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बोधगया-जहां गौतम बने थे बुद्ध और दिए थे उपदेश

बोध गया बिहार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है..जोकि गया से 11 किमी की दूरी पर निरंजना नदी के तट पर स्थित है।

By Goldi

बोध गया बिहार के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है..जोकि गया से 11 किमी की दूरी पर निरंजना नदी के तट पर स्थित है।बोधगया दुनिया का ऐसा महत्वपूर्ण स्थल है जो पूरी तरह बौद्ध धर्म को समर्पित है।

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यहां मौजूद बरगद के पेड़ के नीचे ही कपिलवस्तु के राजकुमार गौतम को बौद्धिक ज्ञान प्राप्त हुआ था और वह महात्मा बुद्ध के नाम से पूरी दुनिया में जाने गए। अहिंसा,करुणा,शांति और प्रेम का संदेश देने वाले महात्मा बुद्ध की इस कर्मस्थली पर्यटकों को अपनी ओर काफी आकर्षित करती है।

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बोधी पेड़ बोधगया का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी फिर बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ था। बैशाख (मई) के महीने में यहां मेला लगता है। जिसमें इस वृक्ष की पूजा की जाती है। बौद्ध धर्म के अनुयायी खास तौर से इस पेड़ की पूजा करते हैं ताकि वह महात्मा बुद्ध के दिखाए पद चिन्हों पर चल सकें। आइये स्लाइड में जान बोधगया के बारे में......

महाबोधि मंदिर

महाबोधि मंदिर

महाबोधि मंदिर दुनियाभर का सबसे प्रसिद्ध बौद्ध धार्मिक स्थल है क्योंकि यह वही स्थान है जहां गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। मंदिर के पश्चिमी हिस्से में पवित्र बोधि वृक्ष स्थित है। सम्राट अशोक को महाबोधि मंदिर का संस्थापक माना जाता है। मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की बड़ी सी प्रतिमा है जो ध्यान की मुद्रा में है।विशाल महाबोध‍ि मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है. केवल बौद्ध ही नहीं, बल्कि हिंदू धर्म को मानने वाले भी यहां बड़ी श्रद्धा के साथ सिर नवाते हैं।PC: wikimedia.org

बुद्ध प्रतिमा

बुद्ध प्रतिमा

बोधगया में स्थ‍ित महात्मा बुद्ध की यह भव्य प्रतिमा करीब 80 फुट ऊंची है। बोधगया आने वाले दूसरे देशों के पर्यटकों में नेपाल, श्रीलंका, जापान, म्यांमार, चीन आदि के नागरिकों की तादाद ज्यादा होती है।

बोधि वृक्ष

बोधि वृक्ष

बोधी पेड़ बोधगया का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसी वृक्ष के नीचे भगवान बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी फिर बौद्ध धर्म का प्रचार हुआ था। बैशाख (मई) के महीने में यहां मेला लगता है। जिसमें इस वृक्ष की पूजा की जाती है। बौद्ध धर्म के अनुयायी खास तौर से इस पेड़ की पूजा करते हैं ताकि वह महात्मा बुद्ध के दिखाए पद चिन्हों पर चल सकें।PC:Ken Wieland

बोधगया

बोधगया

बोधगया में मंदिरों और मठों की भरमार है।यहां कई संस्कृतियों का संगम दिखाई पड़ता है। देश-विदेश के श्रद्धालु आध्यात्म‍िक रूप से तृप्त होने के लिए बोधगया के मंदिरों के दर्शन करने आते हैं।PC:srlasky

सूर्य मंदिर

सूर्य मंदिर

बोध गया से 32 किलोमीटर दूर देव स्थित सूर्य मंदिर की वास्तुकला बेहद खूबसूरत है। इस मंदिर को देखकर ओडि़शा के कोणार्क मंदिर की याद आती है क्योंकि इसका निर्माण कोणार्क मंदिर की तरह ही किया गया है। अक्टूबर-नवम्बर के महीने में यहां बिहार का पारंपरिक छठ उत्सव मनाया जाता है।

बोधगया

बोधगया

बोधगया से 12 किलोमीटर दूर है प्रेतशीला पहाड़, जो गया की बेहद खूबसूरत जगह है। इस पहाड़ के नीचे है ब्रहम कुंड जिसमें स्नान कर लोग पिंडदान करते हैं। इस पहाड़ पर स्थित है 1787 में बना अहिल्या बाई मंदिर, जिसे इंदौर की रानी अहिल्या बाई ने बनवाया था। इस मंदिर की बेहतरीन कारीगरी और शानदार मूर्तिकला को देखने देश-विदेश से पर्यटक आते हैं।

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