'पूर्व का स्विट्जरलैंड' कहा जाने वाला भारत का पूर्वोत्तर राज्य 'नागालैंड' जनजातीय संस्कृतियों का गढ़ माना जाता है। प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा इस पहाड़ी राज्य का अपना अलग सांस्कृतिक महत्व है। यह पर्वतीय राज्य लगभग 16 विभिन्न कबीलों का निवास स्थान है, जिनके रीति रिवाज, कला-संस्कृति एक दूसरे से काफी भिन्न है।
भले ही यह भारत के छोटे राज्य में शामिल है, पर यहां की कुदरती व आदिवासी खूबसूरती का पूरा विश्व कायल है। यही वजह है कि यहां आपको हर जगह विदेशी सैलानी दिख जाएंगे। जानिए पर्यटन की दृष्टि से यह राज्य आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है।
एक खूबसूरत पर्यटन स्थल
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पर्यटन की दृष्टि से यह पर्वतीय राज्य आपके लिए बहुत ज्यादा मायने रखता है। अगर आप घूमने-फिरने के शौकीन हैं, और कुछ नए दृश्यों की चाह में हैं, तो यह पूर्वोत्तर राज्य आपके लिए एक आदर्श विकल्प है। यह राज्य हिमालय की तलहटी में बसा है, यहां आकर आप भरपूर पहाड़ी खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं। साथ ही यह राज्य आपको आदिवासी संस्कृति को करीब से देखने का मौका भी देता है, जिसमें शामिल होकर आप एक अलग अनुभव ले सकते हैं। आप यहां मौजूद ऐतिहासिक स्थलों की सैर का आनंद भी ले सकते हैं।
कैसे पड़ा नागालैंड का नाम ?
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आज का नागालैंड कभी नागा जनजाति का क्षेत्र हुआ करता था। नागा यहां की पहाड़ी जनजाती है जिनका नाम 'नागा पर्वत शृंखला' पर आधारित है। 19वीं शताब्दी के दौरान दक्षिण एशिया के कई बड़े इलाके ब्रिटिश शासन के अंतर्गत चल गए थे, जिनमें 'नागा क्षेत्र' भी शामिल था। अंग्रेजों ने यहां के नागा लोगों से संपर्क किया, चूंकि यह जनजाति काफी हृष्ट पुष्ट होती है, तो अंग्रेजों ने इनका इस्तेमाल लड़ाकों के तौर पर करने की सोची।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान बहुत से नागाओं को फ्रांस-यूरोप भेजा गया। जो लोग वापस आए उन्होंने यहां 'नागा नेशनलिस्ट मूवमेंट की स्थापना की। 1957 तक यह क्षेत्र 'नागा हिल्स त्वेनसांग' हुआ करता था, पर 1961 में भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर नागालैंड कर दिया। परिणामस्वरूप 1 दिसंबर 1963 को नागालैंड भारत का 16वां राज्य बना।
जनजातियों का राज्य
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नागालैंड अपनी आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहा पूरा पहाड़ी क्षेत्र राज्य की 16 जनजातियों का भरण-पोषण करता है। लोथा, फोम, खियमनिंगान, आओ, कोनयाक, चख़ेसंग, चांग, दिमासा कचारी, पोचुरी, रेंगमा, संगतम, सूमी, इंचुंगेर, अंगामी, कुकी और ज़ेलियांग इन जनजातियों के नाम हैं। और सबसे खास बात इन आदिवासी लोगों का रहन-सहन एक दूसरे से काफी हद तक भिन्न हैं। इन जनजातियों के इतिहास के बारे में सटीक कुछ पता नहीं चलता, पर ये अब भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं।
अद्भुत संस्कृतियों का संगम
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नागालैंड अद्भुत लोक संस्कृतियों का संगम स्थल है। यहां रहने वाली जनजातियां अलग-अलग रीति रिवाजों व परंपराओं का अनुसरण करती हैं। इन आदिवासियों की वेशभूषा यहां तक की खान-पान भी अगल हैं। यहां के अधिकांश लोग मांसाहारी हैं, जो विभिन्न जानवरों का मांस खाते हैं। यहां के मुख्य त्योहार मोआत्सु, सेकरेन्यी, तुलनी आदि हैं। यहां के लोग शिकार के साथ-साथ अब कृषि भी करने लग गए हैं।
नागालैंड के पर्यटन स्थल - कोहिमा
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नागालैंड का खूबसूरत पर्यटन स्थल कोहिमा राज्य की राजधानी भी है। जो समुद्र तल से लगभग 1261 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कोहिमा अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां सैलानी ज्यादा आना पसंद करते हैं। यहां आप खूबसूरत स्थलों की सैर का आनंद ले सकते हैं। आप यहां राज्य संग्रहालय, एम्पोरियम , नागा हेरिटेज कॉम्पलेक्स, कोहिमा गांव आदि स्थानों की सैर का आनंद ले सकते हैं। आप यहां का मुख्य आकर्षण समाधियां भी देख सकते हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापानियों ने नागालैंड पर हमला किया था, जिसमें बड़ी संख्या में सैनिक मारे गए थे। जिसके बाद उनकी स्मृति में समाधियों का निर्माण करवाया गया।
