क्यों न इस मॉनसून केरल के बैकवॉटर्स का रुख किया जाये और कॉफ़ी की सिप लेते हुए हाउस बोट में बैठकर रिम झिम गिरती बारिश की बूंदों को निहारा जाए। जी हां यदि आप बारिश की बूंदों के शौक़ीन हैं तो केरल का खूबसूरत कोल्लम आपके ही लिए है। कोल्लम जिसे पहले क्वीलॉन के नाम से जाना जाता था का शुमार केरल के सबसे खूबसूरत डेस्टिनेशनों में है।
आपको बता दें कि आज कोल्लम अपने वाणिज्य और कल्चर के लिए प्रसिद्ध है। यह तटीय शहर, अश्तामुडी झील के तट पर फैला हुआ है और कोल्लम जिले के मुख्यालय होने के रूप में, इस शहर ने केरल की अर्थव्यवस्था और संस्कृति को असंख्य रूप से बड़े पैमाने पर योगदान दिया है। र्तमान में कोल्लम को वैश्विक स्तर पर प्रीमियम गुणवत्ता वाले काजू का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक जाना जाता है।
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विस्तृत और विविध नजारों के कई विकल्पों के कारण, कोल्लम में साल भर पर्यटक भ्रमण के लिए आते रहते है। कोल्लम बीच, थंगासेरी बीच, एडवेंचर पार्क और थिरूमुल्लावरम बीच भी आगुतकों को असीमित मजे प्रदान करते हैं। Read :
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तो आइये जाएं मॉनसून के दौरान कोल्लम की यात्रा पर हाउस बोट में बैठे बैठे बारिश को कहां कहां निहार सकते हैं आप।
कैसे पहुंचें कोल्लम
यह शहर अच्छी तरह से सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है, खासकर उस समय से जब से इस शहर की सीमाएं तिरूअनंतपुरम, पथानामथिट्टा और अलाप्पुझा जिले के साथ शेयर हुई हैं। ज्ञात हो कि कोल्ल्म, जिले से तीन राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरते हैं। तिरूअनंतपुरम, पथानामथिट्टा, कोयट्टम और ईरनाकुलाम जैसे पडोसी जिलों से कोल्लम के लिए नियमित बस सर्विस चलती हैं। कई साउथ इंडियन शहरों और टाउन जैसे - बंगलौर, चेन्नई, कोच्चि, कोयंबटूर और पांडिचेरीआदि से कोल्लम के लिए प्राइवेट लक्जरी बसें भी चलती हैं।
अमृतापुरी
अमृतापुरी, एक धार्मिक बस्ती है और एक धार्मिक केंद्र है जो कोल्लम से 30 किमी. दूर वल्लीकावू में स्थित है। वल्लीकावू एक सुरम्य आबादी वाला क्षेत्र है जहां मछुआरों का समुदाय निवास करता है और यह जगह माता अमृतानंदमयी के जन्मस्थान के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह स्थल दुनिया भर का आकर्षण इक्ट्ठा करता है क्यूंकि यहां माता अमृतानंदमयी आश्रम का मुख्यालय है। ज्ञात हो कि माता अमृतानंदमयी एक महिला गुरू थी, जिन्हे दुनिया भर के लाखों अनुयायी फॉलो करते थे। कोल्लम से अमृतापुरी के लिए हाउसबोट टूर चलते हैं जिन पर बैठकर बैकवॉटर की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद उठा सकते हैं। यह जगह सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है, यहां आने के लिए कोच्चि और तिरूअंनतपुरम से बसें मिल जाती है।
ऐशतामुडी बैकवॉटर्स
ऐशतामुडी बैकवॉटर्स, पर्यटकों को प्रकृति के करीब रहकर उसकी सुंदरता और उत्कृष्ट नजारें देखने का अवसर प्रदान करते हैं। इस सुंदर बैकवॉटर का निर्माण या ऐशतामुडी झील के कारण हुआ है जो राज्य की ताजे पानी की सबसे महान और बड़ी झील है। इस झील से विशाल लहराते हुए नारियल के पेड़ों और खजूर के पेड़ों से गुजरते हुए, यात्रा करना वास्तव में बेहद रमणीय होता है। ऐशतामुडी बैकवॉटर्स का मुख्य आकर्षण यहां पर की जाने वाली हाउसबोट - क्रुजिंग गतिविधि है जो यहां आने वाले हर पर्यटक को करनी चाहिए।
कोल्लम तट
