क्या आप भी काशी की सैर करना चाहते हैं? या आने वाले कुछ दिनों में वाराणसी जाने की योजना बना रहे हैं और आपके पास समय काफी कम है तो आप अपने बिज़ी शेड्यूल में से बस दो दिन का समय निकाल लीजिए। भले ही काशी घूमने के लिए दो दिन का समय पर्याप्त नहीं है। लेकिन हां, दो दिन में आप प्रमुख स्थानों की सैर तो कर ही सकते हैं। अब आप ज्यादा से ज्यादा जगहें तभी घूम सकते हैं, जब आपने सही प्लान और सही रूट चुना हो, तो हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप मात्र दो दिन में काशी के प्रमुख स्थलों की यात्रा कैसे कर सकते हैं तो शुरुआत करते हैं ठहरने से।
वाराणसी में ठहरने के लिए तमाम धर्मशाला व होटल हैं। लेकिन अगर आपके पास समय कम है तो काशी-विश्वनाथ मंदिर से दो किलोमीटर के दायरे में होटल चुनें, इससे आपका काफी टाइम बचेगा। हम आपको सलाह देंगे कि आप ज्ञानवापी, चौक, नीची बाग, गोदौलिया, मैदागिन जैसे इलाकों में ही होटल या धर्मशाला लें। चूंकि वाराणसी के कई इलाकों में ट्रैफिक बहुत अधिक रहता है, इसलिए प्रमुख इन इलाकों में होटल लेने से आपका समय गंतव्यों तक पहुंचने में कम लगेगा।
दो दिन में काशी की यात्रा...
शहर से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दशाश्वमेध घाट पहुंचे। तत्पश्चात यात्री सुबह-सुबह गंगा में डुबकी लगाएं और अपने दिन की शुरुआत काशी विश्वनाथ के दर्शन व आरती के साथ करें, जो सुबह 4 बजे की जाती है। इसके बाद गोदौलिया, भेलुपुर होते हुए दुर्गाकुंड पहुंचे और मां दुर्गा (माता कुष्मांडा देवी) व तुलसी मानस मंदिर के दर्शन करें। दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा देवी का मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। वहीं, तुलसी मानस मंदिर विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां श्रीराम चरित मानस के सातों कांड यहां के संगमरमर के पर्थरों पर अकिंत है। इसके बाद दुर्गाकुंड से होते हुए पदमपुरी कॉलोनी पहुंचे और संकट मोचन (हनुमान जी) के दर्शन करें। अब अगर आपको नाश्ता या दिन का खाना खाना हो तो खा लें और थोड़ा आराम कर लें। या फिर इसके बाद आप एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में स्थित नए काशी विश्वनाथ मंदिर के भी दर्शन कर सकते हैं और वहां घूमने का आनंद ले सकते हैं। इसके बाद शाम को असी घाट पहुंचे, जो संकट मोचन मंदिर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जहां आपको आसानी से नाव मिल जाएगी, जिसकी सहायता से आप घाटों का भ्रमण कर सकते हैं। नाव की मदद से आप हरिश्चंद्र घाट, दशाश्वमेध घाट, मणिकर्णिका घाट व अन्य घाटों को घूमें। शाम 7 के करीब दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का आयोजन किया जाता है, जो काफी प्रसिद्ध है. नाव से ही आरती का आंनद लें।
वहीं, दूसरे दिन की शुरुआत सुबह-सुबह कचौड़ी जलेबी के साथ करें। उसके बाद शहर से करीब 12 किलोमीटर दूर स्थित सारनाथ जाएं। ऐसी मान्यता है कि सारनाथ में ही भगवान बुद्ध ने पहली बार उपदेश दिया था। यही कारण है कि इस जगह को बहुत और जैन धर्म में भी बहुत ही पवित्र नगर माना गया है। इसके बाद शहर से करीब 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काशी कोतवाल बाबा काल भैरव के दर्शन कर लें।
काफी पुराना है काशी का इतिहास
काशी विश्व की सबसे पुरानतम शहरों में से एक है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित एक पौराणिक नगरी है। काशी का उल्लेख वेद, पुराण, महाभारत व रामायण में भी किया गया है। काशी वैसे तो काशी विश्वनाथ के लिए जाना जाता है। लेकिन इसके अलावा यहां काशी कोतवाल, संकट मोचन, दुर्गा मंदिर, तुलसी मानस मंदिर भी है। वहीं, घाट की बात की जाए तो दशाश्वमेध घाट व असी घाट की ख्याति देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। यहां दूर-दूर से लोग भ्रमण करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि निर्माण से पहले ब्रह्मा जी काशी आए थे और यज्ञ किया था, जहां पर उन्होंने यज्ञ किया था, आज उसी जगह को दशाश्वमेध घाट के नाम से जाना जाता है।
काशी को बनारस के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो भारत में कई प्राचीन शहर है, लेकिन काशी का नाम सबसे पहले आता है। भारत की यह प्राचीन नगरी वरूणा और असी नदी के संगम पर बसी हुई है। वाराणसी को काशी विश्वनाथ की नगरी भी कहा जाता है। इसके अलावा इसे मंदिरों का शहर, दीपों का शहर व ज्ञान नगरी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवादि देव यहां स्वयं निवास करते हैं। यही कारण है कि काशी में रहने वाले सभी व्यक्ति महादेव में विशेष आस्था रखते हैं। उनका मानना है कि काशी विश्वनाथ उनकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। काशी विश्व का एकमात्र ऐसा शहर है, जहां लोग जीने के साथ-साथ मरना भी पसंद करते हैं। यह शहर समुद्र तल से करीब 81 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।