ताजमहल, आगरा का किला और फतेहपुर सीकरी तो आपने आगरा की यात्रा में कई बार देखे होंगे। पर फिर भी बार-बार वहाँ जाने का आपका मन ज़रूर ही करता होगा। पर क्या आपको इन सबके पास ही स्थापित अकबर के मक़बरे के बारे में पता है? नहीं पता? कोई बात नहीं आज हम आपको अकबर के मक़बरे की सैर पर लिए चलते हैं, जिसे खुद अकबर ने बनवाना प्रारंभ कराया था।
अकबर का मकबरा
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अकबर का मकबरा, आगरा के उपनगर सिकंदरा में स्थापित है। सिकंदरा का नाम सिकंदर लोदी के नाम पर पड़ा था। इससे आप खुद ही पता लगा सकते हैं कि यह मकबरा मुगल वंश का कितना महत्वपूर्ण मकबरा है। इसका निर्माण कार्य अकबर ने शुरू करवाया था जिसे वो पूरा नहीं कर पाए थे। इसके पूरे होने से पहले ही अकबर की मृत्यु हो गयी। इसे बाद में उनके पुत्र जहाँगीर ने पूरा करवाया था।
यहाँ की वास्तुकला में आप इस्लामिक, हिंदू, ईसाई,बौद्धिक और जैनी शैलियां एक साथ देख सकते हैं। दीवारो के एक-एक कोने, एक-एक खिड़कियों में बारीकी से कई शैलियां उकेरी गयी हैं। यह मकबरा हिंदू, ईसाई, इस्लामिक, बौद्ध और जैन कला का सर्वोत्तम मिश्रण है।
परिसर के अंदर से अकबर के मक़बरे का मुख्य द्वार
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मक़बरे का इतिहास
अकबर ने इस मक़बरे का निर्माण कार्य1600 ईसवीं में प्रारंभ करवाया था। इस मक़बरे की रूपरेखा और जगह अकबर ने खुद से ही तैयार किए थे। अकबर एक बहुत महान शासक हुआ करते थे। पर यह मकबरा कई मुश्किल दौर से भी गुज़रा है। अकबर के परपोते औरंगज़ेब के शासन कल में, राजा राम जाट के अधीन जाटों ने इस मक़बरे पर हमला कर दिया था। मक़बरे के अंदर की सारी संपत्ति, सोने चाँदी से किए गये नक्काशी, कीमती कालीनों को लूट लिया गया और मक़बरे को ध्वस्त किया गया।
अकबर का क़ब्रगाह
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राजा राम जाट ने अपने पिता गोकुल की मृत्यु का बदला लेने के लिए पूरे मक़बरे को लूट लिया और उसके बाद मक़बरे में ही अकबर की क़ब्रगाह से उनकी अस्थियों को बाहर निकाल जला दिया। इस घटना के बाद औरंगज़ेब ने उसे मृत्यु के घाट उतार दिया।
इस मक़बरे को इस घटना के बाद बहुत ज़्यादा छती पहुँची थी। बाद में ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन लॉर्ड करज़न की देख रेख में इसका फिर से व्याप्त मरम्मत करवाया गया।
दीवारों पर की गयी कारीगरी
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मक़बरे की वास्तुकला
मकबरे के चारों कोनों पर तीन मंजिला मीनारें हैं। ये मीनारें लाला पत्थर से बनी हैं जिन पर संगमरमर का सुंदर काम किया गया है। मकबरे के चारों ओर खूबसूरत बगीचा है जिसके बीच में बरादी महल है जिसका निर्माण सिकंदर लोदी ने करवाया था। पांच मंजिला इस मकबरे की खूबसूरती आज भी बरकरार है।
यह मकबरा आगरा से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर है। सिकंदरा से आगरा के बीच कई सारे मक़बरे हैं। बीच में दो कोस मीनारें भी हैं। इस इमारत को देखकर पता चलता है कि, मुगल कला कैसे विकसित हुई।
क़ब्रगाह के दरवाज़े पर की गयी हस्तलिपि कला
Image Courtesy: subbu arumugam
आप यहाँ कोई भी निजी गाड़ी बुक कर पहुँच सकते हैं। आगरा के कई बस अड्डों से यहाँ तक के लिए बसों की सुविधा भी उपलब्ध है। तो अगली बार आगरा की यात्रा में इस मक़बरे का दीदार कर अपने आगरा की यात्रा को पूरा करिए। मुगलों के इतिहास को करीब से जानने के लिए आगरा की यात्रा से अच्छी यात्रा और क्या होगी।
अपने महत्वपूर्ण सुझाव व अनुभव नीचे व्यक्त करें।
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