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बीवी,गर्लफ्रेंड बाहों में बाहें डाल क्यों न साउथ इंडिया में लिया जाये मॉनसून का मज़ा

By Belal Jafri

जलती चुभती गर्मी के बाद बारिश और मॉनसून का अपना एक अलग ही मज़ा है। जहां एक तरफ ये बारिश आपको उमस भरी गर्मी से राहत देती है तो वहीँ दूसरी तरफ बारिश में नहाए पेड़ पौधों और वनस्पति को भी देखकर आपका मन मंत्र मुग्ध हो जाता है जिससे आप प्रफुल्लित हो उठते हैं। जी हां दक्षिण भारत में मॉनसून की शुरुआत हो चुकी है तो आज इसी क्रम में हम आपको अवगत कराएंगे दक्षिण भारत के उन खूबसूरत स्थानों से जहां इस मॉनसून वेकेशन पर जा सकते हैं आप। ट्राइबल इंडिया तस्वीरों में

आज दक्षिण भारत में ऐसा बहुत कुछ है जो पर्यटन को बढ़ावा देते हुए देश दुनिया के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहा है। यदि आपको नेचर को उसके सबसे खूबसूरत अंदाज़ में देखना है तो आप कूर्ग या कोडैकनाल का रुख करें। Pics : लव मेकिंग सिखाती हैं इरोटिका से लिप्त खजुराहो की ये मूर्तियां

यदि पहाड़ से निकल कर शोर मचाते हुए झरनों में आपकी दिलचस्पी है तो आप जोग फॉल्स जैसे स्थान की यात्रा कर सकते हैं यहाँ। तो अब देर किस बात की आइये कुछ चुनिंदा स्लाइड्स के जरिये जाना जाये कि इस मॉनसून दक्षिण भारत में कहां कहां घूमकर अपने वेकेशंस को यादगार बनाया जा सकता है।

बिंदूर

बिंदूर

बिंदूर एक छोटा सा गाँव है। यह उडपी जिले के कुंदापुर तालुक में है। बिंदूर जाना जाता है अपने खूबसूरत तटों और सुन्दर दिखने वाले सूर्यास्त के लिए। यहाँ का सोमेश्वर मंदिर जो कि शिव मंदिर है, समुंदरी तट पर स्थित है। इस मंदिर में स्थापित लिंग और सुन्दर मूर्तियाँ इसे और भी खूबसूरत बनती हैं। पौराणिक कथा के अनुसार बिंदूर गाँव का नाम संत बिंदु के नाम पर रखा गया है। कहा जाता है कि उन्होंने ओटिनिनी नामक पहाड़ी पर निरंतर और कठिन तपस्या की, जिसके कारण इस गाँव का नाम बिंदूर रख दिया गया। इस पहाड़ी की चोटी से आप पूरे समुद्र, समुंद्री तट और सूर्यास्त को देख सकते हैं।

कूर्ग

कूर्ग

कुर्ग या कोडागु, कर्नाटक के लोकप्रिय पर्यटन स्‍थलों में से एक है। कूर्ग, कर्नाटक के दक्षिण पश्चिम भाग में पश्चिमी घाट के पास एक पहाड़ पर स्थित जिला है जो समुद्र स्‍तर से लगभग 900 मीटर से 1715 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।कूर्ग को भारत का स्‍कॉटलैंड कहा जाता है और इसे कर्नाटक का कश्‍मीर भी कहा जाता है। यह स्‍थान यहां पाई जाने वाली हरियाली के कारण के प्रसिद्ध है, यहां की सुंदर घाटियां, रहस्‍यमयी पहाडि़यां, बड़े - बड़े कॉफी के बागान, चाय के बागान, संतरे के पेड़, बुलंद चोटियां और तेजी से बहने वाली नदियां, पर्यटकों का मन मोह लेती है। यह दक्षिण भारत के लोगों का प्रसिद्ध वीकेंड गेटवे है, दक्षिण कन्‍नड़ के लोग यहां विशेष रूप से वीकेंड मनाने आते है।

दांदेली

दांदेली

दांदेली कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में स्थित एक छोटा सा कस्बा है। पश्चिमी घाट के घने पतझड़ जंगलों सो घिरा दांदेली दक्षिण भारत के साहसिक क्रीड़ा स्थल के रूप में जाना जाता है। यह शान्त शहर राज्य में एक शैक्षणिक और औद्यौगिक केन्द्र के रूप में विख्यात है और कागज उत्पादन तथा कई कागज की मिलों (वेस्ट कोस्ट पेपर मिल्स) के लिये जाना जाता है, जो पूरे दांदेली के भूभाग को घेरे हैं। दांदेली एक प्रमुख पर्यटक स्थल भी है क्योंकि यह भारत के मशहूर सफेद पानी के राफ्टिंग स्थानों में से एक है।