कोल्लम तट को महात्मा गांधी तट के नाम से भी जाना जाता है, यह एक सुंदर रेतीला तट है जो दूर तक फैला हुआ है। यह कोल्लम के सर्वाधिक प्रिय छुट्टी बिताने वाले स्थलों में से एक है जो कोल्लम शहर से 2 किमी. की दूरी पर कोचुपिलामोडू में स्थित है। समुद्र तट के पास में ही महात्मा गांधी पार्क बना हुआ है जो टहलने और आराम करने के लिए एक पसंदीदा स्थान है। यह तट और पार्क, भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं और साथ ही सैलानी यहां आकर लहरों को चूमता सूरज, ताड़ के पेड़ और सफेद रेत वाले सुरम्य सौंदर्य का भी आनंद उठा सकते हैं।
मययानाड
मययानाड, कोल्लम शहर से 10 किमी. दूरी पर एक छोटा सा गांव है जो कोल्लम जिले के उपनगरीय इलाके में स्थित एक सुंदर और छोटा सा गांव है। यह गांव, सड़क से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और कोल्लम और कोयट्टम से गांव के लिए रेगुलर तौर पर बस सुविधाएं भी उपलब्ध है। यह सुंदर गांव पारावर झील के किनारे पर खूबसूरती से बसा हुआ है। मययानाड, अरब सागर की तटीय रेखा के समानांतर एक लंबी दूरी पर खिंची हुई है जो मछली पकड़ने और अन्य समुद्री गतिविधियों के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र की प्रसिद्धि, मुख्य रूप से कई मंदिरों और उनसे जुड़े सांस्कृतिक महत्व से जुड़ी हुई है।
मुनरो द्वीप
मुनरो द्वीप, को स्थानीय स्तर पर मुनरो थुरूथ के नाम से जाना जाता है, यह आठ छोटे द्वीपों का संग्रह है। कोल्लम से 27 किमी. की दूरी पर स्थित इस द्वीप पर सड़क और बैकवॉटर के रास्ते से पहुंचा जा सकता है। इस द्वीप का नाम ब्रिटिश अधिकारी कर्नल जॉन मुनरों के नाम पर पड़ा था जिन्होने इस क्षेत्र में नहरों के निर्माण में और बैकवॉटर मार्गो के एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
ओचिरा
ओचिरा, अलाप्पुझा और कोल्लम जिलों की सीमाओं पर स्थित एक छोटा सा शहर है जो कोल्लम शहर के केंद्र से 32 किमी. की दूरी पर बसा हुआ है। यह एक उत्तम धार्मिक स्थल और तीर्थ स्थल के रूप में जाना जाता है, इस गांव में उत्तम दर्जे के कई प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक स्मारक हैं। कोल्लम के पूरे क्षेत्र में सबसे ज्यादा दर्शनीय मंदिर ओचिरा मंदिर है जिसे पैरा ब्रह्मा मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यह मंदिर, केरल के अन्य मंदिरों के लिए अपवाद है क्यूंकि यह मंदिर पैरा ब्राह्मण या ओमकरम को समर्पित है।
सास्थामकोट्टा झील
सास्थामकोट्टा झील, एक सुंदर ताजे पानी की झील है जो अपनी आधुनिक सुविधाओं और प्राकृतिक सुंदरता के कारण यात्रियों को आकर्षित करती है। झील के नाम पर ही स्थित नाम वाला मंदिर झील के किनारे पर बना हुआ है जो इष्टदेव भगवान शास्था को समर्पित है। कोल्लम क्षेत्र में पानी पीने की सुविधा की पूर्ति इसी झील से पूरी की जाती है और मछली पकड़ने की सुविधा भी इस झील में है।
थंगासेरी तट
थंगासेरी तट, एक आर्दश छुट्टियां बिताने का स्थल है जो कोल्लम से 5 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस रेतीले समुद्र तट पर ऐतिहासिक महत्व रखने वाले और प्राचीन पुर्तगाली किलों के खंडहर भी आसपास के क्षेत्रों में देखे जा सकते हैं। यात्री इस तट पर लहरों के खूबसूरत फैलाव से मन को शांत और आराम करने आते है। इस तट का मुख्य आकर्षण एक पुराना लाइटहाउस है जो 144 फीट ऊंचा है। इस लाइट हाउस को 1902 में अंग्रेजों के द्वारा बनवाया गया था जो दर्शकों के लिए दोपहर 3:30 से शाम 5:30 तक खुला रहता है।
थिरूमुल्लावरम तट
थिरूमुल्लावरम तट, कोल्लम शहर से 6 किमी. दूर स्थित एक सुंदर रेतीला दूर - दूर तक फैला तट है जो वाणिज्यिक गतिविधियों से अविभाजित है। यहां का उथला पानी,तैराकी और बच्चों के खेलने के लिए सुरक्षित और रोमांचित जगह है। यह परिवार के लिए आर्दश पिकनिक स्पॉट है और पर्यटक यहां आकर अपना अच्छा समय बिता सकते है और परिवेश का आनंद उठा सकते है।