राजस्थान एक ऐसा राज्य जिसे हर किसी को देखना और घूमना चाहिए। जब भी मुझे भी कहीं घूमने का मौका मिलता है तो मेरे दिमाग में सबसे राजस्थान ही आता है...राजस्थान है ही इतना खूबसूरत कि, आप बार बार राजस्थान घूमना पसंद करेंगे। हाल ही ऑफिस कि लगातार तीन दिन की छुट्टी थी,सोचा चलों कहीं घूमा जाए। इसी के साथ मैंने बैठे बैठे अपने दोस्तों के पुष्कर जाने का मन बना लिया। दिल्ली से पुष्कर की दूरी 414 किलोमीटर है।
पुष्कर जाने के लिए मैंने शाम को ही पैकिंग कर ली थी। दूसरे दिन यानी फ्राइडे की सुबह हम सब सुबह जल्दी उठ गये और करीबन हम लोग जयपुर के लिए सुबह पांच बजे ही निकल गये। दिल्ली से जयपुर की दूरी 250 किमी है..जोकि पांह घंटे में पूरी होती है। हमने दिल्ली से पुष्कर की यात्रा तीन दिन की प्लान की थी।
दिल्ली-जयपुर-अजमेर-पुष्कर
नई दिल्ली-जयपुर: 250 किमी
जयपुर-अजमेर: 132 किमी
अजमेर-पुष्कर: 14 किमी
पहला दिन
दिल्ली से हमारी यात्रा सुबह 5 बजे शुरू हुई...सुबह घर से जल्दी निकले थे..जिस कारण हम सभी नाश्ता नहीं कर सके। दिल्ली से करीबन 125 किमी निकलकर हमने रोड के किनारे ढाबा पर अपनी गाड़ी रोकी और जबरदस्त आलो के परांठो का दही के साथ नाश्ता किया। उसके बाद हम फिर निकल पड़े अपनी मंजिल की ओर। यूं तो दिल्ली से जयपुर पहुँचने में पांच घंटे लगते हैं...लेकिन हमने अपनी यात्रा में कुछ ब्रेक्स लिए थे...जिस वजह से करीबन 11 बजे जयपुर पहुंच सके।
जयपुर पहुंचते पहुंचतें दोपहर हो चुकी थी..इसीलिए हमने पहले जयपुर स्थित चोखी धानी रेस्तरां में राजस्थानी खाने का लुत्फ उठाया। उसके बाद हमने हवा महल और सिटी पैलेस को घूमा। घूमने के बाद करीबन एक बजे हम अजमेर के लिए निकल पड़े। जयपुर से अजमेर की दूरी 132 किमी है जोकि 2 से ढाई घंटे में पूरी होती है। जयपुर-अजमेर हाइवे ट्राफिक कम होने के कारण काफी शांत लग रहा था। हम लोगो ने थोड़ी देर वहां कैब रोककर जमकर फोटोज क्लिक की और फिर निकल पड़े अजमेर। हम अजमेर करीबन 4:15 पहुंच गये थे। पूरे दिन ट्रेवल करने के कारण हम सब बुरी तरह थक चुके थे।अजमेर पहुंचते ही हमने सबसे पहले होटल बुक किया और आराम करने का प्लान बनाया। शाम को खाना खाने के बाद हमने दूसरे दिन ही अजमेर घूमने का प्लान बनाया।
दूसरे दिन
दूसरे दिन सुबह उठने के बाद हमने एक अच्छा नाश्ता किया और फिर निकल पड़े अजमेर घूमने। आइये जानते है अजमेर घूमने की जगह
दरगाह शरीफ़
दरगाह शरीफ़ राजस्थान का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थान है, जो ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती का स्थान है। वे एक सूफ़ी संत थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों और दलितों की सेवा में समर्पित कर दिया। यह स्थान सभी धर्मों के लोगों के लिए पूजनीय है और प्रतिवर्ष यहाँ लाखों तीर्थयात्री आते हैं। महान सूफ़ी संत की याद में यहाँ हर साल एक एक उर्स भरता है जो 6 दिन तक चलता है। 6 दिनों की अवधि का धार्मिक महत्व यह है कि लोगों का ऐसा मानना है कि जब संत की आयु 114 वर्ष की थी तब उन्होंने प्रार्थना करने के लिए स्वयं को 6 दिन तक कमरे में बंद कर लिया था और अपने नश्वर शरीर को एकांत में छोड़ दिया था।
