मैसूर से 15 किमी की दूरी पर स्थित है श्रीरंगपटना। इस शहर में कावेरी नदी भी बहती है। इस शहर में बहुत प्रसिद्ध रंगनाथा स्वामी मंदिर है और इसी के नाम पर इस शहर का नाम श्रीरंगपटना पड़ा है। दक्षिण भारत का यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।
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प्राचीन काल से श्रीरंगपटना एक शहरी केंद्र और तीर्थस्थल स्थल रहा है। विजयनगर साम्राज्य के दौरान यह जगह शाही लोगों की पसंद हुआ करती थी। मैसूर और तलकाड़ जैसे साम्राज्य के कई राजाओं ने इस पर शासन किया है।यह जगह मैसूर के राजा हैदर अली और उनके बेटे टीपू सुल्तान की राजधानी हुआ करती थी।
रूट मैप
शुरुआती बिंदु : बेंगलुरू
गंतव्य : श्रीरंगपटना
आने का सही समय : अक्टूबर से जून
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग द्वारा : यहां से 166 किमी दूर बेंगलुरू में स्थित केंपेगोवड़ा अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है।
रेल मार्ग द्वारा : शहर के केंद्र में स्थित श्रीरंगपटना रेलवे स्टेशन से राज्य के अन्य शहरों और देश के कई हिस्सों से ट्रेनें आती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : श्रीरंगपटना आपको सड़क मार्ग द्वारा जाना चाहिए। इस शहर की सड़क व्यवस्था काफी दुरुस्त है और श्रीरंगपटना के लिए मुख्य शहरों से नियमित बसें भी चलती हैं।
PC:Subhashish Panigrahi
रूट
बेंगलुरू से श्रीरंगपटना की दूरी 130 किमी है। यहां पहुंचने के तीन रूट इस प्रकार हैं :
रूट 1 : बेंगलुरू - बिदादी - रामनगर - चन्नापटना - मंड्या - एनएच 275 से श्रीरंगपटना
रूट 2 : बेंगलुरू - थाटागुनी - कनकपुरा - मालावल्ली - बन्नूर - एनएच 209 से श्रीरंगपटना
रूट 3 : बेंगलुरू - नीलामंगला - सोलूर - कुनिगल - बेल्लूर - नागमंगला - एनएच 75 और एनएच 150 ए से श्रीरंगपटना
पहले रूट से एनएच 75 के ज़रिए श्रीरंगपटना पहुंचने में आपको 3 घंटे का समय लगेगा। इस रूट पर रास्ते में रामनगर, मंड्या और मद्दुरू जैसे कुछ शहर पड़ेंगें।
130 किमी लंबे इस सफर पर सड़क व्यवस्था काफी दुरुस्त है।
अगर आप दूसरे रूट से जाते हैं तो इसमें आपको बेंगलुरू से श्रीरंगपटना तक एनएच 209 से 3.5 घंटे का सफर तय करना पड़ेगा।
तीसरे रूट में एनएव 75 और एनएच 150 ए से 168 किमी का रास्ता है जिसमें 4 घंटे का समय लग सकता है।pc: Aditya Patawari
रामनगर और मद्दुरू में कहां रूकें
ट्रैफिक से बचने के लिए आपको बेंगलुरू से जल्दी निकलना पड़ेगा। हाईवे पर नाश्ते के लिए आपको कई विकल्प मिलेंगें जैसे कि बिदादी में आप थट्टे इडली और रामनगर में कामत लोक रूचि पर डोसा खा सकते हैं।pc:Ashwin Kumar
मद्दुर
मद्दुर, मद्दुर वाड़े के लिए लोकप्रिय है। मद्दुर की ट्रेनों में ये स्वादिष्ट व्यंजन खूब मिलता है। हालांकि, अधिक मांग होने के कारण अब ये स्नैक पूरे मद्दुर में मिलता है। ये चावल के आटे, सेमोलिना और प्याज, करी पत्ता, नारियल और हींग से बना है। लॉन्ग ड्राइव और बाइकिंग के लिए भी मद्दुर बहुत लोकप्रिय है। यहां पर आप जब चाहें अपने दोस्तों और परिवार के साथ आ सकते हैं। इस छोटे से शहर में ज्यादा कुछ तो नहीं है लेकिन घूमने के लिए आप इन जगहों पर जा सकते हैं।