खूबसूरत शहर दीमापुर
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'दीमापुर' नागालैंड का एक खूबसूरत शहर है, जो अपने प्राकृतिक आकर्षणों के साथ सैलानियों का स्वागत करता है। यह सड़क मार्गों से जुड़ा एक समृद्ध शहर है। किसी जमाने में यह नगर दिमासा कछारी शासकों की राजधानी हुआ करता था। इस शहर के नाम की उत्पत्ति कछारी शब्द 'दिमस' से हुई है। जो एक नदी का नाम है। यह शहर का संबंध महाभारत काल से बताया जाता है। इस शहर का नाम कभी 'हिडिंबापुर' था। जहां हिडिंबा राक्षस अपनी बहन हिडिंबा के साथ रहा करता था। इस शहर में आप कला संस्कृति का अद्भुत मेल देख सकते हैं। यहां आप जूलॉजिकल पार्क, बैपटिस्ट चर्च, शिल्पकला के लिए मशूहर गांव, नागालैंड साइंस सेंटर, ग्रीन पार्क, अभयारण्य आदि की सैर का आनंद ले सकते हैं।
नागालैंड का वोखा
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नागालैंड का 'वोखा क्षेत्र' अपने प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता है। यह पूरा इलाका खनिज, उर्वरक मिट्टी व विभिन्न जीवों व वनस्पतियों से भरा है। इसलिए नागालैंड सरकार ने इस जिले को " खुशहाल भूमि' का दर्जा दिया है। आर्थिक रूप से यह जिला नागालैंड के लिए बहुत मायने रखता है। वोखा प्रकृति द्वारा नागालैंड को दिया गया शानदार उपहार माना जाता है। यह भूमि कई खूबसूरत वनस्पतियों का घर है, जहां आपको दूर-दूर तक रंग-बिरंगे फूल नजर आएंगे। पहाड़ियों से होकर आते जल स्रोत इस जगह को खास बनाते हैं। वोखा प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं।
सुमी बैप्टिस्ट चर्च
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नागालैंड, ईसाइयों का बड़ा निवास स्थान माना जाता है। यहां स्थित 'सुमी बैप्टिस्ट चर्च' एशिया की सबसे बड़ी चर्च मानी जाती है। जिसे देखने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक आते हैं। इस चर्च पर एक नीला डोमेन और एक सफेद टावर बना हुआ है। इस चर्च के विशाल आकार के बारे में इस तरह पता लगाया जा सकता है कि यहां की चर्च सैंक्चुअरी में आराम से 8000 लोग बैठ सकते हैं। इस चर्च की ऊंचाई लगभग 1864.9 मीटर बताई जाती है। चर्च के अंदर लगा घंटा 500 किलो का है। जो पीतल और टिन से बनाया गया है।
दज़ुको घाटी
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दज़ुको घाटी नागालैंड के खूबसूरत पर्यटन स्थलों में से एक है। इस घाटी में ठंडे जल के कई प्राकृतिक प्रवाह मौजूद है, इसलिए इसका नाम 'दज़ुको' रखा गया। दज़ुको स्थानीय अंगमी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'ठंडा पानी'। यहां के खूबसूरत रंग-बिरंगे फूल सैलानियों के मध्य मुख्य आकर्षण का केंद्र हैं। यह घाटी समुद्रतल से लगभग 2450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं। इस घाटी के बारे में कहा जाता है कि यहां रात नहीं होती। जिसका कारण है 'चांद की रोशनी', जो यहां हलका उजाला बरकरार रखती है। यह घाटी अपने एडवेंचर ट्रेक के लिए जानी जाती है। उपरोक्त बताए गए पर्यटन स्थलों के अलावा अगर आप चाहें तो यहां स्थित अन्य स्थलों की सैर का आनंद भी ले सकते हैं।
कैसे पहुंचे नागालैंड
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आप नागालैंड बताए जा रहे तीनों मार्गों से पहुंच सकते है, आप दीमापुर एयरपोर्ट का सहारा ले सकते हैं जो भारत के अहम शहरों से जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग के लिए भी आप दीमापुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो यहां सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। गुवाहाटी से कोहिमा के लिए आपको बस आसानी से मिल जाएंगी।