.. कोई मंदिर अपने वैभव के कारण प्रसिद्ध है तो कोई भक्तों की आस्था के कारण तो कोई मंदिर अपने रहस्यमयी ढंग के कारण। भारतीयों में आस्था और विश्वास" loading="lazy" width="100" height="56" />भारत मन्दिरों का देश है.. कोई मंदिर अपने वैभव के कारण प्रसिद्ध है तो कोई भक्तों की आस्था के कारण तो कोई मंदिर अपने रहस्यमयी ढंग के कारण। भारतीयों में आस्था और विश्वास
भारत जहाँ कण कण में भगवान बसते हैं, जहाँ धर्म और आस्था को जीवन माना जाता है। यहाँ पर धार्मिक और तीर्थ स्थलों का यूँ तो अम्बार है और हर स्थल की कोई न कोई मान्यता है। खैर आज हम आपको अपने लेख से एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां रहस्यमयी ढंग से नंदी महाराज की प्रतिमा लगातार रहस्यमय तरीके से विशालकाय होती जा रही है, जिसकी वजह से यह यागंती उमा महेश्वर मंदिर काफी सुर्खियों में है।
हरि की ओर बुलाने वाला द्वार 'हरिद्वार'
यह मंदिर आंध्र प्रदेश के कुरनूल ज़िले में स्थित यागंती उमा महेश्वर मंदिर हमारे देश के ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है।यह मंदिर जितना अद्भुत है अपने आप में उतने ही रहस्यों को समेटे हुए है।
किसने कराया मंदिर का निर्माण?
आन्ध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित संगमा राजवंश के द्वारा बनवाया गया यागंती उमा महेश्वर मंदिर आज भी अपनी अद्भुद्ता के लिए प्रसिद्ध है । यह मंदिर जितना अद्भुत है अपने आप में उतने ही रहस्यों को समेटे हुए है।
ऋषि अगस्त्य ने की है यहां उपासना
कहा जाता है ऋषि अगस्त इस स्थान पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनाना चाहते थे पर मंदिर में मूर्ति की स्थापना के समय मूर्ति के पैर के अंगूठे का नाखून टूट गया जिसके कारण को जानने के लिए भगवन शिव की तपस्या की उसके बाद भगवान शिव के आशीर्वाद से ऋषि अगस्त्य ने यहाँ उमा महेश्वर की स्थापना की।
20 साल में 1 इंच बढ़ती है मूर्ति
इस यागंती उमा महेश्वर मंदिर में स्थापित नंदी की मूर्ति का आकार हर 20 साल में करीब एक इंच बढ़ जाती है। इस रहस्य से पर्दा उठाने के पुरातत्व विभाग की ओर से शोध भी किया गया था। इस शोध के मुताबिक कहा जा रहा था कि इस मूर्ति को बनाने में जिस पत्थर का इस्तेमाल किया गया था उस पत्थर की प्रकृति बढ़नेवाली है। इसी वजह से मूर्ति का आकार बढ़ रहा है।
क्या नंदी के जीवित होते ही हो जायेगा कलयुग का अंत?
नंदी को लेकर ऐसी मान्यता है कि एक दिन ऐसा आएगा जब नंदी महाराज जीवित हो उठेंगे, उनके जीवित होते ही इस संसार में महाप्रलय आएगा और इस कलयुग का अंत हो जाएगा।इस यागंती उमा महेश्वर मंदिर में स्थापित नंदी की मूर्ति का आकार हर 20 साल में करीब एक इंच बढ़ जाती है।भारतीय पुरातत्व विभाग के अनुसार मूर्ति हर साल बढ़ रही है, नंदी का आकार बढ़ने की वजह से मंदिर के संस्थापक एक खम्भे को भी हटा चुके हैं।
नहीं आते कौवे
इस मंदिर के आसपास आपको कभी भी कौवे नजर नहीं आयेंगे... मान्यता है कि तपस्या के समय विघ्न डालने की वजह से ऋषि अगस्त ने कौवों को यह श्राप दिया था कि अब कभी भी कौवे मंदिर प्रांगण में नही आ सकेंगे।
कहां से आता है पानी?
इस मंदिर में नंदी के मुख से लगातार पानी गिरता रहता है, बहुत कोशिशों के बाद भी आज तक कोई पता नही लगा सका की पुष्करिणी में पानी कैसे आता है। ऐसी मान्यता है कि ऋषि अगस्त्य ने पुष्करिणी में नहाकर ही भगवान शिव की आराधना की थी।
मंदिर में और क्या क्या देखे?
पुष्करिणी
पुष्करिणी यागंती उमा माहेश्वर मंदिर परिसर में एक छोटा सा तालाब है..इस पुष्करिणी में लगातार नंदी के मुख से पानी गिरता रहता है। ऐसी मान्यता है कि ऋषि अगस्त्य ने पुष्करिणी में नहाकर ही भगवान शिव की आराधना की थी। इस पानी में नहाने से शरीर के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
ऋषि अगस्त्य की गुफा
इस मंदिर परिसर में आज भी ऋषि अगस्त्य की गुफा को देखा जा सकता है..जहां बैठकर ऋषि अगस्त्य ने भगवान शिव की आराधना की थी। इस गुफा तक पहुँचने के लिए आपको करीबन 120 सीढियाँ चड़कर ऊपर पहुंचना होगा।
वेंकटेश्वर गुफा
इस गुफा में भगवान वेंकटेश्वर की क्षतिग्रस्त प्रतिमा मौजूद है। अगस्ता गुफा के मुकाबले यह चढ़ना आसान है, हालांकि यह एक खड़ी चड़ाई हैं। कहानी के मुताबिक तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर का निर्माण होने से पहले इस मूर्ति इस गुफा में मौजूद थी। लेकिन जैसा कि पैर के पास मूर्ति क्षतिग्रस्त है, इसकी पूजा नहीं की जा सकती।
वीरा ब्रह्मम गुफा
यह गुफा है जहां संत संत पटेलुड़ी वीरा ब्रह्मेन्द्र स्वैमी ने अपने कुछ कालाननाम (भविष्यवाणी) को लिखा था। गुफा की ऊंचाई कम है, यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कैसे जायें
यागंती उमा माहेश्वर मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित है, कुरनूल शहर से लगभग 100 किमी दूर है। मंदिर बननापल्ली-पेपुलली सड़क पर बांनापनल (मंडल मुख्यालय) से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।