राजस्थान सिर्फ ऐतिहासिक किलों, समृद्ध इतिहास और खूबसूरत पर्यटन स्थलों के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि यहां के पर्व भी लोगो का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हैं। भारत ही नहीं, विश्व के पर्यटन मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले राजस्थान में आयोजित होने वाले मेले एवं उत्सव इसे और विशिष्ट रूप प्रदान करते हैं।
राजस्थान में गणगौर का त्यौहार आरम्भ हो चुका है, इस त्यौहार को चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तीज को मनाया जाता है। यह त्यौहार होली के दूसरे दिन से ही शुरू हो जाता है, जोकि 16 दिनों तक मनाया जाता है।
माना जाता गणगौर अपने पीहर आती है और फिर पीछे पीछे ईशर उसे वापस लेने आता है और आखिर मे चैत्र शुक्ल द्वितीया व तृतीया को गणगौर को अपने ससुराल के लिए विदा किया जाता है। यह लोकप्रिय मेला हिंदू देवता गौरी माता के सम्मान में आयोजित किया जाता है। इस साल यह पर्व 30 और 31 मार्च को मनाया जा रहा है।
जयपुर में गणगौर महिलाओं का उत्सव नाम से भी प्रसिद्ध है। कुंवारी लड़कियां मनपसंद वर की कामना करती हैं तो विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं। अलग-अलग समूहों में महिलाओं द्वारा लोकगीत गाते हुए फूल तोड़ने तथा कुओं से पानी भरने का दृश्य लोगों की निगाहें ठहरा रहा है तो कहीं मोड़ रहा है। लोक संगीत की धुनें पारंपरिक लोक नृत्य पर हावी हो रही हैं।
कैसे मनाया जाता है
गणगौर का पर्व ज्यादातर महिलाओं द्वारा अपने पति के कल्याण के लिए मनाया जाता है।गणगौर महोत्सव मार्च के महीने में 18 दिनों के लिए आयोजित किया जाता है। उत्सव के एक भाग के रूप में, महिलाओं द्वारा मेहँदी (हिना पत्तियों का एक खुशबूदार पेस्ट) का इस्तेमाल किया जाता है जिससे वो अपने हाथ और पैर को सजा सकें।
धूमधाम से मनाया जाता है
राजस्थान में गणगौर उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। गणगौर त्योहार को उमंग, उत्साह और जोश से मनाया जाता है। स्त्रियां गहने-कपड़ों से सजी-धजी रहती हैं। उनकी आपसी चुहलबाजी सरस-सुंदर हैं। साथ ही शिक्षाप्रद छोटी-छोटी कहानियां, चुटकुले नाचना और गाना तो इस त्योहार का मुख्य अंग है ही। घरों के आंगन में सालेड़ा आदि नाच की धूम मची रहती है।
जयपुर
राजस्थान की राजधानी जयपुर में गणगौर काफी धूमधाम से मनाया जाता है..अगर आपने इससे पहले कभी त्यौहार को नहीं देखा है जयपुर में इस त्यौहर की झलक को बखूबी देखा जा सकता है।जहां महिलाएं रंग बिरंगे परिधानों में सज संवरकर गौरी और शिव की आराधना करती हैं।
कैसे पहुंचे जयपुर
दिल्ली से जयपुर हवाईजहाज ,ट्रेन और बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
उदयपुर
उदयपुर में इस त्यौहार को बखूबी देखा जा सकता है..क्योंकि उदयपुर में गणगौर नाव प्रसिद्ध है। पारंपरिक परिधानों में महिलाएं शहर के मुख्य मार्गों से होते हुए पिछौला झील के गणगौर घाट पर देवी पार्वती की मूर्तियों की पूजा-अर्चना करती हैं।
कैसे पहुंचे उदयपुर
दिल्ली से उदयपुर हवाईजहाज ,ट्रेन और बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ट्रेन द्वारा-बस द्वाराबीकानेर ट्रेन और बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
जोधपुर
जोधपुर में भी इस त्यौहार को काफी धूमधाम से मनाया जाता है..महिलायें इस पर्व पर टोलियों में जाकर नदी किनारे देवी गौरी की आराधना करती हैं और ,मंगल गीत गाती हैं।
कैसे पहुंचे
जोधपुर हवाईजहाज ,ट्रेन और बस द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
ये खाना बिल्कुल भी ना भूले
अगर आप गणगौर के समय राजस्थान में हैं तो वहां के इन खास व्यंजनों यानी कुट्टू कि पूरी, सिंघाड़े का हलवा, कद्दू का रायता,कच्चे केले की चाट और केले की बर्फी खाना बिल्कुल भी ना भूले।