यहां पर आठवीं शताब्दी में बना जैन मंदिर भी है भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा खोजा गया है। ईंटों और पत्थरों से बना ये मंदिर 100 फीट लंबा और 40 फुट चौड़ा है। यहां पर खुदाई में शिलाबलों, द्वारपालक और बाहुबली की 3.5 फीट लंबी मूर्तियां भी मिली हैं।
PC: Shailesh.patil
कोक्केरेबेलुर पक्षी अभ्यारण्य
पक्षियों को निहारने का शौक है तो आपको कोक्करेबेलुर पक्षी अभ्यारण्य जरूर आना चाहिए। दिसंबर और मार्च के बीच यहां घूमने आ सकते हैं। इस समय पक्षी यहां पर घोंसला बनाकर रहते हैं। यहां पर प्रवासी और स्वदेशी पक्षियों की 500 से ज्यादा प्रजातियां देखने को मिलेंगीं।
PC:T G Santosh
मद्दुरू मस्जिद
1937 में मद्दुरू मस्जिद को बनवाया गया था। इस मस्जिद में किसी भी धर्म के लोग संगीत गा सकते थे। मुस्लिम और अन्य धर्मों के बीच सामान्य मान्यताओं को स्थापित करने का ये बेहद शांतिपूर्ण और बेहतर उदाहरण है।
PC: Prof tpms
श्रीरंगपटना
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ये स्थान भगवान रंगनाथ का है। यहां पर स्थित पांच शिव मंदिरों में से एक श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर भी लोकप्रिय है। एकसाथ इन्हें पंचरंग क्षेत्रम के रूप में जाना जाता है और यहां पर आदि रंगा की पूजा होती है।PC: Akashofficial10
निमिशांबा मंदिर
मंदिर में पूजी जाने वाली देवी अपने भक्तों की मुरादों को एक मिनट में पूरा कर देती हैं। निमिशांबा, देवी पार्वती का ही एक रूप है। यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर को 400 साल पहले मुम्मादी कृष्णराज वोडेयर के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। देवी के बिलकुल सामने एक पत्थर पर श्री चक्र बना हुआ है। इस मंदिर में एक छोटा सा गर्भगृह भी है जिसमें सात कक्ष और विशाल प्रवेख स्तंभ है।
PC: officialsite
दरिया दौलत बाग
यह टीपू सुल्तान का तत्कालीन ग्रीष्मकालीन महल हुआ करता था। उस सदी की खूबसूरत स्थापत्य कला की झलक आप इस महल में देख सकते हैं। इस महल में पिकनिक मनाने के लिए एक बड़ा सा लॉन है। महल के परिसर के भीतर आप तस्वीरें भी खिंचवा सकते हैं।
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गुंबाज़
दरिया दौलमत बाग के बाद आप गुंबाज़ देखने के लिए निकल जाएं। गुंबाज़ हैदर अली, टीपू सुल्तान और उसकी मां फातिमा बेगम का मकबरा है।
इस संरचना को पर्शिया शैली में बनवाया गया है और इसमें बड़े आयातकार के आकार का एक बगीचा भी है जोकि मकबरे तक लेकर जाता है।PC: Ashwin Kumar
करीघट्टा
श्रीरंगपटना से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पहाड़ी क्षेत्र है करीघट्टा। इस पर्वत से माईसुरू और श्रीरंगपटना शहर का अद्भु नज़ारा देखने को मिलता है। पर्वत पर भगवान विष्णु को समर्पित कारीगिवास मंदिर भी है।pc:Nagesh Kamath