
भगवान कृष्ण विष्णु के 8वें अवतार माने जाते हैं। जिन्हें हिन्दू धर्म में अलग-अलग नामों (कन्हैया, श्याम, केशव, द्वारकेश, वासुदेव) से जाना जाता है। देवी-देवताओं में कृष्ण सबसे नटखट स्वभाव के माने जाते हैं, जिनसे कई लीलाएं जुड़ी हैं। कृष्ण का जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनका जन्म मथुरा के कारावास में हुआ और लालन पालन गोकुल में।
ये हैं कुष्ण के जन्म से जुड़ी बातें, लेकिन क्या आप उस स्थान के बारे में जानते हैं जहां भगवान कृष्ण ने अपना देह त्यागा था ? और वो क्या कारण था जिसकी वजह से खुद कृष्ण को अपनी मृत्यु स्वीकार करनी पड़ी। आज हमारे साथ जानिए उस स्थान के बारे में जिससे जुड़ा है भगवान कृष्ण की मृत्य का बड़ा राज।

कृष्ण ने यहां त्यागे थे अपने प्राण
PC- Manoj Khurana
भगवान कृष्ण की मृत्यु का राज जुड़ा है गुजरात के सौराष्ट्र में स्थित भालका तीर्थ से। यही वो स्थान है जहां श्रीकृष्ण ने अपना अंतिम समय बिताया था। यहां भगवान कृष्ण को समर्पित एक मंदिर भी मौजूद है। जिसकी अपनी अलग धार्मिक विशेषता है। यह स्थान कृष्ण के अंतिम समय की याद दिलाता है। रहस्य : कहीं भूत मारते हैं तमाचा तो कहीं अपने आप पहाड़ चढ़ती हैं गाड़ियां
माना जाता है यहां सच्चे मन से मांगी मुराद अवश्य पूरी होती हैं। इसलिए यहां भक्तों का आना जाना लगा रहता है। यह स्थान हिन्दुओं के प्रमुख तीर्थ स्थानों में गिना जाता है। आप यहां कृष्ण भक्ति में लीन श्रद्धालुओं को देख सकते हैं।

श्रीकृष्ण के मुत्यु का बड़ा राज
PC- Maharaja Mahatab Chand Bahadur
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जिसके बाद कृष्ण ने निजधाम प्रस्थान किया। यहां वो पेड़ भी मौजूद है जहां कृष्ण ने अपना देह त्यागा था। कहा जाता है वो पेड़ कभी नहीं सूखता। आज भी वो उसी हालात में खड़ा है।

कैसे लगा शिकारी का तीर ?
PC- Manoj Khurana
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उसी वक्त जर नाम का शिकारी जानवर की खोज में इधर आया, उसे लगा कि वो रोशनी किसी जानवर से आ रही है इसलिए उसने बिना सोचे अपना तीर उस दिशा में चला दिया। जो भगवान कृष्ण को जा लगा।

देहोत्सर्ग तीर्थ
PC- Manoj Khurana
धार्मिक मान्यता से अनुसार देहोत्सर्ग वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण पंच तत्वों में विलीन हुए थे। कहा जाता है बाण लगने के बाद कृष्ण यहां हिरण नदी के तट पर पहुंचे थे। यह स्थान सोमनाथ से लगभग डेढ़ किमी की दूरी पर स्थित है।
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कैसे करें प्रवेश
आप भालका तीनों मार्गों से आसानी से पहुंच सकते हैं। यह तीर्थ स्थान अच्छी तरह रेल/ सड़क/ वायु मार्गों से जुड़ा हुआ है। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन वेरावल है। हवाई मार्ग के लिए आप राजकोट /केशोद हवाई अड्डे का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। भालका गुजरात के बड़े शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। अद्भुत : इस अनोखी अदालत में देवी-देवताओं को मिलती है सज़ा