हम अपने पिछले कई लेखों के माध्यम से आपके समक्ष भारत के कई मायनों में अनोखे होने का वर्णन कर चुके हैं। आज भारत का शुमार विश्व के उन देशों में है जो अपनी सांस्कृतिक विविधता और विशेषता के चलते हर साल देश दुनिया के लाखों पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। आज देश में ऐसा बहुत कुछ है जिस पर गर्व करते करते एक भारतवासी थक जाएगा लेकिन उसका अपने देश के प्रति गर्व कभी कम नहीं होगा।
इसी क्रम में आज अपने इस आर्टिकल के जरिये हम आपको अवगत कराएंगे भारत के उन महलों से जो एक गुज़रे हुए इतिहास को बखूबी बयां करते हैं। भारत में मौजूद ये महल जहां एक तरफ बला के से खूबसूरत हैं तो वहीं दूसरी तरफ ये महल ऐसे हैं जो अपनी अनूठी वास्तुकला के चलते आने वाले किसी भी पर्यटक का मन मोह लेंगे।
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तो अब देर किस बात की आइये जानें कि वास्तु की दृष्टि से बेहद ख़ास हैं भारत में मौजूद ये खूबसूरत महल।
लक्ष्मी विलास महल
ये महल लंदन के बकिंघम पैलेस से आकार में चार गुना बड़ा और कहीं अधिक विशाल और विराट है। अपनी खूबसूरती और बेहतरीन वास्तुकला के चलते इस महल का शुमार दुनिया के सबसे खूबसूरत महलों में किया जाता है। इस महल का निर्माण 1890 में महाराजा सयाजीराव ने करवाया था। बताया जाता है कि इस महल के निर्माण के लिए राजा ने दो अंग्रेज़ अधिकारियों मेजर चार्ल्स मेंट, आरएफ चिसोल्म को नियुक्त किया था। इंडो-सारासेनिक परंपरा से बने इन महलों में आप भारतीय, इस्लामिक और यूरोपीय वास्तुशिल्प का मिला जुला रूप देख सकते हैं। अगर इस राजमहल को आप ध्यान से देखें तो मिलेगा कि यहां पर पच्चीकारी टाइल्स, बहुरंगी संगमरमर, कई तरह की चित्रकलाएं, फव्वारों, और महल के प्रवेश द्वार पर ताड़ के पेड़ इस महल को एक अलग खूबसूरती देते हैं ।
चौमहला महल, हैदराबाद
चौमहला महल का संबंध हैदराबाद के निजाम से है और यह आसिफ जाही का आधिकारिक निवास स्थान था। इस महल का नाम फारसी शब्द चहार और महालात पर पड़ा है, जिसका अर्थ होता है चार महलें। यह महल ईरान के शाह महलों की तर्ज पर बनाया गया है। इसका निर्माण कार्य 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था और इसे बनाने में करीब 10 साल का समय लगा। इसी लिए इस महल के वास्तुशिल्प और डिजाइन में कई शैली का प्रभाव नजर आता है।
लेक पैलेस, उदयपुर
लेक पैलेस एक शानदार संरचना पिछोला झील के बीच जग निवास द्वीप पर स्थित है। महाराणा जगत सिंह ने वर्ष 1743 में एक ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में इस महल का निर्माण किया। अब, महल एक 5-सितारा होटल में बदल गया है। इमारत की वास्तुकला जटिल शिल्प कौशल का एक सुंदर उदाहरण है। यह दुनिया में सबसे उत्तम महलों में गिना जाता है।
मार्बल पैलेस कोलकाता
कोलकाता स्थित मार्बल पैलेस का निर्माण राजेंद्र मलिक द्वारा करवाया गया था। इस महल की ख़ास बात यहां की वास्तुकला है। यदि आप इस महल को ध्यान से देखें तो आपको इसमें बंगाली वास्तुकला के दर्शन होंगे। ये महल सुन्दर सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है साथ ही यहां एक खूबसूरत गार्डन भी है। यदि आप कोलकाता में हों तो इस खूबसूरत महल को देखना न भूलें। इस स्थान की ख़ास बात ये है कि आज भी यहां कोलकाता का राज परिवार वास करता है।
उज्जयंता महल
अगर त्रिपुरा के उत्कृष्ट वास्तुशिल्पीय निर्माण की बात की जाए तो उसमें अगरतला के उज्जयंता महल का नाम सबसे पहले आएगा। फिलहाल इसका इस्तेमाल राज्य की विधानसभा के रूप में किया जा रहा है। इंडो-ग्रीक शैली के इस महल को महाराजा राधाकिशोर माणिक्य ने बनवाया था। 1899 से 1901 के बीच बने इस महल के मुख्य डिजाइजर मेसर्स मार्टिन एंड कारपोरेशन के सर एलेक्जेंडर मार्टिन थे। नोबल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर ने इसे उज्जयंता महल नाम दिया था।
बोलगट्टी पैलेस, केरल
