यहाँ की संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाज़, आस्था और गंगा मय्या से आपका प्यार आपको यहीं रह जाने को मजबूर करेगा।
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गंगोत्री मंदिर
गंगोत्री मंदिर अपनी पुरातत्व मान्यताओं और श्रद्धालुओं की श्रद्धा के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ का पवित्र वातावरण यहीं रह जाने को मजबूर करता है।
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हरसिल
हरसिल अपनी सुंदरता के लिए पर्यटकों के बीच खासा लोकप्रिय है। यहाँ सेबों के बाग बेहद लुभावने लगते हैं। हरसिल का प्राकृतिक सौंदर्य देख ऐसा लगता है कि कुदरत ने इसे बड़ी फुरसत से बनाया हो।
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गोमुख
गोमुख काफी ऊंचाई पर स्थित है अगर आप इसकी चढ़ाई को आसानी से चढ़ सकते हैं तो यहाँ अवश्य जाएँ क्यूंकि ऐसा माना जाता है कि गंगा की उत्पत्ति इसी जगह से हुई थी। कहा जाता है कि यहाँ के बर्फीले पानी में जो एक बार स्नान कर लेता है वह अपने सारे पाप से मुक्त हो जाता है।
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भैरों घाटी
भैरों घाटी प्राकृतिक का सौंदर्य अपने में समेटे हुए पर्यटकों को सम्मोहित कर देता है। यहाँ से मातृ, सुदर्शन, चीड़वास और भृगु पर्वत के दर्शन कर सकते हैं। यहाँ का दृश्य पर्यटकों को अपनी और लुभाता है। जध जाह्नवी गंगा और भागीरथी जब भैरों घाटी से होकर गुज़रती है तो इसके पानी का शोर कानों में मिश्री सा घोल देता है।
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मुखबा गांव
अगर आप गंगोत्री की यात्रा करना चाहते हैं तो मुखबा गांव अवश्य आएं। जब सर्दियों में गंगोत्री मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं तब हर साल यहाँ दीवाली में बड़े जुलूस और बाजो के साथ देवी गंगा को इस गाँव में लाया जाता है और बसंत का मौसम आने तक देवी माँ की पूजा यहीं की जाती है।
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केदार ताल
इस ताल की ऊंचाई अधिकतम है जहाँ चढ़ना किसी जोखिम से कम नहीं इसलिए अधिकतर पर्यटक यहाँ जून से अक्टूबर के महीने में ही आते हैं। इस झील के बारे में माना जाता है कि ग्लेशियर के पिघलते बर्फ से यह झील बनी है जो बेहद लुभावनी है यहाँ पर्यटक घंटों तक बैठकर सुकून से इस झील को निहारते हैं।
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नंदन वन-तपोवन
नंदन वन-तपोवन गंगोत्री के दर्शनीय स्थलों में से एक है। यहाँ से आप शिवलिंग चोटी को देख सकते हो जो बेहद आकर्षक लगता है। नंदन वन-तपोवन अपनी सुन्दर चारगाह के लिए मशहूर है।
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दयार बुग्याल
नर्म और मुलायम घास का मैदान है 'दयार बुग्याल' जिस पर नंगे पाँव चलने का अपना अलग ही मज़ा है मानो की इस पर चलने से सारी थकान एक पल में ख़त्म हो जाती हो।
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डोडी ताल
घने जंगलों के बीच स्थित यह ताल डोडी ताल के नाम से जानी जाती है। यहाँ का स्वच्छ वातावरण पर्यटकों को दूर से ही आकर्षित करता है।
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सात ताल
सात ताल सात झीलें हैं इसी वजह से इसको सात ताल नाम दिया गया है। यह स्थल अपनी मनोरम झीलों से पर्यटकों को दूर से ही लुभाता है। पर्यटक इन झीलों की खूबसूरती देख खुद ही खींचे चले आते हैं।
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गंगोत्री चिरबासा
गंगोत्री चिरबासा से से आप विशाल ग्लेशियरों के आश्चर्यजनक सौंदर्य को निहार सकते हो जो बेहद खूबसूरत लगता है। यह स्थान ऊंचाई पर स्थित होने की वजह से पर्यटकों के दर्शनीय स्थलों में से एक है।
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गंगोत्री-भोजबासा
गंगोत्री-भोजबासा के नाम से ही लगता है की भोजन से सम्बंधित होगा। आपको बतादें की इस स्थान पर लंगर (भोजन) कराया जाता है। जब गौमुख जाते हैं तब इस स्थान का उपयोग एक पड़ाव की तरह किया जाता है।
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गंगोत्री कैसे जाएँ
गंगोत्री कैसे जाएँ फ्लाइट, ट्रेन, बस और टैक्सी की अधिक जानकारी के लिए बस एक क्लिक करें-
वायुमार्ग
देहरादून स्थित जौलीग्रांट निकटतम हवाई अड्डा है। दूरी 226 किमी है।
सड़क मार्ग द्वारा
गंगोत्री जाने के लिए दिल्ली, चंडीगढ़, ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, श्रीनगर आदि शहरों से नियमित बस सेवायें उपलब्ध हैं। गंगोत्री ऋषिकेश से बस, कार अथवा टैक्सी द्वारा पहुंचा जा सकता है। यह मार्ग 259 किमी है। गंगोत्री से यमुनोत्री में फूलचट्टी तक की दूरी 8 किमी है तथा बस, कार अथवा टैक्सी द्वारा गंगोत्री तक की दूरी 229 किमी है।
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गंगोत्री में कहाँ ठहरें
पर्यटक आवास-गृह, गंगोत्री। पर्यटक आवास-गृह, भैरोंघाटी अतिरिक्त यहाँ ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं भी हैं।
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गंगोत्री कब जाएँ
सर्दियों के मौसम में बर्फ से ढके रहने के कारण इस जगह पर पर्यटकों का आना-जाना कम रहता है। बाकी समय में यहाँ घूमा जा सकता है।
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