दिल्ली, 'शहरी चकाचौंध' के अलावा अपनी प्रेतवाधित जगहों के लिए भी चर्चाओं में रहता है। जहां इंसान नहीं बल्कि रूहानी ताकतें वास करती हैं। हालांकि बहुत लोग इन भूत-प्रेतों की बातों पर विश्वास नहीं करते। लेकिन उन लोगों का क्या जिन्होंने सच में यहां अदृश्य ताकतों का सामना किया है ? यह आज भी एक बड़ा सवाल बना हुआ है कि क्या भूत-प्रेत या जिन्न सच में होते हैं ?
आज इस विशेष खंड में हमारे साथ जानिए दिल्ली शहर की कुछ खास जगहों की बारे में जिनके पीछे की कहानी रहस्यों से भरी है, जिनका इतिहास खूनी स्याही से लिखा गया है। जानिए दिल्ली की चुनिंदा प्रेतवाधित जगहों के बारे में।
दिल्ली का खूनी दरवाजा
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खंडहर में तब्दील दिल्ली का लाल/खूनी दरवाजा बहादुर शाह ज़फ़र मार्ग पर स्थित है। जहां अब रूहानी ताकतों का कब्जा है। यह दिल्ली स्थित 13 ऐतिहासिक दरवाजों में से एक है जिसका निर्माण मुगल काल के दौरान करवाया गया था। इस लाल दरवाजे से एक खूनी दास्तां जुड़ी है। यहां दिल्ली के अंतिम मुगल बादशाह 'बहादुर शाह ज़फ़र' के तीनों बेटों को अंग्रेजों ने मौत के घाट उतार दिया था। माना जाता है कि आज भी उन तीन शहजादों की आत्मा इस लाल दरवाजें के आस-पास भटकती है।
दिल्ली कंटोनमेंट/कैंट
दिल्ली कंटोनमेंट भारत में अंग्रजों द्वारा बसाया गया था। अब यह इलाका एक डरावने जंगल में तब्दील हो चुका है। कहा जाता है यहां रात के वक्त कोई बुरी आत्मा मुसाफिरों से लिफ्ट मांगती है। अगर कोई आगे निकलने की कोशिश करता है तो वो उसका पीछा करती है। इसलिए यहां शाम के वक्त जल्दी से कोई नहीं भटकता।
जानकारों का मानना है कि यह किसी महिला ट्रैवलर की भटकती रूह है। हालांकि अभी तक किसी को कोई नुकसान पहुंचाने का मामला सामने नहीं आया है। कई लोगों ने इस आत्मा को देखा भी है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है इस विषय में कोई सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
फिरोज शाह कोटला किला
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फिरोज शाह कोटला किला एक खंडहरनुमा ऐतिहासिक किला है, जिसका निर्माण 1354 में तुगलकों द्वारा करवाया गया था। लागों का मानना है यहां अब शैतानी आत्माओं का वास है। जो रात के वक्त अजीबों गरीब निशान छोड़ कर चली जाती हैं। स्थानीय निवासियों की मानें तो यहां बृहस्पतिवार के दिन मोमबत्ती और अगरबत्ती जलती हुई मिलती हैं। इस वजह से यहां रात के वक्त कोई आता-जाता नहीं।
इसके अलावा किले के कुछ भागों में दूध और अनाज भी रखे मिलते हैं। अब इसके पीछे किसी शैतान का हाथ है या फिर कोई तांत्रिक विद्या का अभ्यास करता है, कोई सटीक प्रमाण उपलब्ध नहीं।
दिल्ली की खूनी नदी
दिल्ली स्थित, रोहिणी एशिया की सबसे बड़ी आवासीय कालोनी मानी जाती है। जहां सुबह से लेकर रात तक चहल-पहल बनी रहती है। लेकिन इसी शोरगुल के बीच एक ऐसी भी जगह है जहां लोग जान-बुझकर भी जाना पसंद नहीं करते हैं। वो जगह है 'खूनी नदी'। कहा जाता है कि यहां इंसानों की लाश मिलना आम बात है। मौत के अलग-अलग कारण हो सकते हैं लेकिन इसी नदी के किनारे लाशों का मिलना एक बड़ा रहस्य बना हुआ है। इसलिए यहां शाम के वक्त कोई रूकता नहीं।
डरावना संजय वन
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दिल्ली स्थित 'संजय वन' वसंत कुंज और मेहरौली के निकट एक विशाल वन क्षेत्र है। जो लगभग 783 एकड़ में फैला है। यह पूरा जंगल बड़ी-बड़ी घासों से भरा है, जो देखने में काफी डरावना एहसास कराती हैं। जानकारों का मानना है कि यहां बच्चों की आत्माएं भटकती हैं। दावा किया जाता है कि यहां आत्माओं के रूप में बच्चे खेलते हुए दिखाई देते हैं।
इसलिए इस घने जंगल में लोग अकेले जाने से डरते हैं। शाम के वक्त यहां का नजारा बेहद डरावना हो जाता है। इन्हीं कारणों से इस जगह को दिल्ली के प्रेतवाधित जगहों में गिना गया है।
भूली भटियारी का महल
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दिल्ली के झंडेवालान में स्थित भूली भटियारी का महल, किसी जमाने में तुगलकों का शिकार क्षेत्र हुआ करता था। जो अब दिल्ली के प्रेतवाधित जगहों में गिना जाता है। कहा जाता है कि यह पूरा इलाका शाम ढलते ही शैतानी शक्तियों के कब्जे में आ जाता है।
जिसके बाद शुरू होता है अजीबो-गरीब आवाजों का सिलसिला। जो इस पूरे क्षेत्र को काफी डरावना बना देती हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि यहां कोई भटकती आत्मा वास करती है। इस बात में कितनी सच्चाई है पता नहीं लेकिन यह जगह सच में काफी डरावनी है।
जमाली-कमाली का मकबरा
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दिल्ली के महरौली स्थित जमाली-कमाली मकबरा चुनिंदा प्रेतवाधित जगहों में शुमार है। जहां 16वीं शताब्दी के दो सूफी संत जमाली और कमाली की कब्र मौजूद है। लोगों का मानना है कि इस जगह पर जिन्न रहते हैं। इस वजह से यहां शाम का मंजर डरवाना हो जाता है। कई लोगों ने यहां रूहानी ताकतों का सामना भी किया है। इस मकबरे का निर्माण हुमायूं के शासनकाल के दौरान किया गया था। जहां इन दो सूफी संतों की संगमरमर की कब्र मौजूद है।
दिल्ली का मालचा महल
दिल्ली के सेंट्रल रिज इलाके में स्थित मालचा महल दिल्ली के चुनिंदा डरावानी जगहों में गिना जाता है। इस महल का निर्माण फ़िरोज़ शाह तुगलक ने करवाया था। चूंकि कई साल बीत चुके हैं तो यह महल एक खंडहर में बदल चुका है। कहा जाता है कि यहां अवध घराने की बेगम विलायत की आत्मा भटकती है।
बेगम विलायत यहां अपने दो बच्चों व पांच नौकरों के साथ रहने आई थीं। जानकारों की मानें तो बेगम ने खुद को इस महल की दीवारों में कैद कर लिया था। जिसके बाद 10 सितम्बर 1993 को उनकी आत्महत्या की खबर मिली। लोगों का मानना है कि आज भी यहां उनकी आत्मा भटकती है।