जब भी देश की शान ताजमहल का वाक्या कहीं पर शुरू होता है, जो दुनिया के अजूबों में से एक है, शाहजहां के बिना कभी पूरा नहीं होता। मुग़ल सम्राट शाहजहां, इस आलीशान और महान रचना के जन्मदाता एक महान सम्राट के रूप में प्रसिद्द थे। वे अपनी न्यायप्रियता और वैभवविलास के कारण अपने काल में बड़े लोकप्रिय रहे। लेकिन वे केवल इसके लिए ही नहीं जाने जाते थे, वे एक बहुत बड़े आशिक़ के तौर पर भी पहचाने जाते हैं, जिन्होंने अपनी प्रेमिका और पत्नी, मुमताज़ महल की याद में दुनिया की सबसे भव्य और खूबसूरत रचना का निर्माण करवाया, जो देश-विदेश में प्रेम के प्रतीक के रूप में सर्वाधिक लोकप्रिय है।
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सम्राट जहांगीर की मृत्यु के बाद उन्होंने काफी कम उम्र में मुग़ल सिंहासन को संभाल लिया। वे ऐसे सम्राट थे जिनके शासनकाल को मुग़ल शासन का स्वर्ण युग और भारतीय सभ्यता का सबसे समृद्ध काल कहा जाता है। इनकी वास्तुकला में रूचि सिर्फ ताजमहल तक ही सिमित नहीं रही। ताजमहल के अलावा उन्होंने देश को कई ऐसी विरासतों की धरोहर तोहफ़े के रूप में भेंट की जो आजतक समय की कसौटी पर खरे उतर देश की शान को बढ़ा रहे हैं। भारतीय पर्यटन में इनकी रचनाएँ पर्यटकों के बीच प्रमुख आकर्षण के केंद्र हैं।
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भव्य इमारतों, मस्जिदों और बाग़ों की महान स्थापत्य कला आज भी पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींच ले जाती हैं। इनकी महान रचनाएँ लोगों को उस समय की अद्भुत कलाकारी के बारे में सोचने और समझने पर मजबूर कर देती हैं, जो लोगों को खूब लुभाती हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूचि में भी शामिल इनकी रचनाएँ इतिहास की कई गतिविधियों और कथाओं के जीते जागते उदहारण हैं।
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तो चलिए आज हम शाहजहां की इन्हीं जीवित रचनाओं की सैर पर चलते हैं जिनका इतिहास आज भी यहाँ की एक-एक ईंट और कलाकारी साफ़ बयां करती हैं।
ताजमहल
ताजमहल के बारे में कौन नहीं जानता? इतिहास के सबसे पहले पन्नों पर ही ताजमहल की सुन्दर रचना का उल्लेख किया जाता है। यह शाहजहां द्वारा बनाई गई सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्द रचना है जो विदेशी पर्यटकों का ध्यान सबसे ज़्यादा अपनी ओर खिंचती है।
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ताजमहल
उत्तरप्रदेश राज्य के आगरा शहर में स्थापित इस वैश्विक धरोहर को शाहजहाँ ने अपनी बेग़म मुमताज़महल की याद में बनवाया था। यह विश्व धरोहर मक़बरा मुग़ल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। सन् 1983 में इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल की सूचि में शामिल किया गया था।
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ताजमहल
सफ़ेद संगमरमर से बनाई गई यह अद्भुत रचना भारत की इस्लामी कला का रत्न भी है। आगरा में यमुना नदी के किनारे बनाई गई इस सुप्रसिद्ध रचना की खूबसूरती सूर्यास्त और सूर्योदय के समय नदी के किनारे से देखते ही बनती है, ऐसा नज़ारा जो आपको अंदर तक खूबसूरती के एक विहंगम दृश्य के दर्शन कराता है।
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ताजमहल
पर्यटन के मामले में यह हर साल 20 से 40 लाख पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है जिनमें से 25% विदेशी पर्यटक होते हैं।
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ताजमहल
दुनिया के सात अजूबों में शामिल इस महान रचना के दीदार का का सबसे सही समय है सितम्बर से नवम्बर तक के महीने और फ़रवरी से मार्च तक के महीने। बाकी महीनों में मौसम अपनी चरम सीमा पर होता है।
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आगरा किला
आगरा का एक और मुख्य आकर्षण, आगरा किला ताजमहल से बस कुछ ही दूरी पर लगभग 2.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह भारत के इतिहास का बहुत ही महत्वपूर्ण किला है जहाँ से कई मुग़ल शासकों जैसे बाबर, हुमायुं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां व औरंगज़ेब ने पूरे भारत पर शासन किया।
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आगरा किला
यहीं पर राज्य की सर्वाधिक संपत्ति को सुरक्षित रखा गया था। ईंटों से बनी यह ऐतिहासिक रचना यूनेस्को की विश्व विरासत की सूचि में शामिल है। अपने जीवन के अंतिम दिनों में शाहजहाँ को उनके ही पुत्र द्वारा इसी क़िले में बंदी बना लिया गया था, जहाँ उन्हें मुसम्मन बुर्ज में रखा गया।
