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निकल पड़े बैंगलोर से घूमने कर्णाटक की ऊँची चोटी को

बैंगलोर से कोदाचाद्रि के अलग-अलग रूटों के बारे में पढ़ें।

By Namrata Shatsri

पश्चिमी घाट पर कर्नाटक के शिमोगा जिले में स्थित है कोदाचाद्रि। 1343 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ये पर्वत चोटि को कर्नाटक सरकार द्वारा कर्नाटक की दसवीं सबसे ऊंची चोटि घोषित की गई है।

बैंगलोर से दांडेली का एडवेंचरस ट्रिपबैंगलोर से दांडेली का एडवेंचरस ट्रिप

कोदाचाद्रि के पीछे प्रसिद्ध कोल्‍लूर मूकांबिका मंदिर है। कोल्‍लूर को ये मंदिर देवी मूकांबिका को समर्पित है। मूकांबिका नेशनल पार्क के मध्‍य स्थित ये चोटि बायोडाइवरसिटी हॉटस्‍पॉट है। यहां पर कई दुर्लभ प्रजाति की वनस्‍पति और जीव भी पाए जाते हैं।

कैसे पहुंचे

कैसे पहुंचे

वायु मार्ग : यहां से 153 किमी दूर मैंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है। ये एयरपोर्ट सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग : कुंदापुर रेलवे स्‍टेशन मैंगलोर, बैंगलोर और देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां से इस रेलवे स्‍टेशन की दूरी 76 किमी है।

सड़क मार्ग : कोदाचाद्रि जाने का सही समय सड़क मार्ग है। ये शहर सड़क मार्ग द्वारा अन्‍य शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां से देश के प्रमुख शहरों से कोल्‍लूर के लिए नि‍यमित बसें चलती हैं।
PC:Ashwin Kumar

शुरुआती बिंदु : बेंगलुरू

शुरुआती बिंदु : बेंगलुरू

गंतव्‍य : कोदाचाद्रि
आने का सही समय : अक्‍टूबर से मार्च

रूट मैप

बैंगलोर से कोदाचाद्रि की ड्राइव करके दूरी 442 किमी है। यहां से तीन रूट हैं जो इस प्रकार हैं :

रूट 1 : बेंगलुरु - टुमकुर - दवानगेरे - होन्‍नाली - कोडासे - नागरा - NH 48 के माध्यम से

कोदाचाद्रि

रूट 2 : बेंगलुरु - कुनिगल - अर्सिकेरे - तारिकरे - नागरा - बेंगलुरु-होन्‍नावार रोड़ के माध्यम से कोदाचाद्रि तक

रूट 3 : बेंगलुरु - टुमकुर - हिरियूर - तारिकेरे - नागरा - एनएच 48 और एसएच 24 के माध्यम से कोदाचाद्रि

कितना समय लगेगा

कितना समय लगेगा

पहले रूट से जाने पर आपको एनएच 48 से कोदाचाद्रि पहुंचने में 8 घंटे का समय लगेगा। इस रूट पर मशहूर शहर देवानगेरे और नागरा आदि पड़ेंगें।

यहां की सड़के व्‍यवस्थित हैं इसलिए 442 किमी का सफर आपका आसानी से कट जाएगा।

दूसरे रूट से जाने पर बैंगलोर-होन्‍नावर रोड़ से बैंगलोर से कोदाचाद्रि की दूरी 392 किमी है और इस सफर में आपको 8 घंटे 16 मिनट लगेंगें।

तीसरे रूट पर 410 किमी में एनएच 48 और एसएच 24 से 8.5 घंटे का समय लगेगा।

वीकेंड पर आप यहां आ सकते हैं। शनिवार की सुबह निकलकर दोपहर या शाम तक आप यहां पहुंच जाएंगें और उसके बाद रविवार की सुबह वापस बैंगलोर के लिए निकल जाएं।PC:Ashwin Kumar

टुमकुर

टुमकुर

टुमकुर में मधुगिरि और देवरासनदुर्ग दो लोकप्रिय पर्वत हैं जहां आप ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं। बैंगलोर से टुमकुर 70 किमी दूर है।

देवरायनदुर्ग पहाड़ी इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है और इसकी पर्वत चोटि पर कई मंदिर स्थित हैं जिनमें से अनेक मंदिर योगनरस्मिहा और भोगनरसिम्‍हा को समर्पित हैं। पर्वत की तलहटी में बसा है प्राकृतिक झरना जिसे नमादा चिलुमे कहते हैं।

किवदंती है कि वनवास काल के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्‍मण जी ने इस पर्वत पर शरण ली थी। मधुगिरि पर्वत के किले में दरवाज़े से प्रवेश करने के बाद सीढियां हैं। ऊपर की चढ़ाई करते हुए ट्रैक और मुश्किल होता जाता है। इस पूरे ट्रैक में 3 घटे का समय लगता है।PC:Jayeshj

मैनचेस्‍टर ऑफ कर्नाटक

मैनचेस्‍टर ऑफ कर्नाटक

कर्नाटक आए हैं तो इस शहर की लो‍कप्रिय डिश बेन्‍ने दोसे जरूर खाएं। इस जगह की खास डिश है बेन्‍ने दोसे जोकि काफी स्‍वादिष्‍ट भी है। देवानगेरे आएं तो इस डिश को खाना बिलकुल ना भूलें। देवानगेरे में कई दर्शनीय मंदिर भी हैं जैसे हरिहरेश्‍वर मंदिर और दुर्गांबिका मंदिर।

PC:Srutiagarwal123

कोदाचाद्रि

कोदाचाद्रि

प्राचीन समय से ही कोदाचाद्रि की पहाड़ी पर्यटकों को आकर्षित करती है। यहां कई मोनोलिथिक संरचनाएं हैं जो ऐतिहासिक महत्‍व भी रखती हैं।

शोला जंगल के घने पेड़ और पर्वत इस जगह को और भी ज्‍यादा खूबसूरत बनाते हैं।PC:Ashwin Iyer

सरवाजनापीठ

सरवाजनापीठ

माना जाता है कि कोल्‍लूर में मूकांबिका मंदिर स्‍थापित करने के बाद आदि शंकराचार्य ने यहां ध्‍यान किया था। यहां पर एक छोटा सा मंदिर सरवाजनापीठ भी है जिसे आदि शंकराचार्य के सम्‍मान में पत्‍थरों से बनाया गया है।

इसे अलावा पर्वत की चोटि पर मूकांबिका देवी का मंदिर भी है। मूकांबिका मंदिर के सामने 40 फीट ऊंवा आयरन पिलर भी है जोकि माउंट आबू के आयरन पिलर जैसा है। श्रद्धालुओं का मानना है कि देवी ने इस त्रिशूल से मूकासूर राक्षस का वध किया था।PC:Ashwin Iyer

कोल्‍लूर मूकांबिका मंदिर

कोल्‍लूर मूकांबिका मंदिर

कोल्‍लूर के इस मंदिर को देखे बिना आपकी यात्रा अधूरी है। यहां पर देवी की पूजा सरस्‍वती, दुर्गा और लक्ष्‍मी के रूप में होती है।

मंदिर के निर्माण काल के बारे में कोई प्रमाण नहीं है। मान्‍यता है कि इस मंदिर में स्‍थापित देवी की मूर्ति को आदि शंकराचार्य ने की थी। दु‍नियाभर से श्रद्धालु मंदिर में देवी के दर्शन करने आते हैं।PC:Vinayaraj

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