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झीलों, नदियों और धान के खेतों वाले थौबल में क्या है ख़ास आपके लिए

By Syedbelal

बात भारत की यात्रा पर हो और ऐसे में हम नार्थ ईस्ट का वर्णन न करें बात अधूरी रह जाती है। देश के अलावा विदेश से आने वाले पर्यटकों को हमेशा से ही नार्थ ईस्ट के अलग अलग राज्यों ने अपनी सुंदरता और मन को मोह लेने वाले परिदृश्यों की तरफ आकर्षित किया है। गौरतलब है कि नार्थ ईस्ट की गोद में पला मणिपुर एक ऐसा राज्य है जो एक ट्रैवलर को वो सब देता है जिसकी तलाश में वो कहीं घूमने जाता है।

मणिपुर में कई रोचक पहलू हैं, जो लोग घूमने - फिरने के बहुत शौकीन हैं, उनके लिए मणिपुर में बहुत कुछ खास है। भारत के इस पूर्वोत्‍तर राज्‍य में सिरउई लिली, संगाई हिरण, लोकतक झील में तैरते द्वीप, दूर - दूर तक फैली हरियाली, उदारवादी जलवायु और परंपरा का सुंदर मिश्रण देखने का मिलता है। आज इसी क्रम में हम आपको अवगत कराने जा रहे हैं मणिपुर के बेहद खूबसूरत शहर थौबल से।

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जो लोग मन प्रफुल्लित करने वाली झीलों, बहती नदियों और धान के खेतों का आनंद लेना चाहते हैं उन्हें अपने जीवन में एक बार थौबल की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। थौबल मणिपुर के अन्य शहरों की तुलना में कहीं अधिक विकसित है। शहर के ज्यादातर प्रमुख स्थल थौबल नदी के तट पर बसे हैं।

बात यदि टूरिज्म की हो तो पहाड़ों और टीलों के बीच बसा थौबल शहर अपनी सुंदरता में विशिष्टता लिए हुए है। पनथोईबी व चिंगा लैरेनभी मंदिर, तोमजिंग चिंग और मणिपुर साहित्य समिति के अलावा इस जिले में घूमने के लिए कई पर्यटन स्थल हैं। तो आइये जानें थौबल की यात्रा पर क्या क्या देख सकते हैं आप।

कैसे जाएं थौबल

कैसे जाएं थौबल

आप सड़क वायु और रेल मार्ग द्वारा आसानी से थौबल पहुंच सकते हैं। इम्फाल यहां का निकटतम हवाई अड्डा है जो कि देश के सभी प्रमुख शहरों जैसे गुवाहाटी, कोलकाता, दिल्ली मुंबई से रेगुलर विमान सेवा द्वारा जुड़ा हुआ है। इसके अलावा आप ट्रेन से भी यहां आ सकते हैं। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन दीमापुर है जो थौबल से 230 किमी दूर है। यदि आप सड़क मार्ग से थौबल की यात्रा के इच्छुक हैंज तो आप राष्ट्रीय राजमार्ग 102 चयन कर सकते हैं ये थौबल से होकर गुज़रता है। साथ ही ये मणिपुर के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा भी हुआ है।
फोटो कर्टसी - t.saldanha

खंगाबोक

खंगाबोक

थौबल जिला के न्यायिक क्षेत्र के अंतर्गत आने वाला खंगाबोक राज्य का सबसे बड़ा गांव है। यहां मीटीस जनजाति की आबादी सबसे ज्यादा है। इस क्षेत्र में मीटीलोन और मणिपुरी भाषा बोली जाती है। पहले इस गांव में बड़ी संख्या में खंगरा वृक्ष हुआ करता था। इसी के नाम पर इस गांव का नामकरण खंगाबोक हुआ। जैसे-जैसे लोग इस गांव में बसने लगे, वृक्षों के कटने का सिलसिला भी शुरू हो गया। पहले इस गांव का नाम खंगरापोकपी हुआ करता था, जिसका अर्थ होता है- ऐसी जगह जहां खंगरा के वृक्ष पाए जाते हों। आज खंगरापोकपी का नाम बदलकर खंगाबोक हो गया है।
फोटो कर्टसी - Subodhthok