जोग फॉल्स

जोग फॉल्स

जोग फॉल्स शायद प्रकृति की महिमा का सबसे शानदार उदाहरण है। वह शरावती नदी से उत्पन्न होता है और चार अलग धाराओं को मिलाकर बनता है और इन्हें राजा,रानी,रोवर और रॉकेट कहते हैं। चट्टानों या अन्य प्रकार के ऋण भार से मुक्त 830 फुट की ऊंचाई के नीचे सीधे व्यापक इस शानदार चादर से झरने की दृष्टि से हजारों आगंतुकों का मन मोह गया है। इस दृश्य के सौंदर्य को यहाँ के हरे - भरे प्राकृतिक सौंदर्य के वातावरण ने बढ़ाया है। आप जोग फॉल्स की भव्यता का दृश्य अनेक प्रेक्षण स्थल के सहूलियत से कर सकते हैं।

कोवलंग

कोवलंग

कोवलंग तमिलनाडु के तट पर स्थित एक फिशिंग गाँव है तथा जिन लोगों को समुद्र तट पसंद है उनके लिए यह उचित स्थान है। यह चेन्नई के पास स्थित है तथा अनेक मायनों में सप्ताहांत में घूमने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। यहाँ के डच महल को रिसॉर्ट में बदल दिया गया है तथा यह प्रतिवर्ष हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है। ताज फिशरमेंस कोव के नाम से प्रसिद्ध यह स्थान आराम करने के लिए तथा अच्छा समय बिताने के लिए उचित स्थान है।

कोडैकनाल

कोडैकनाल

कोडैकनाल पश्चिमी घाट में पलानी पहाड़ियों में स्थित एक सुंदर और खूबसूरत हिल स्टेशन है। शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और लोकप्रियता के कारण हिल स्टेशनों की राजकुमारी के रूप में प्रसिद्ध है। तमिलनाडु के डिंडागुल जिले में स्थित शहर समुद्र तल से 2133 मीटर की ऊंचाई पर एक पठार के ऊपर है। छुट्टी मनाने के लिये कोडैकनाल आज सबसे प्रसिद्ध गंतव्यों में से एक है। यह हनीमून जोड़ों का पसंदीदा स्‍पॉट है। वृक्षों के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के साथ घने जंगल के बीच स्थित, चट्टानों और झरनों को देखना हो तो यहां जरूर जायें।

कोल्ली हिल्स

कोल्ली हिल्स

कोल्ली हिल्स भारत के तमिलनाडु राज्य में नामक्कल जिले में स्थित पर्वत श्रेणी है। ये पर्वत श्रेणियां लगभग 280 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फ़ैली हुई हैं तथा इनकी ऊँचाई लगभग 1000 से 3000 मीटर है। यह पूर्वी घाटों का एक भाग है तथा अभी तक मानवीय गतिविधियों और व्यापारिक शोषण से अछूता है, अत: आज भी इसने अपनी प्राकृतिक भव्यता को बना रखा है।

कोटागिरी

कोटागिरी

नीलगिरी जिले में स्थित कोटागिरी को एक प्रमुख हिल स्टेशन होने के नाते इसे कुन्नूर व ऊटी की श्रेणी में रखा जा सकता है। यह तीनों में कई मामलों में सबसे पीछे है,लेकिन खूबसूरत वातावरण के मामले में सबसे पीछे नहीं है। यहीं से ईसाई मिशनरी के पुत्र, राल्फ थामस हाचकिन ग्रिफिथ, नें वेदों के अनुवाद का शुभारम्भ किया था। हिल स्टेशन, समुद्र तल से 1793 मीटर की शानदार ऊंचाई पर स्थित है, और ट्रैकिंग अभियानों के लिए एक बेहतर स्थान है। यहां इसी तरह के और भी बहुत से ट्रैकिंग स्थल नीलगिरी के कई अन्य भागों में बसे हुए हैं। तथा जहां मानवीय सभ्यता अभी भी नहीं पहुंची हैं।

पुलिकट

पुलिकट

तमिलनाडू राज्य में कोरोमंडल समुद्रतट पर स्थित पुलिकट, एक छोटा परंतु खूबसूरत शहर है। सत्रहवीं शताब्दी में यहाँ प्रमुख रूप से डच लोगों का आधिपत्य था इसलिए ये छोटा सा शहर जीवंत और विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं का पालन करता है। परंतु इस क्षेत्र का इतिहास केवल डच कॉलोनियों तक सीमित नहीं है। यदि हम पुलिकट के इतिहास को देखें तो यहाँ पुर्तगाली और अंग्रेजों के स्थापत्य के निशान भी देखने को मिलते हैं। इन्होंने भी इस स्थान की संस्कृति और विरासत को बढाने में अपना योगदान दिया है।

