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पंजाब का वो रूपनगर जो आज भी बयां करता है सिंधु घाटी सभ्यता का इतिहास

By Syedbelal

आज अपने इस लेख में हम आपको पंजाब के एक ऐसे डेस्टिनेशन से अवगत करा रहे हैं जिसके बारे में कहा जाता है कि ये शहर सिंधु घाटी सभ्यता का गवाह रह चुका है। आज हम आपको बता रहे हैं पंजाब स्थित रूपनगर के बारे में। रूपनगर को पहले रोपड़ के नाम से जाना जाता था। यह एक प्राचीन शहर है, जो सतलुज नदी के बाएं किनारे पर बसा हुआ है। इस शहर का नाम 11वीं शताब्दी में इस क्षेत्र पर शासन करने वाले राजा रोकेश्वर के बेटे रूपसेन के नाम पर पड़ा है। रूपनगर सिंधु घाटी सभ्यता का भी एक महत्वपूर्ण शहर था।

भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा यहां की गई खुदाई में सिंधु घाटी सभ्यता के छह अलग-अलग काल के अवशेष मिले हैं। इन प्रचीन कला कृतियों को सुरक्षित रखने के लिए भारतीय पुरातात्त्विक सर्वेक्षण ने यहां एक खास म्यूजियम भी बनवाया है। रूपनगर पर्यटन में इस म्यूजियम का भी खासा योगदान है।

बात यदि रूपनगर और आसपास के पर्यटन स्थल की हो तो यहां ऐसा बहुत कुछ है जो आने वाले पर्यटक को अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है। आइये इस लेख के माध्यम से जाना जाये कि ऐसा क्या है जिसे आपको अपनी रूपनगर यात्रा में अवश्य देखना चाहिए।

आनंदपुर साहिब

आनंदपुर साहिब हिमालय पर्वत श्रृंखला के निचले इलाके में बसा है। इसे ‘होली सिटी ऑफ ब्लिस' के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर की स्थापना 9वें सिक्ख गुरू, गुरू तेग बहादुर ने की थी। एक प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार, बिलासपुर की दोवागर रानी चंपा ने अपने पति राजा दीप चंद की शोकसभा में आने के लिए गुरू को जमीन का एक हिस्सा दिया था। गुरू ने माक्होवाल के पास इस जमीन पर चक नानाकी नाम का गांव बसाया, जो बाद में आनंदपुर साहिब के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

विरासत-ए-खालसा

विरास-ए-खालसा को पहले खालसा हेरिटेज मेमोरियल कॉम्पेक्स के नाम से जाना जाता था। इसे बनाने में 13 साल का समय लगा और यह 2011 में बनकर तैयार हुआ। म्यूजिम में आपको सिक्ख धर्म की स्थापना और बाद में बने खालसा पंथ से जुड़ी घटनाओं का विस्तृत विवरण मिल जाएगा।

यहां लाइब्रेरी और प्रदर्शनी गैलरी के अलावा एक ऑडिटोरियम भी है, जिसमें 400 लोग बैठ सकते हैं। इस म्यूजियम की डिजाइन में आधुनिक और किला निर्माण की वास्तुशिल्पीय झलक देखी जा सकती है। बाहरी दीवार पर स्थानी शहद के रंग के खुरदरे पत्थर से म्यूजियम और भी शानदार हो उठता है।

भाखड़ा बांध

भाखड़ा बांध सतलुज नदी पर बने भाखड़ा-नंगल बांध का ही हिस्सा है। बिलासपुर जिले में स्थित इस बांध का नामकरण भाखड़ा गांव पर किया गया है और यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध है। इस बांध पर लगे पनबिजली संयंत्र से पंजाब के अलावा हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विद्युत आपूर्ति की जाती है। साथ ही यह बांध बरसात के दौरान इस क्षेत्र में आने वाले बाढ़ को भी रोकता है। इसके अलावा बांध से सिंचाई व्यवस्था भी दुरुस्त हुई है, जिसका असर कृषि उत्पादन पर देखा जा सकता है।

 पंजाब के रूपनगर में क्या देखें आप

कैसे जाएं रूपनगर

फ्लाइट द्वारा : सबसे नजीदीकी इंटरनेशनल एयरपोर्ट अमृतसर में है, जो रूपनगर से 200 किमी दूर है। सड़क मार्ग के जरिए यह दूरी चार घंटे में तय की जा सकती है। इसके अलावा आप रूपनगर से 55 किमी दूर स्थित चंडीगढ़ एयरपोर्ट का भी सहारा ले सकते हैं।

रेल द्वारा : ढेरों ट्रेनें रूपनगर रेलवे स्टेशन को पंजाब के अलावा भारत के अन्य शहरों से जोड़ती हैं। यूएचएल जनशताब्दी इसे जहां दिल्ली से जोड़ती है, वहीं हिमाचल एक्सप्रेस से यह हिमाचल प्रदेश से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग द्वारा : आसपास के शहरों से रूपनगर जाने के लिए सरकारी व निजी बसें सबसे अच्छा साधन है। अगर आप चाहें तो टैक्सी और कैब के जरिए भी रूपनगर पहुंच सकते हैं।

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