केरल का बोलगट्टी पैलेस ही एक मात्र ऐसा महल है जिसका निर्माण किसी भारतीय शासक ने नहीं कराया। इस महल का निर्माण डचों द्वारा 1974 में कराया गया। आज इस महल में स्विमिंग पूल, गार्डन और आयुर्वेद की भी सुविधाएं हैं। यदि आप किसी शांत जगह पर जाना चाहते हैं तो ये एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है।
कोडिअर पैलेस, केरल
इस महल का निर्माण श्री मूलम तिरुनल द्वारा 1915 में कराया गया था। इस महल की ख़ास बात ये है कि केरल की पूरी संस्कृति की झलक आपको इस महल में मिल जायगी। बताया जाता है कि इस महल में 150 रॉयल कमरे हैं जहां हर एक कमरे की अपनी अलग डिजाईन है। हमारा दावा है कि यहां का अनोखा आर्किटेक्चर किसी भी पर्यटक को मंत्र मुग्ध कर देगा।
जय विलास महल
जय विलास महल आज भी सिंधिया राजवंश और उनके पूर्वजों का निवास स्थान है। इसके एक भाग का उपयोग आजकल संग्रहालय की तरह किया जाता है। इसका निर्माण जीवाजी राव सिंधिया ने 1809 में किया था। लेफ्टिनेंट कर्नल सर माइकल फ़िलोस इसके वास्तुकार थे। इसकी स्थापत्य शैली इतालवी, टस्कन और कोरिंथियन शैली का अद्भुत मिश्रण है। यहाँ सिंधिया शासनकाल के कई दस्तावेज़ और कलाकृतियाँ तथा औरंगज़ेब और शाहजहाँ की तलवार है। इटली और फ़्रांस की कलाकृतियां और जहाज़ भी यहाँ प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं।
रामबाग पैलेस, जयपुर
किसी ज़माने में रामबाग पैलेस जयपुर के राजा का निवास स्थान हुआ करता था। साथ ही ये महल अपनी बला की सी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। आज इस महल को एक हेरिटेज होटल में तब्दील कर दिया गया है जहाँ हर साल हजारों सैलानी आते हैं। आपको बता दें कि इस महल में आपको गुज़रे हुए इतिहास की उम्दा झलक मिलेगी।
मैसूर महल
मैसूर महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। इस महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। इस तीन तल्ले महल के निर्माण में निर्माण के लिए भूरे ग्रेनाइट, जिसमें तीन गुलाबी संगमरमर के गुंबद होते हैं, का सहारा लिया गया है। महल के साथ-साथ यहां 44.2 मीटर ऊंचा एक पांच तल्ला टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है।
बैंगलोर पैलेस
बैंगलोर शहर के बीचों बीच स्थित बैंगलोर पैलेस एक बेहद खूबसूरत स्थान है जो कि लंदन के विंडसर कैसल से मिलता जुलता है। 1887 में निर्मित इस महल को वाडेयार राजवंश के राजाओं ने निर्मित कराया था। आपको बता दें कि हर रोज़ हज़ारों पर्यटक इस महल की खूबसूरती को निहारने आते हैं।
जगनमोहन महल, मैसूर
जगनमोहन महल का शुमार शहर के सबसे पुराने भवनों में कया जाता है। अगर आप मैसूर में हैं तो यह महल महल घूमने की कोशिश जरूर करें। इस महल का निर्माण मैसूर के राजाओं द्वारा 1961 में किया गया था। 1897 में जब पुराना लकड़ी का महल आग में जलकर नष्ट हो गया तो मुख्य महल के निर्माण होने तक जगनमोहन महल शाही परिवारों का निवास स्थान भी रहा।
पद्मनाभपुरम पैलेस, तमिलनाडु
1601 में निर्मित पद्मनाभपुरम पैलेस का निर्माण इरवी वर्मा कुलशेकरा पेरुमल ने कराया था जो त्रावणकोर के राजा थे। वेली हिल्स पर स्थित ये महल अपने आप में बेमिसाल है यहां आपको महल के बाहर ही किला मिलेगा जिसको बनाने का उद्देश्य इस महल की शत्रुओं से रक्षा थी। यदि आप तमिलनाडु में हों तो इस किले की यात्रा करना बिलकुल न भूलें।
कूचबिहार रॉयल पैलेस/ राजबाड़ी, कूचबिहार
कूचबिहार का प्रमुख पर्यटन स्थल, राजबाड़ी है जहां आकर पर्यटक यहां के प्राचीनकाल के राजाओं और महाराजाओं के राजसी ठाठ को उनकी यादों के रूप में देख सकते है। बढि़या ईटों और सफेद रंग की बनी यह इमारत वाकई में प्रेरणादायी है। इस महल में कूचबिहार के राजा निवास किया करते थे, जो कूचबिहार को योजना से बनाने के लिए जिम्मेदार थे। राजा के शासन के बाद, कूचबिहार को ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा इस्तेमाल किया गया था। आज यह शहर एक संग्रहालय में परिवर्तित हो चुका है जो इस शहर की समृद्ध विरासत की गाथा बताता है।