राजकोट, सौराष्ट्र राज्य की पूर्व राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। हालांकि, राजकोट अब कोई राजधानी नहीं है लेकिन इसका अतीत अत्यंत सुंदर और गरिमामयी है। ब्रिटिश काल में राजकोट को काफी मान्यता प्राप्त थी। राजकोट को 1620 ई. में ठाकुर साहिब विभोवाजी अजीजो जडेजा, जामनगर शाही वंशज के द्वारा स्थापित किया गया था। राजकोट एक बहुसांस्कृतिक शहर है जहां देशभर से लोग आकर बसते है। राजकोट के लोग, सबसे अलग दिखते है क्योंकि उनका लापरवाह रवैया और खुश रहने वाली प्रवृत्ति और किसी में पाई ही नहीं जाती है। राजकोट के लोगों की इसी आदत के चलते, वहां का नाम रंगीलो राजकोट रख दिया गया।
इस शहर में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने जीवन के कुछ वर्ष बिताये थे। आज यह शहर खूब फल-फूल चूका है। गांधी जी ने अपनी शिक्षा का शुरूआती समय अल्फ्रेड हाईस्कूल, राजकोट में बिताया था, जिसे वर्तमान में गांधी विद्यालय के नाम से जाना जाता है। इसके बाद, उन्होने राष्ट्रीयशाला की स्थापना की जहां उन्होने स्वदेशी आन्दोलन को चलाया और खादी पर जोर दिया। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण यहां पर्यटक भारी मात्रा में सैर करने आते है। राजकोट में दर्शनीय स्थल- गांधी का डेला, वोटसन म्यूज़ियम, आजी डैम, जगत मंदिर, राष्ट्रीयशाला।
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गांधी का डेला
गांधी का डेला गांधी का पुराना घर है जहाँ अब गांधी स्मृतियाँ बसी हुई हैं। करमचंद्र गांधी, महात्मा गांधी के पिता थे, जिन्हे काबा गांधी के नाम से जाना जाता है जो राजकोट में पुराने घर में रहते थे, जो घी कांता रोड पर स्थित था और महात्मा गांधी ने अपना प्रारम्भिक जीवन यहीं बिताया था। यहां गांधी जी के जीवन से जुड़े कई चित्र, कलाकृति और सामान रखे हुए है।
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वोटसन म्यूज़ियम
राजकोट का बेहद आकर्षक गार्डन जुबली गार्डन में आप इस संग्राहलय को देख सकते हैं। सौराष्ट्र के क्षेत्र में यह सबसे पुराना संग्रहालय है। यह संग्रहालय, जुबली गार्डन के रानी विक्टोरिया मेमोरियल इंस्टीट्यूट बिल्डिंग में स्थित है। यहां मोहनजोदडों काल के लोगों के द्वारा पहने जाने कपड़े और गहने भी रखे हुए है।
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आजी डैम
आजी डैम राजकोट के आकर्षकों में से एक है। इस आजी डैम से पूरे राजकोट को पानी सप्लाई किया जाता है। आजी डैम राजकोट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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जगत मंदिर
राजकोट के आकर्षणों में जगत मंदिर भी आता है जो कलात्मक शैली का जीता जागता उदाहरण है। आप इस मंदिर की नक्काशी देख मंत्रमुग्ध हो उठेंगे।
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राष्ट्रीयशाला
राजकोट में राष्ट्रीयशाला, पर्यटकों के लिए दिलचस्प पर्यटन स्थल है। इसे महात्मा गांधी के द्वारा 1921 में शुरू किया गया था, इस स्कूल की स्थापना, केवल राष्ट्रीय अवधारणाओं पर आधारित विषयों पर की गई थी ताकि लोगों को शिक्षित किया जा सकें।
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कैसे जाएँ
सड़क मार्ग द्वारा- राजकोट, गुजरात राज्य सड़क परिवहन निगम द्वारा चलने वाली बसों की सहायता से पूरे राज्य से सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह शहर गुजरात हाईवे से भी जुड़ा हुआ है। इस शहर में कई प्राईवेट बसें भी चलती है। राजकोट नगर निमग, यहां सीएनजी वाली बसें चलाते है जो शहर के भीतरी इलाकों में चलती है।
रेल मार्ग द्वारा- राजकोट जंक्शन, भारत के कोने - कोने से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यहां कई प्रकार की एक्सप्रेस और पैसेंजर ट्रेन आती है जो कई शहरों के लिए नियमित रूप से चलती है। दिल्ली, मुम्बई, कलकत्ता और चेन्नई आदि शहरों से यहां का रेल हेड अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
वायु मार्ग द्वारा- राजकोट में मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर एक छोटा सा एयरपोर्ट स्थित है। यह घरेलू हवाई अड्डा है जो गुजरात के और देश के कई शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। जेट एयरवेज और एयरइंडिया, राजकोट से मुम्बई के लिए नियमित उड़ाने भरते है। यह अहमदाबाद और भावनगर से आवधिक सेवा है। जेट एयरलाइंस की बंगलौर से राजकोट की उड़ान भी है।
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