'नवाबों का शहर... ये महज नाम नहीं है, उनकी पहचान है। जहां के हर नागरिक में नवाबी ठाठ देखने को मिलती है लेकिन वो नहीं, जो आप समझ रहे हैं.. बल्कि ये लोग दिल से नबाव होते हैं।'.. इन दो लाइन से तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस शहर की बात कर रहे हैं। जी हां, हम बात कर रहे हैं लखनऊ की, जिसे 'नवाबों का शहर' कहा जाता है। ये शहर आज भी अपनी पुरानी विरासत समेटे हुआ है। यहां के ऐतिहासिक स्थल पर्यटकों को अपनी पुराने इतिहास की ओर ले जाते हैं।
यकीन मानिए अगर आप भी इन स्थलों की ओर से रूख करते हैं तो इनकी कारीगरी और वास्तुकला शैली देखकर आप हैरान रह जाएंगे। आज भी इन स्थलों को देखने के लिए हर रोज हजारों लोग आते हैं और इनकी सुंदरता से रूबरू होते हैं। और एक बात यहां सिर्फ ऐतिहासिक स्थल ही नहीं बल्कि धार्मिक स्थल भी है। इस शहर का प्राचीन नाम लक्ष्मणावती, लक्ष्मणपुर या लखनपुर था, जो बाद में परिवर्तित होकर लखनऊ में तब्दील हो गया।

लखनऊ का पौराणिक काल से संबंध
इस शहर को लेकर पौराणिक कई मान्यता भी है...
1. कहा जाता है कि इस स्थान भगवान राम ने लक्ष्मण जी को उपहार स्वरूप दिया था। यह शहर प्राचीन समय में कोसल राज्य का हिस्सा था, काफी लम्बे समय तक यहां सूर्यवंशी राजाओं का शासन रहा है। महाराज दशरथ 56वें सूर्यवंशी शासक बताए जाते हैं।
2. कहा जाता है कि श्रीराम के भाई लक्ष्मण जी का जन्म यहीं हुआ था और इस शहर को लखनपुर के नाम से जाना जाता था, फिर धीरे-धीरे यह लखनऊ में परिवर्तित हो गया।
लखनऊ का प्राचीन इतिहास
कहा जाता है कि 1540 ईस्वी में जब हुमायूं शेरशाह सूरी से लड़ाई में हार गया तो वो लखनऊ होते हुए पीलीभीत भाग था, इस दौरान उसने लखनऊ में पनाह ली थी और तब लखनऊ के एक ब्राह्मण परिवार ने उसकी मदद की और उसे 10000 हजार रूपये और 5द घोड़े भी जुटाकर दिए। यही कारण था अकबर को लखनऊ से बेइंतहा मोहब्बत थी और उसके शासनकाल में लखनऊ ने खूब तरक्की की। यहां के अधिकतर मोहल्ले मुगलों के शासनकाल में ही बसाए गए हैं। इन्हीं में शामिल है- लखनऊ का दिल कहा जाने वाला 'हजरतगंज' और लखनऊ की धड़कन कहे जाने वाली 'अमीनाबाद'। यहां के अधिकतर ऐतिहासिक स्थल इसी दौरान बने।

लखनऊ की स्थापना
लखनऊ के वर्तमान स्वरूप की बात की जाए तो लखनऊ शहर की स्थापना नवाब आसफउद्दौला ने 1775 ईस्वी में की थी। अवध के शासकों ने इसे अपनी राजधानी बनाया और इस दौरान लखनऊ काफी समृद्ध हुआ। वहीं, 1850 ईस्वी में अवध के तत्कालीन नवाब वाजिद अली शाह ने ब्रिटिश अधीनता स्वीकार कर ली और फिर यहां से शुरू हुआ लखनऊ पर ब्रिटिश हुकूमत का दौर..।
लखनऊ के प्रसिद्ध त्योहार
1. लखनऊ महोत्सव - इस पर्व का मुख्य आकर्षण- सितार और सारंगी वादन, गजल, कव्वाली, कवि सम्मेलन व मुशायरा, शास्त्रीय नृत्य प्रदर्शन व नवाबी भोजन का स्वाद..।
2. जामघाट महोत्सव - यह वार्षिक पतंगबाजी का उत्सव है, जो आपसी भाईचारे और प्रेम का प्रतीक माना जाता है।
3. बड़ा मंगल मेला - यह त्योहार अलीगंज हनुमान मंदिर में मनाया जाता है और विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया जाता है।

लखनऊ में घूमने लायक स्थान
1. बड़ा इमामबाड़ा
2. छोटा इमामबाड़ा
3. रूमी दरवाजा
4. फिरंगी महल
5. ब्रिटिश रेजीडेंसी
6. दिलकुशा कोठी
7. कैसरबाग पैलेस
8. ला मार्टिनियर स्कूल
9. जामा मस्जिद
10. अंबेडकर मेमोरियल पार्क
11. चंद्रिका देवी मंदिर
12. लखनऊ चिड़ियाघर
13. हजरतगंज मार्केट
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