ट्रांक्यूबर

ट्रांक्यूबर

ट्रांक्यूबर, जिसे पहले थरंगमबाड़ी के नाम से जाना जाता था, तमिलनाडु के नागापट्टिनम जिले में स्थित एक शहर है। थरंगमबाड़ी का शाब्दिक अर्थ है "संगीतमय लहरों की भूमि"। वर्ष 1620 से लेकर 1845 तक यह डेनिश(दानिश) सत्ता के अधीन था और डेनिश में इसे ट्रांकेबर के नाम से ही जानते है। सत्रहवीं शताब्दी से लेकर उन्नीसवी शताब्दी के मध्य तक ट्रांक्यूबर ने स्वर्णिम दिन देखें हैं। इस समय यह डेनिश द्वारा नियंत्रित एक अत्यंत महत्वपूर्ण बंदरगाह था।

येलागिरी

येलागिरी

येलागिरी को एलागिरी भी कहते है, यह तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में बसा हुआ छोटा सा हिल स्टेशन है और इसको पर्यटकों का स्वर्ग भी कहा जाता है। इसका इतिहास प्रवासिय समय का है जब सारा येलागिरी वहां के ज़मीदारों की निजी संपत्ति हुआ करती थी जिनके घर आज भी रेड्दीयुर में मौजूद है। 1950 दशक के शुरुवात में, भारत सरकार द्वारा येलागिरी ले लिया गया था। यह जगह समुद्र तल से 1048 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, और आदिवासी आबादी वाले लगभग 14 गांवों का एक समूह यहाँ है। विभिन्न जनजातियों की आबादी वाला यह हिल स्टेशन, तमिलनाडु के अन्य हिल स्टेशन जैसे ऊटी या कोडाइकनाल की तरह विकसित नहीं है।

यरकौड

यरकौड

यरकौड तमिलनाडु की शेवारॉय पहाड़ियों में स्थित है तथा पूर्वी घाटों में स्थित एक हिल स्टेशन है। यह 1515 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और खुशनुमा मौसम बहुत से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यद्यपि यरकौड को कभी कभी गरीब लोगों का उटकमंडलम भी कहा जाता है क्योंकि प्रसिद्ध हिल स्टेशन ऊटी की तुलना में यहाँ चीज़ें अधिक सस्ती हैं।

पालक्कड़

पालक्कड़

पालक्कड़, जिसे पूर्व में पालघाट के नाम से जाना जाता था, केरल का एक जिला है जो पश्चिमी घाट की सर्पीली पहाड़ियों में स्थित है। पालक्कड़ केरल के अन्य भागों से मुख्य रूप से अपने ग्रामीण परिवेश और लहलहाती धान की खेती के कारण अलग है। लम्बी कतार में पॉम के पेड़, हरे-भरे मैदान, घने ऊष्णकटिबंधीय जंगल और टेढ़े- मेढ़े पहाड़ी रास्ते पर्यटकों के लिये शानदार दृश्य प्रस्तुत करते हैं। केरल के धान उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान होने के कारण पालक्कड़ को 'केरल का धान का कटोरा' और 'केरल का अन्न भण्डार' नामक दो उपनामों से जाना जाता है।

पियरमेड

पियरमेड

कोट्टायम के पूर्व में 85 किमी की दूरी पर स्थित ‘पियरमेड ', केरल के सबसे अधिक मांग वाले पहाड़ी स्टेशनों में से एक है। यह पहाड़ी क्षेत्र आनंददाई ट्रैकिंग परीक्षण, परिदृश्यों की एकदम साफ़ और ख़ूबसूरती की आदर्श तस्वीर और शांत रूमानी मौसम के साथ अपने आगंतुकों को इशारे से बुलाता है। बागानों के इस शहर का यह नाम एक सूफ़ी संत ‘पीर मोहम्मद' के नाम पर रखा गया, जिनके ट्रावनकोर के शाही परिवार के साथ करीबी संबंध थे।

पोनानी

पोनानी

केरल के मलप्पुरम जिले में स्थित पोनानी एक छोटा लेकिन सुन्दर कस्बा है। पश्चिम में अरब सागर से घिरा यह कस्बा मालाबार का मुख्य तटीय क्षेत्र व मछली पकड़ने का प्रमुख केन्द्र है। यह समुद्र तट विस्तार तथा कई मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध है। इस कस्बे का दक्षिण भारत के सबसे पुराने बंदरगाहों में से एक मालाबार के व्यापार एवं अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। पोनानी ‘दक्षिण भारत के मक्का 'के रूप में जाना जाता है क्योंकि सदियों से यह इस्लामी शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा है। यह ज्वारीय स्थल केरल की दूसरी सबसे लंबी नदी ‘भरतपुजा' के किनारे पर स्थित है। कस्बे में हिंदुओं और मुसलमानों की घनी आबादी है जिसमें यहां की सांस्कृतिक और धार्मिक सह-अस्तित्व की मिसाल दिखाई पड़ती है।

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