हाल ही में अहमदाबाद पहुंची हुई थी। किसी ने मुझे बताया की कच्छ रण महोत्सव चल रहा है चलो घूमकर कर आते हैं। बाद फिर क्या था मै निकल पड़ी अपनी मंडली के साथ। बता दें, कच्छ रण उत्सव, हर साल नवंबर से फरवरी के बीच में कच्छ में मनाया जाता है। यह उत्सव आगामी 20 फरवरी तक चलने वाला है।
इस उत्सव में हर रोज हजारों की संख्या में लोग रण उत्सव में हिस्सा लेने पहुंचते हैं। इस उत्सव का आयोजन कच्छ के रेगिस्तान में किया जाता है।नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्तान सफेद रेगिस्तान में बदल जाता है।यहां आकर आप खुली हवा में कल्चरल प्रोग्राम का आनंद उठा सकते हैं। सैलानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं।
कच्छ रण उत्सव के लिए मैंने अहमदाबाद से कैब की। अहमदाबाद से कच्छ जाने के दो रास्ते हैं।
पहला रास्ता
अहमदाबाद-सुरेन्द्रनगर-मोरबी-भुज-कच्छ।इस रूट से कच्छ की दूरी 399 किमी है जिसे आप 6 घंटे 37मिनट में पूरा कर सकते हैं।
दूसरा रास्ता
अहमदाबाद-मेहसाना-पाटन-भुज-कच्छ।इस रूट से कच्छ की दूरी477 किमी है जिसे आप 7 घंटे 47मिनट में पूरा कर सकते हैं।
रण-उत्सव
कब तक: 20 फरवरी तक
कहां: कच्छ, गुजरात
नजदीकी हवाई अड्डा: अहमदावाद व भुज
भुज से कच्छ की दूरी: लगभग 70 किमी
नजदीकी रेलवे स्टेशन: भुज
यात्रा: एक दिन
पहला दिन
हमने कच्छ जाने के लिए पहला रास्ता लिया। घर से हम सभी सुबह 6 बजे निकले थे, सफर थोड़ा सा लंबा था इसीलिए हम सभी रास्ते में हल्का फुल्का नाश्ता करते हुए जा रहे थे। करीबन 2 बजे हम सभी कच्छ के रण में पहुंच चुके थे।
कच्छ के रण में पहुँचने के बाद पहले हम सभी ने थोड़ा सा आराम किया और फिर एक अच्छा सा लंच। कच्छ रण उत्सव में पर्यटकों के रहने के लिए एक विशाल टैंट सिटी बसाई गई है, जिनमें एयरकंडिशन, हीटर, पंखा, ठंडा-गर्म पानी, दो पलंग, कालीन और तमाम सुविधाएं मौजूद हैं। पूरी नगरी सीसीटीवी कैमरों और सुरक्षा गार्डो की चौकस नजरों में रहती है।
खाना खाने के बाद हम सबने थोड़ा आराम किया और उसके बाद शुरू किया कच्छ रण महोत्सव का भ्रमण। इस उत्सव से पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र का नजारा भी देखने को मिलता है जो कच्छ से थोड़ी दूर पर ही स्थित है।बता दें कि यह क्षेत्र स्वामी विवेकानंद के कारण भी काफी मशहूर है। बताते हैं कि अट्ठारह सौ तिरानवे में शिकागो सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कच्छ की यात्रा की थी।
खैर जैसे जैसे शाम होने लगी पूरा कच्छ रण उत्सव रौशनी से जगमगाने लगा। थोड़ा घूमने के बाद मैंने और मेरे कजिन ने चाँद की रौशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लिया ।इतना ही इस उत्सव में कलाकार रेत पर अपनी कला के माध्यम से भारत के इतिहास की झलक भी पेश करते हैं।
रण महोत्सव में हर रोज कई सारे कल्चरल प्रोग्राम होते हैं।कच्छ रण उत्सव बेहद बहुत ही विशाल होता है। इस दौरान भुज से पांच किलोमीटर दूर रण के विशाल मैदान के बीच धोरडो गांव के पास एक विशाल टूरिस्ट कैंप बस जाता है,
जहां पर्यटकों को सभी सुविधाओं से युक्त टैंटों में ठहराया जाता है। यहां के मिट्टी के बने कलात्मक घर इतने सुंदर होते हैं कि सैलानी इन घरों को देखकर खुद को इनकी प्रशंसा करने से नहीं रोक पाते।
इस उत्सव में आप दूधिया रण में आयोजित होने वाले लोक संगीत एवं लोक नृत्यों का भी आनंद उठा सकते हैं। साथ ही इस उत्सक में आप गुजरात की स्वादिष्ट रेसिपी का भी भरपूर आनन्द ले पायेंगे।
आप चाहे तो दो से तीन दिन भी इस उत्सव का आनन्द ले सकते हैं।हमने इस उत्सव का आनन्द पूरी रात जमकर लिया।
दूसरे दिन
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर हमने गुजराती नाश्ता किया उसके बाद निकल पड़े 'ग्रेट रण ऑफ कच्छ' देखने।ग्रेट रण ऑफ कच्छ' को सफ़ेद रेगिस्तान के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ नमक ही नमक होता है जो कि रण उत्सव के लिए मशहूर है। यहाँ अनोखी जैव विविधताओं, प्रवासी पक्षियों और जंगली गधे आदि के लिए भी प्रसिद्ध है।
इसके अलावा अगर आपको हस्तशिल्प में दिलचस्पी है तो यहाँ पर आप ठप्पे की छपाई का कपड़ा, बंधेज, चांदी का सामान और कढ़ाई वाले वस्त्रों के अलावा यह कच्छी हस्तशिल्प आदि को भी देख सकते हैं। भुज पहुंचते ही आप हस्तशिल्प के कलाकारों से तो मिल ही सकते हैं। साथ ही हस्तशिल्प प्रदर्शनी का फायदा भी उठा सकते हैं।
हस्तशिल्प प्रदर्शनी देखने के बाद हम सभी ने दोपहर का खान कच्छ के रण में ही किया। और दिर थोड़ा आराम करने के बाद शाम को हम सभी अहमदाबाद के लिए वापस निकल गये अहमदाबाद के लिए। यकीन मानिये एक बार आने के बाद बाद आप हर साल इस रण उत्सव का हिस्सा बनने को मजबूर हो जायेंगे।