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इस राज्य में होती है कुत्ते की पूजा, कारण कर देगा हैरान

भारत में एक जगह ऐसी भी है, जहां लोग एक कुक्कर यानि कुत्ते की भी पूजा करते हैं।

By Goldi

भारत</a></strong> में आपको हर हर दो कदम की दूरी पर मंदिर नजर आ जायेगा...भारत में लोग आस्था से बेहद जुड़े हुए हैं जहां लोग भगवान की भी पूजा करते हैं तो कहीं <strong><a href=राक्षसों की भी पूजा " title="भारत में आपको हर हर दो कदम की दूरी पर मंदिर नजर आ जायेगा...भारत में लोग आस्था से बेहद जुड़े हुए हैं जहां लोग भगवान की भी पूजा करते हैं तो कहीं राक्षसों की भी पूजा " loading="lazy" width="100" height="56" />भारत में आपको हर हर दो कदम की दूरी पर मंदिर नजर आ जायेगा...भारत में लोग आस्था से बेहद जुड़े हुए हैं जहां लोग भगवान की भी पूजा करते हैं तो कहीं राक्षसों की भी पूजा

महाराष्ट्र में स्थित है भगवान का शिव का छठा ज्योतिर्लिंग..जानने के लिए पढ़ेमहाराष्ट्र में स्थित है भगवान का शिव का छठा ज्योतिर्लिंग..जानने के लिए पढ़े

जी हां, यह बिल्कुल सच है, भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां कुत्ते की पूजा की जाती है। इस मंदिर में बकायदा कुत्ते की मूर्ति स्थापित की गई है और लोग उतनी ही श्रद्धा से यहां कुत्ते की पूजा भी करते हैं।राजस्थान के राजनांदगांव के बालोद जिले से करीब 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है "कुकुरदेव का मंदिर"। माना जाता है जो भी इस मंदिर में आकर कुकुरदेव की पूजा करता है उसे कभी कुकुर खांसी या कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारियां नहीं होतीं।

कुकुर की एक प्रतिमा

कुकुर की एक प्रतिमा

इस मंदिर में कुत्ते यानी कुकुर की एक मूर्ति भी स्थापित है..जिसकी पूजा करने लोग दूर दूर से आते हैं..इस मंदिर में सुबह शाम पूजा का आयोजन होता है।

भगवान शिव को समर्पित है मंदिर

भगवान शिव को समर्पित है मंदिर

मुख्य तौर पर यह मंदिर भैरव स्मारक और भगवान शिव को समर्पित है लेकिन यहां एक कुत्ते की मूर्ति को भी बहुत ही आस्था और श्रद्धा के साथ पूजा जाता है।

किसने कराया निर्माण

किसने कराया निर्माण

मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण फणी नागवंशी शासकों द्वारा 14वीं-15वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर के गर्भगृह में एक शिवलिंग स्थापित है और दीवारों के चारों ओर नागों के चित्र को अंकित किया गया है।

मंदिर शिवजी का और कुत्ते की पूजा क्यों?

मंदिर शिवजी का और कुत्ते की पूजा क्यों?

अब आप सोच रहे होंगे मंदिर में कुकुर की पूजा करने के पीछे आखिर मान्यता क्या हो सकती है। कहा जाता है एक समय पहले इस गांव में मालिघोरी नामक एक बंजारा रहता था जिसके पास एक पालतू कुत्ता था। जब गांव में अकाल पड़ गया तब उसने अपने कुत्ते को एक मालगुजार के पास गिरवी रखवा दिया।

वफादार कुत्ता

वफादार कुत्ता

किसी की भी ईमानदारी में खोट हो सकता है, लेकिन कुत्ता एक ऐसा जीव है जिसकी ईमानदारी पर कोई शक नहीं कर सकता..बताया जाता है कि कुत्ता भेद वफादार था,उसकी वफादारी से प्रभावित होकर मालगुजार ने कुत्ते का विवरण एक कागज पर लिखकर उसके गले में बांध दिया और उसे अपने असली मालिक के पास जाने के लिए मुक्त कर दिया।

कुत्ते को मार डाला

कुत्ते को मार डाला

लेकिन कुत्ते को मालगुजार के घर से लौटता देख लोगों को गलतफहमी हुई, भीड़ से उसे पीट-पीटकर मार डाला।

गलती का एहसास

गलती का एहसास

कुत्ते की मृत्यु के पश्चात जब लोगों ने उसके गले में लटका कागज पढ़ा तो उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। कुत्ते की मृत्यु की बात जब उसके असल मालिक को पता चली तो वो बहुत दुखी हुआ।

कुकुरदेव का मंदिर

कुकुरदेव का मंदिर

उसने जिस स्थान पर कुत्ते की समाधि बनवाई आज वहां कुकुरदेव का मंदिर स्थित है। कुकुर की समाधि के बाद किसी ने उस कुकुर की मूर्ति वहां स्थापित करवा दी। आज यह स्थान एक पूजनीय स्थल है।

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