खोंगजोम

खोंगजोम

खोंगजोम जिला थौबल का बेहद चर्चित पर्यटन स्थल है। इसी जगह मणिपुरियों और अंग्रेजों के बीच आजादी की आखिरी लड़ाई हुई थी। अप्रैल 1891 में हुई इस लड़ाई में मणिपुरियों ने ब्रिटिश चीफ कमिश्नर और उनकी पार्टी के अन्य सदस्यों की हत्या कर दी थी। हालांकि मणिपुरियों के पास न तो अंग्रेजों के बराबर योद्धा थे और न ही उनके जैसा हथियार, फिर भी वह अपनी पूरी शक्ति के साथ लड़े। इस लड़ाई का नेतृत्व मेजर जेनरल पाओना ब्रजवाशी ने किया था। हालांकि वह लड़ाई हार गए थे, इसके बावजूद वह मणिपुर के लोगों के बीच प्रचंड इच्छाशक्ति का प्रतीक बन गए।
फोटो कर्टसी - Diamond Oina

ककचिंग

ककचिंग

प्रमुख व्यापारिक केन्द्र ककचिंग थौबल जिला के जिला मुख्यालय के बाद सबसे बड़ा शहर है। बर्मा की सीमा से 70 किमी और इम्फाल से 44 दूर स्थित ककचिंग में पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। ककचिंग थौबल जिले के दो तहसीलों में से एक है। दूसरा तहसील वेईखोंग है। ककचिंग में कई तरह की मछलियों, सब्जियों और चालवों का उत्पादन किया जाता है, जिससे यह एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र के रूप में विकसित हो गया है। हाईवे के जरिए यह राज्य के दूसरे हिस्सों से भी अच्छे से जुड़ा हुआ है। ककचोंग से नेशनल हाईवे भी थोड़ी ही दूरी पर है।
फोटो कर्टसी - Hemam Bishwajeet

सुगनु

सुगनु

सुगनु थौबल जिला का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केन्द्र है। यह राज्य की राजधानी मणिपुर से 74 किमी दूर और सुगनु-इम्फाल स्टेट हाईवे से जुड़ा हुआ है। व्यापारिक केन्द्र के अलावा यह शहर अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। यहां से इम्फाल नदी बहती है, जिससे यहां की हरियाली में और भी इजाफा हो जाता है। यहां की छोटी-छोटी पहाड़ियां सुगनु को और भी मनमोहक बना देती है।
फोटो कर्टसी - Herojit th

पालेल

पालेल

मणिपुर के व्यवसायिक गढ़ मोरेह जाने वाले पर्यटक पालेल शहर में ही रुकते हैं। इम्फाल से 46 किमी दूर यह शहर थौबल और चंदेल की सीमा पर पड़ता है और एनएच-39 यहीं से गुजरती है। यह ट्रांस-एशियन सुपर हाईवे का प्रवेशद्वार भी है।
पालेल चंदेल की पहाड़ियों और थौबल के मैदानों का संगम स्थल भी है। इस कारण यहां की खूबसूरती और भी बढ़ जाती है। मोरेह जाने के क्रम में इस इलाके का विहंगम नजारा देखने को मिलता है। कई पर्यटक तो सिर्फ यहां की प्राकृतिक सुंदरता के कारण ही इस जगह घूमने आते हैं।
फोटो कर्टसी - Herojit th

वेईथाउ झील

वेईथाउ झील

थौबल जिला झीलों और नदियों के लिए जाना जाता है और प्रसिद्ध लोकतक झील इसी जिले में पड़ती है। वेईथाउ झील वेईथाउ को एक रोचक पर्यटन स्थल का दर्जा दिलाती है और यहां की प्राकृतिक सुंदरता में और भी इजाफा कर देती है। जिले के उत्तर में पड़ने वाली इस झील का निर्माण वेईथाउ हिल और पूर्व व पश्चिम में स्थित धान के खेतों से आने वाले पानी से हुआ है। वेईथाउ झील इम्फाल-बर्मा मार्ग पर इंम्फाल से 16 किमी और थौबल जिला मुख्यालय से सिर्फ 3 किमी दूर स्थित है।
फोटो कर्टसी - Herojit th

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