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आगरा किला
मुसम्मन बुर्ज के झरोखों से ताजमहल का सबसे खूबसूरत नज़ारा दिखता है और यहीं पर कैद रहकर शाजहाँ ने ताजमहल को देखते हुए अपनी ज़िन्दगी की आखिरी सांस ली।
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आगरा किला
वास्तुकला की इस अद्भुत रचना में हिन्दू व स्थापत्यकला के मिश्रण देखने को मिलते हैं। जो भी पर्यटक ताजमहल के दीदार को आते हैं, वे इस भव्य रचना का दीदार करना बिलकुल भी नहीं भूलते।
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लाल किला
जब भी मुग़ल शासन की बात हो, दिल्ली की बात ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। और जब भी दिल्ली के मुग़ल शासन की बात हो और लाल किले की बात ना हो, यह तो बिलकुल भी नहीं हो सकता। जी हाँ दिल्ली के इतिहास में मुख्य भूमिका निभाने वाली ऐतिहासिक रचना, लाल किला भी यूनेस्को की विश्व विरासत धरोहर की सूचि में शामिल है।
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लाल किला
लालकिले की योजना, व्यवस्था एवं सौन्दर्य मुगल सृजनात्मकता का शिरोबिन्दु है, जो कि शाहजहाँ के काल में अपने चरम उत्कर्ष पर पहुँची। लाल किला शाहजहाँ की नई राजधानी, शाहजहाँनाबाद का महल था।
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लाल किला
कई ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार इसे लालकोट का एक पुरातन किला और नगर भी बताया जाता है, जिसे शाहजहाँ ने कब्जा़ करके यह किला बनवाया था। लालकोट हिन्दु राजा पृथ्वीराज चौहान की बारहवीं सदी के अन्तिम दौर में राजधानी थी।
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लाल किला
आगरा किले में स्थित 'मयूर सिंहासन' जो शाहजहाँ द्वारा ही बनवाया गया था को दिल्ली के इसी लाल किले में स्थानांतरित कर दिया गया था जिसे फ़ारसी राजा नादिर शाह लूट कर ले गया, जिसके साथ देश का बेशकीमती हीरा कोहिनूर भी लूट लिया गया जो इसी सिंहासन पर जड़ा हुआ था।
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लाल किला
हर साल यह लाखों पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है। हर साल भारत के प्रधान मंत्री स्वतंत्रता दिवस यानि कि 15 अगस्त के दिन, यहीं पर तिरंगा झंडा फहरा कर देश की जनता को सम्बोधित करते हैं।
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जामा मस्जिद
देश की सबसे बड़ी और भव्य मस्जिद, दिल्ली में ही लाल किले से कुछ ही दूरी पर स्थित है। यह भव्य रचना भी शाहजहाँ की महान रचनाओं में से एक है। लाल और संगमरमर के पत्थरों से बनी हुई यह अद्भुत रचना 6 सालों में बन कर तैयार हुई थी।
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जामा मस्जिद
इसके दो प्रवेश द्वारों, दक्षिणी और उत्तरी प्रवेश द्वारों से पर्यटकों को प्रवेश करने की अनुमति है। इसका पूर्वी प्रवेश द्वार सिर्फ शुक्रवार को ही खुलता है जिसके लिए कहा जाता है कि सम्राट शाहजहां मस्जिद में प्रवेश करने के लिए इसी प्रवेशद्वार का इस्तेमाल करते थे।
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जामा मस्जिद
मस्जिद के ऊपरी गुम्बदों को सफ़ेद और काले संगमरमर से सजाया गया है। इसके प्रार्थना घर की रचना विशाल और अद्भुत है।
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मोती मस्जिद
शाह जहाँ द्वारा निर्मित भव्य रचनाओं में से एक मोती मस्जिद आगरा में ही बनवाई गई। मोती मस्जिद का यह नाम इसकी रचना की वजह से पड़ा, क्यूंकि यह एक बड़े मोती की ही तरह चमकती हुई प्रतीत होती है। कहा जाता है कि शाहजहां ने इस मस्जिद का निर्माण अपने दरबार के सदस्यों के लिए करवाया था।
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मोती मस्जिद
मस्जिद के प्रांगण में किनारे-किनारे मेहराब बने हुए हैं। इसके छत पर सफेद संगमरमर से बने तीन गुंबद हैं, जिनके दीवार लाल बलुआ पत्थर से बने हैं। इस पूरे इमारत का निर्माण सफेद संगमरमर से बेहद कलात्मक रूप से किया गया है।
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मोती मस्जिद
मोती मस्जिद का निर्माण पूरी नज़ाकत के सथ सममितीय डिजाइन से किया गया है, जिससे इसकी भव्यता खुलकर सामने आती है। यमुना नदी के तट पर ही इस रचना का भी निर्माण करवाया गया था।
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