तारागढ़ का किला
अरावली की ऊंची पहाड़ियों में से एक नागपहाड़ी पर बना एक शानदार दुर्ग है तारागढ़। इसे बूंदी का किला भी कहते हैं। ये किला अपनी भव्यता और अपने आर्किटेक्चर के लिए विश्व प्रसिद्ध है। चौदहवीं सदी (सन् 1354) में बूंदी के संस्थापक राव देव हाड़ा ने इस विशाल और खूबसूरत दुर्ग का निर्माण कराया था। यह एक तेज ढलान पर स्थित है और यहाँ से शहर का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
अढ़ाई दिन का झोपड़ा
अढ़ाई दिन का झोपड़ा एक मस्जिद है जिसके पीछे एक रोचक कथा है। ऐसा माना जाता है कि यह संरचना अढ़ाई दिन में बनाई गई थी। यह भवन मूल रूप से एक संस्कृत विद्यालय था जिसे मोहम्मद गोरी ने 1198 ई. में मस्जिद में बदल
दिया था। यह मस्जिद एक दीवार से घिरी हुई है जिसमें 7 मेहराबें हैं, जिन पर कुरान की आयतें लिखी गई हैं। हेरत के अबू बकर द्वारा डिजाइन की गई यह मस्जिद भारतीय- मुस्लिम वास्तुकला का एक उदाहरण है।
राजपुताना म्यूजियम
राजपुताना म्यूजियम पहले मुगल राजा अकबर का किला हुआ करता था...लेकिन अब इसे एल म्यूजियम में बदल दिया गया है। अजमेर में इतना सब घूमने के बाद हम सभी पुष्कर को रवाना हो गये। अजमेर से पुष्कर की दूरी सिर्फ 30 मिनट की है। करीबन रात आठ बजे पुष्कर पहुँचने के बाद हम सभी ने होटल में खाना खाकर आराम करना उचित समझा।
अना सागर झील
अना सागर झील, 13 किमी के क्षेत्र में फैली है, एक कृत्रिम झील है जो पृथ्वी राज चौहान के पितामह अनाजी चौहान द्वारा निर्मित की गई थी। झील में जलग्रहण स्थानीय लोगों की मदद के साथ 1135 और 1150 ई. के मध्य बनाया गया था। झील में एक द्वीप है और सुंदर बगीचे और यह संगमरमर के मंडपों से घिरा हुआ है। द्वीप तक पहुँचने के लिए पर्यटकों हेतु दौलत बाग उद्यान के पूर्वी हिस्से से नाव एवं जल स्कूटर उपलब्ध हैं।
तीसरा दिन
सुबह जल्दी उठकर हमने एक हेल्दी नाश्ता किया। पुष्कर में ब्रह्मा जी का मंदिर जो पूरे भारत में सिर्फ एक ही है। पुष्कर की रचना कैसे हुई इस विषय में अनेक कहानियाँ सुनी जाती हैं। पुष्कर का अर्थ है एक ऐसा सरोवर जिसकी रचना पुष्प से हुई हो। पुराणों के अनुसार ब्रह्मा ने अपने यज्ञ के लिए एक उचित स्थान चुनने की इच्छा से यहाँ एक कमल गिराया था। पुष्कर उसी से बना। एक अन्य कथा के अनुसार समुद्रमंथन से निकले अमृतघट को छीनकर जब एक राक्षस भाग रहा था तब उसमें से कुछ बूँदें इसी तरह सरोवर में गिर गईं तभी से यहाँ की पवित्र झील का पानी अमृत के समान स्वास्थ्यवर्धक हो गया जिसकी महिमा एवं रोगनाशक शक्ति के बारे में इतिहास में अनेकों उदाहरण भरे पड़े है। ऐसा कहा जाता है कि क्रोधित सरस्वती ने एक बार ब्रह्मा को श्राप दे दिया कि जिस सृष्टि की रचना उन्होंने की है, उसी सृष्टि के लोग उन्हें भुला देंगे और उनकी कहीं पूजा नहीं होगी। लेकिन बाद में देवों की विनती पर देवी सरस्वती पिघलीं और उन्होंने कहा कि पुष्कर में उनकी पूजा होती रहेगी। इसीलिए विश्व में ब्रह्मा का केवल एक ही मंदिर है जो यहाँ स्थित है।
पुष्कर मंदिर घूमने के बाद हम सभी ऊंट की सवारी का भी जमकर आनन्द लिया।जिसके बाद हम सभी वापस दिल्ली लौट गये।