वैसे तो राजस्थान के सभी शहर काफी खूबसूरत है। लेकिन इनमें से कुछ खास शहर ऐसे है, जो पर्यटकों के बीच काफी चर्चा में रहते हैं और इनमें से ही एक है राजस्थान का जोधपुर..। जोधपुर को ब्लू सिटी के नाम से भी जाना जाता है। ये शहर राजस्थान के प्राचीनतम शहरों में से एक है, जिसका संबंध पौराणिक काल (रामायण काल) से भी बताया जाता है। इस शहर को लेकर कहा जाता है कि दशानन रावण की रानी (पत्नी) मंदोदरी भी यहीं से थीं।
जोधपुर का पौराणिक काल से संबंध
पौराणिक मान्यताओं की मानें तो जोधपुर से संबंधित कई किस्से प्रचलित है...। ये सभी किस्से लंका की महारानी मंदोदरी से संबंधित ही है। कहा जाता है कि मंदोदरी अपने समय में धरती लोक की सबसे सुंदर महिला (युवती) थीं, जो तीनों लोकों में सात सुंदरियों में से एक भी थीं।

- रामायण के मुताबिक, मायासुर और अप्सरा हेमा की शादी हुई तो उसने ब्रह्मा जी से वरदान लेकर मंडोर नामक जगह (जोधपुर में स्थित) की स्थापना की और जब इन दोनों की संतान हुई तो उसका नाम मंदोदरी रखा गया। कहा ये भी जाता है कि मंदोदरी के नाम पर ही इस स्थान का नाम मंडोर पड़ा।
- पुराणों के मुताबिक, मंडोर (जोधपुर में स्थित) में ही रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था। वर्तमान समय में ये स्थान मंडोर रेलवे स्टेशन के पास में ही स्थित है, जहां मान्यता है कि इसी स्थान रावण व मंदोदरी ने सात फेरे लिए थे।
- जोधपुर के लोगों का मानना है कि वे रावण के वंशज हैं। जब श्रीराम ने दशानन का वध कर दिया था तो उनके वंशज यहीं आकर बस गए। यहां के लोग आज भी रावण की कुलदेवी (रावण की माता) को ही अपना कुलदेवी मानते हैं।
जोधपुर का प्राचीन इतिहास
जोधपुर का इतिहास तो काफी पुराना है, लेकिन अधिकारिक तौर पर देखा जाए तो 1459 ईस्वी में राव जोधा (राठौड़ कबीले के मुखिया) ने जोधपुर की स्थापना की थी। इस शहर को पहले मारवाड़ के नाम से जाना जाता था। जोधपुर में कई शानदार महल, किले व मंदिर हैं, जो यहां के इतिहास के बारे में बताते हैं। इस शहर में सूर्य की अद्भुत छटा भी देखने को मिलती हैं, जिससे जोधपुर को सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है। जोधपुर शुरू से लेकर आखिरी तक राठौड़ वंश के इर्द-गिर्द ही घूमता रहा है।

जोधपुर का मुगलों से संबंध
मुगलों से संबंधों की बात की जाए तो राठौड़ वंश के सभी मुगल शासकों से अच्छे संबंध रहे हैं सिर्फ औरंगजेब को छोड़कर..। इस शहर में आज भी राठौड़ वंश के अस्तित्व को देखा जा सकता है, वर्तमान समय में जोधपुर के राजा 'महाराज गज सिंह द्वितीय' हैं, जिन्होंने 26 जनवरी 1952 ईस्वी में राजगद्दी संभाली, तब वे महज 4 वर्ष के थे।
250 सालों तक दादा के गोद में नहीं खेल पाए थे पोते
शुरू से लेकर आखिर तक जोधपुर पर राठौड़ वंश का कब्जा रहा है। कहा जाता है कि इस राजपरिवार में दादा अपने पोते का चेहरा ही नहीं देख पा रहे थें और ये सिलसिला 250 सालों तक चला। ये सिलसिला साल 2015 (16 नवम्बर) में थमा।

जोधपुर के प्रसिद्ध त्योहार
जोधपुर शहर में मुख्य रूप से कुछ चुनिंदा पर्व ही हैं, जो पर्यटकों के बीच खासा आकर्षण का केंद्र है...
- अंतर्राष्ट्रीय डेजर्ट पतंग महोत्सव - यह हर साल 14 जनवरी को आयोजित किया जाता है। इस तीन दिवसीय फेस्टिवल में दुनिया भर से पतंग उड़ाने वाले आते हैं और प्रतियोगिता का हिस्सा बनते हैं। इसके अलावा, पर्व के दौरान वायु सेना के हेलीकाप्टरों द्वारा छोड़े गये पतंगों से पूरा आकाश रंगों से भर जाता है, जो इस फेस्टिवल के मुख्य आकर्षण का केंद्र भी माना जाता है।
- यहां का मारवाड़ त्योहार भी काफी लोकप्रिय है, जो अश्विन (सितंबर - अक्टूबर) महीने में आयोजित किया जाता है। इस दो दिवसीय उत्सव में दौरान राजस्थान के लोक संगीत व नृत्य का मंचन किया जाता है।
- जोधपुर का नागौर मेला भी काफी प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है, जो राजस्थान में दूसरा सबसे बड़ा मवेशियों का त्योहार माना जाता है। यह हर साल जनवरी - फरवरी के महीनों के दौरान आयोजित किया जाता है। इस पर्व को 'नागौर का मवेशी मेला' भी कहा जाता है। इस पर्व के दौरान लगभग 70 हजार बैलों, ऊंटों और घोड़ों का कारोबार होता है और कई मनोरंजन के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
जोधपुर में घूमने लायक स्थान
1. मेहरानगढ़ किला
2. राय का बाग पैलेस
3. उम्मेद भवन पैलेस
4. चामुंडा देवी मंदिर
5. जसवंत थडा
6. मंडोर गार्डन
7. घंटा घर
8. बालसमंद झील
9. रानीसर झील
10. कायलाना झील
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