एक ट्रैवलर की दृष्टि से बिहार स्थित मुंगरे हमेशा से ही विविध संस्कृति और परंपराओं के साथ एक समृद्ध ऐतिहासिक स्थल रहा है। बिहार के चुनिंदा सबसे खास पर्यटन स्थलों में शामिल इस गंतव्य का इतिहास आर्यों से जुड़ा बताया जाता है, जिन्होंने अपने निवास के लिए इसे "मिडलैंड" कहकर संबोधित किया। इतिहास से जुड़े पन्ने बताते हैं कि अंग्रेजों के हाथ लगने से पहले यह प्राचीन शहर कभी मीर कासिम की राजधानी हुआ करता था।
मीर कासिम बंगाल का नवाब था जिसे अंग्रेजों ने तत्कालीन नवाब मीर जाफर को हटाकर नियुक्त किया था। वर्तमान में मुंगेर जुड़वा शहरों के नाम से जाना जाता है जिसमें जमालपुर भी शामिल है। इस खास लेख में जानिए पर्यटन के लिहाज से मुंगेर आपके लिए कितना खास है, साथ में जानिए आप यहां कौन-कौन से स्थानों की सैर का प्लान बना सकते हैं।
मुंगेर का किला
PC-Hodges, William
मुंगेर एक ऐतिहासिक शहर है जहां आज भी कई अतीत से जुड़े स्मारकों और भवनों को देखा जा सकता है। आप यहां दास राजवंश के शासनकाल के दौरान बनाया गया मुंगेर का किला देख सकते हैं। पवित्र नदी गंगा के किनारे यह किला एक पहाड़ी पर स्थित है। भारत के अन्य किलों की भांति यह किला भी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस ऐतिहासिक सरंचना का भ्रमण कर आप बिहार के अतीत को कुछ हद तक समझ सकते हैं।
यह एक घेराबंद किला है जिसके चारों ओर 4 द्वार बने हुए हैं। यह किला दो पहाड़ियों के साथ लगभग 222 एकड़ में फैला हुआ है। किले के अंदर प्रवेश करते ही आपको कई कब्र और स्मारक दिखेंगे, जिसमें
साहा सुजा का महल, फ़िर शाह का मकबरा, चंडीस्तान मंदिर और एक पुरानी ब्रिटिश कब्रिस्तान शामिल हैं। यहां फैली चारों तरफ हरियाली पर्यटकों को बहुत हद तक प्रभावित करती है।
भीमबंध वन्यजीव अभयारण्य
ऐतिहासिक किले के अलावा आप मुंगेर में भीमबंध वन्यजीव अभयारण्य की रोमांचक सैर का आनंद ले सकते हैं। लगभग 682 वर्ग किमी में फैला यह वन्य क्षेत्र प्रकृति प्रेमियों और जंगल एडवेंचर के शाकीनों लिए किसी खजाने से कम नहीं। इस अभयारण्य से एक पौराणिक किवदंती भी जुड़ी है, माना जाता है कि यहां कभी पांडव राजकुमार भीम ने एक बांध बनाया था। इसलिए इस वन्य क्षेत्र का नाम भीमबंध पड़ा।
बिहार की खड़गपुर पहाड़ियों के ऊपर स्थित यह वन्यजीव अभयारण्य असंख्य जीव-वनस्पतियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करने का काम करता है। जंगली जानवरों में आप यहां जंगली सूअर, तेंदुआ, वन मुर्गी, नीलगाई, बाघ, चीतल और सांभर देख सकते हैं। इसके अलावा आप यहां विभिन्न पक्षी प्रजातियों को देखने का आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
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योग के लिए खास
उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ बिहार भी योग के क्षेत्र में काफी उन्नत है। राज्य का मुंगेर शहर योग का एक हब माना जाता है, यहां यौगिक आसनों और आध्यात्मिक क्रियाकलापों का अनुभव पाने के लिए विदेशों से सैलानी आते हैं। गंगा नदी के तट पर 'बिहार स्कूल ऑफ योगा' एक प्रमुख स्थल हैं। जीवन कौशल और योग संस्कृति सीखने के लिए यह एक आदर्श स्थान है।
यहां आपको अच्छे स्वास्थ्य की तलाश में आए कई विदेशी दिख जाएंगे। यहां योग से संबंधित कई पाठ्यक्रम भी चलाए जाते हैं जो योगिक साधना, योगिक स्वास्थ्य प्रबंधन और योगिक तनाव प्रबंधन पर आधारित है। इसके अलावा यहां योग क्रियाओं द्वारा शारीरिक और मानसिक उपचार भी किया जाता है।
श्रीकृष्ण वाटिका
अगर आप हरे-भरे दृश्यों में खोना चाहते हैं तो आप मुंगेर स्थित श्रीकृष्ण वाटिका की सैर का आनंद ले सकते हैं। कष्टहरणी घाट के विपरीत गंगा नदी के परिदृश्य के साथ श्रीकृष्ण वटिका राज्य के चुनिंदा पर्यटन गंतव्यों में गिनी जाती है। यहां आप प्रकृति के बीच चहरकदमी का आनंद ले सकते हैं। इस वाटिका का नाम मुंगरे में जन्में बिहार के पहले मुख्यंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के नाम पर रखा गया है। घूमने-फिरने और आत्मिक शांति के लिए यह एक आदर्श विकल्प है।
इस वाटिका के अंदर दो सुरंगे भी मौजूद हैं, जिनका निर्माण अतीत में किया गया था लेकिन ये सुरंगे ज्यादा सफल परिणाम न दें सकीं। इस वाटिका में मीर कासिम के बेटे गुल और बहार के मकबरे भी बने हुए हैं। माना जाता है कि ब्रिटिश अधिकारियों से छिपने के लिए गुल और बहार इन सुरंगों का सहारा लिया करते थे।
कष्टहरणी घाट
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप गंगा नदी के तट पर स्थित कष्टहरणी घाट की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों का एक धार्मिक स्थल है। वीकेंड पर थोड़ा आध्यात्मिक और रिफ्रेशिंग अनुभव पाने के लिए आप यहां का प्लान बना सकते हैं। कष्टहरणी घाट से पौराणिक किवदंती भी जुड़ी हुई है, स्थानीय लोग मानते हैं कि भगवान राम और देवी सीता अयोध्या लौटने से पहले उन्होंने इस स्थान पर स्नान किया था।
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