मंड्या जिले के द्वीप शहर में स्थित हैं दो झरने भाराचक्की और गगनचक्की। ये झरने कावेरी नदी से बहते हैं और शिवानसमुद्र से होकर दो धाराओं में बंट जाते हैं।कावेरी नदी से यहां पर दो झरने गंगनचक्की और बाराचक्की बहते हैं।
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ये दोनों ही मुख्य धाराएं हैं। कावेरी नदी दो भागों में बंटकर यहां पर एक द्वीप के दोनों तरफ बहती है और इन जगहों को गगनचक्की और बाराचक्की कहा जाता है। ये दोनों ही शानदार झरने शिवानसमुद्र में बहते हैं। मॉनसून के दौरान यहां का नज़ारा बेहद मनोरम होता है।
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दोनों धाराएं द्वीप के दोनों तरफ एक गहरी संकीर्ण घाटी के माध्यम से बहती हैं। गगनचक्की और भाराचक्की गिरने के बाद कुछ किलोमीटर की दूर पर अलग हो जाती हैं। पूर्वी धारा भाराचक्की और पश्चिमी धारा गगनचक्की के नाम से जानी जाती है और एकसाथ इसे शिवानसमुद्रा झरने के नाम से जाना जाता है।
रूट मैप
शुरुआती बिंदु : बेंगलुरू
गंतव्य : गगनचक्की और भाराचक्की
आने का सही समय : जून से सितंबर
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग द्वारा : बेंगलुरू का केंपेगोवडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है जोकि यहां से 167 किमी दूर है।
रेल मार्ग द्वारा : यहां से 60 किमी दूर स्थित मैसूर रेलवे जंक्शन समीपतम स्टेशन है। यहां से देश के मुख्य शहरों और राज्यों से नियमित ट्रेनें चलती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : शिवानसमुद्रा पहुंचने का सबसे बेहतर रास्ता है सड़क मार्ग। कोल्लेगल निकटतम शहर है जहां पर सड़क व्यवस्था काफी दुरुस्त है और यहां बेंगलुरू से शिवानसमुद्रा तक नियमित बसें चलती हैं।
कितना समय लगेगा
पहले रूट से जाने पर आपको एनएच 75 से शिवानसमुद्रम पहुंचने में 3 घंटे का समय लगेगा। इस रूट पर आप प्रसिद्ध शहर रामनगर, चन्नापटना और मद्दुरू देख सकते हैं।
इस रूट पर 131 किमी तक के सफर को पूरा करने के लिए सड़क व्यवस्था काफी दुरुस्त है इसलिए आपको सफर में कोई परेशानी नहीं होगी।
अगर आप दूसरे रूट से जाते हैं तो आपको बेंगलुरू से शिवानसमुद्रम तक एनएच 209 से 128 किमी की दूरी तय करने में 3.5 घंटे का समय लगेगा।PC:Ashwin Kumar
तीसरे रूट पर आपको कुनीगल से मद्दुर रोड़ से होकर 168 किमी दूर शिवानसमुद्रम पहुंचने में 3 घंटे का समय लगेगा।
गगनचक्की और भाराचक्की
गगनचक्की झरना घोड़े की लंबी पूंछ के आकार में बहता है। ये झरना एकदम सीधा बहता है और बड़ी तेजी से नीचे आकर गिरता है। वॉच टावर से इस झरने का सबसे खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है।
ये दोनों झरने लगभग 98 मीटर की ऊंचाई से गिरकर दो धाराओं में बंट जाते हैं। वॉच टावर से झरनों के बीच में पहुंचना असंभव है क्योंकि पर्यटकों और आगंतुकों को झरने के पास या पानी में जाना मना है।
इन दोनों में से भाराचक्की ज्यादा लोकप्रिय और खूबसूरत है। ये 69 मीटर की ऊंचाई से गिरता है एवं यह दोनों झरनों में से ज्यादा चौड़ा भी है।PC:Ashwin Kumar
झरने के आधार तक पहुंचने के लिए सीमेंट की 200 सीढियां बनाई गईं हैं। ये रास्ता सुरक्षित भी है और आप यहां बैठकर आराम भी कर सकते हैं।
मनोरम नज़ारे
इन दोनों झरनों को बहते देखना वाकई काफी अद्भुत अनुभव है। मॉनसून के दौरान पानी बड़ी तेजी से पत्थरों पर आकर गिरता है और इस समय पानी का स्तर बड़ी तेजी से बढ़ जाता है।
यहां पर ऐसी जगहें हैं जहां से आप झरने के सौंदर्य को देख सकते हैं।
झरने को करीब से देखने के लिए आप कोरेकल राइड भी ले सकते हैं। पत्थरों से टकराकर पानी की धारा का दो अलग भागों में बंटना काफी सुंदर दिखाई देता है।
दृश्य और एडवेंचर
भाराचक्की में एक ऐसा भाग है जहां पानी का पैमाना कम रहता है। इस भाग में आप एडवेंचर का मज़ा ले सकते हैं। यहां पर आप झरने के बीच में खड़े होकर तस्वीरें खिंचवा सकते हैं।
इस हिस्से तक पहुंचने के लिए आपको संकीर्ण धारा से होकर गुज़रना पड़ेगा।PC:Ashwin Kumar
ये धारा काफी गहरी है और यहां पर काफी फिसलन भी इसलिए यहां आपको हर समय अत्यधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
इस झरने तक आप एक दूसरे रूट से भी पहुंच सकते हैं। यहां हजरत मर्दान गईब की दरगाह से होते हुए भी पहुंचा जा सकता है। ये भाराचक्की झरने से काफी करीब है।