गुलाबी नगरी छोड़िये..और घूमिये राजस्थान की ब्लू सिटी को..
जैलोर को जलोर भी कहा जाता है। शुरुआत में इसे यहां रहने वाले संत महर्षि जबाली के नाम पर जबलीपुरा के नाम से जाना जाता था। बाद में ये स्थान स्वर्णगिरी यानि सोने के पर्वत के नाम से मशहूर हो गई। यहीं पर सुप्रसिद्ध जैलोर किला भी स्थापित है।
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जैलोर का मुख्य आकर्षण है जैलोर का किला। इस किले को देश के सबसे अजेय और अभेद्य किले के रूप में भी जाना जाता है। ये खूबसूरत जैलोर का किला एक खड़ी पहाड़ी पर स्थित है। इस किले के निर्माण काल के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। माना जाता है कि 8 से 10वीं सदी में इस किले को बनवाया गया था।
जैलोर किले का इतिहास और स्थापत्यकला
इस किले को पारंपरिक हिंदू वास्तुकला के अनुसार बनाया गया है। 11,000 फीट की ऊंचाई पर बसा जैलोर का किला पूरे शहर का खूबसूरत दृश्य प्रस्तुत करता है। यहां से आप पूरे जैलोर शहर का खूबसूरत नज़ारा देख सकते हैं। इस किले के चार मुख्या दरवाज़ें हैं एव इनकी दूरी किले से काफी ज्यादा है। इन्हीं चार दरवाज़ों से किले में प्रवेश किया जा सकता है।
जैलोर किले का इतिहास और स्थापत्यकला
अलग-अलग समय पर ये किला अनेक राजाओं और शासकों के अधीन रहा है। इस पर परमर, चौहान और राजूपत आदि शासकों का शासन रह चुका है। 10वीं सदी में मरु के नौ किलों में से एक किला परमर साम्राज्य के अंतर्गत आता था। हालांकि, 1311 में जैलोर किले पर आक्रमण कर दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने इसे नष्ट कर दिया था। लेकिन फिर भी आज ये किला अपनी ऐतिहासिकता की कथा पूरे गौरव के साथ बयां कर रहा है।
जैलोर किले का इतिहास और स्थापत्यकला
इस किले की दीवारों के पत्थर आज भी मजबूती से इसकी इमारत को संभाले हुए हैं। यहां आने पर आप देख सकते हैं कि किस मजबूती के साथ ये किला सालों से खड़ा है। किले के अंदर तबाह किया हुआ महल, कुछ पानी के टैंक, मस्जिद, कब्रें और भगवान शिव के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं के मंदिर देखे जा सकते हैं। किले के परिसर में कुछ जैन धर्म के खूबसूरत मंदिर भी हैं। किले के अंदर सफेद संगमरमर से बना आदिनाथ मंदिर दर्शनीय है।
जैलोर किले का इतिहास और स्थापत्यकला
किले की चढ़ाई में आपको एक घंटे का समय लग सकता है। वहीं इसके आसपास की सभी जगहों को भी एक घंटे के भीतर देखा जा सकता है। अगर आपकी इतिहास में रुचि है तो आपको जैलोर के किले में बहुत कुछ देखने और जानने को मिल सकता है।
जैलोर जाने का सही समय
राजस्थान के जैलोर में आपको गर्मी के मौसम में तो बिलकुल भी नहीं जाना चाहिए। जून से सितंबर के महीने में यहा कुछ पर्यटक आते हैं और ऑफ सीज़न में यहां आपको अपने बजट में डिस्काउंट भी मिल सकता है।
इस दौरान यहां के तापमान में थोड़ी गिरावट आ जाती है। कभी-कभी तापमान 0 डिग्री सेल्सियस तक भी पहुंच जाता है। कई लोग इस दौरान राजस्थान घूमने आते हैं। इस दौरान राजस्थान आने पर अपने साथ कुछ गर्म कपड़े भी जरूर रख लें।
कैसे पहुंचे
सड़क मार्ग : राजस्थान का जैलोर अन्य सभी शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। राजस्थान का निकटतम शहर है जोधपुर जोकि यहां से 180 किमी की दूरी पर स्थित है। राजस्थान राज्य परिवहन की कई बसें जयपुर से जोधपुर तक चलती हैं। मुंबई, सूरत और अहमदाबाद से आपको प्राइवेट बसें मिल सकती हैं। आप खुद अपनी गाड़ी से भी राजस्थान पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग : जैलोर किले से 2.5 किमी की दूरी पर स्थित जैलोर रेलवे स्टेशन निकटतम स्टेशन है। मुंबई और गुजरात से यहां के लिए कुछ ट्रेनें चलती हैं। अपने शहर से जोधपुर पहुंचकर आप जैलोर के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं।
वायु मार्ग : जैलोर का सबसे समीप हवाई अड्डा है जोधपुर एयरपोर्ट। यहां से आप जैलोर किले के लिए बस या टैक्सी ले सकते हैं।