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बिहार का सांस्कृतिक परम्परा का प्रतीक है आध्यात्म का केंद्र सारन

By Syedbelal

जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे और भौगोलिक दृष्टि से 12 वें नंबर पर आने वाले बिहार का शुमार भारत के उन राज्यों में होता है जहां धार्मिक पर्यटन के चलते हर साल लाखों पर्यटक घूमनें आते हैं। यूं तो बिहार में घूमने के लिए बहुत कुछ है और इसी कर्म में आज अपने इस आर्टिकल से हम आपको अवगत कराएंगे बिहार के एक ऐसे डेस्टिनेशन से जहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं और इस स्थान की खूबसूरती में खो जाते हैं।

<strong><span style=निज़ाम के महल से लेके दम बिरयानी और गुंटूर कबाब की प्लेट तक बहुत कुछ है तेलंगाना में" title="निज़ाम के महल से लेके दम बिरयानी और गुंटूर कबाब की प्लेट तक बहुत कुछ है तेलंगाना में" loading="lazy" width="100" height="56" />निज़ाम के महल से लेके दम बिरयानी और गुंटूर कबाब की प्लेट तक बहुत कुछ है तेलंगाना में

जी हां हम बात कर रहे हैं बिहार के सारन की। बिहार में सारन सबसे ज्यादा घूमा जाने वाला पर्यटक स्थान है। सारन मानव जीवन के असंख्य सामूहिक प्रभाव जैसे आध्यात्म, संस्कृति और लोककथाओं से ओतप्रोत है, ज्ञात को कि सारन बिहार का सांस्कृतिक और पारम्परिक भाग है जो जीवन के हर भाग को खुशियों के साथ जीता है। सारन पर्यटन पर्यटकों के लिये एक विशाल मंच उपलब्ध कराता है जहाँ वे ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातत्वीय स्थलों को देख सकते हैं जिनमें आमी, गौतम स्थान, सिल्हौरी, धूर्त आश्रम, चिराण्ड और हसनपुरा शामिल हैं। तो आइये जानें सारन की यात्रा पर क्या क्या देख सकते हैं आप।

छुट्टियों के लिए परफेक्ट है सारन

द्रोह आश्रम

द्रोह आश्रम अपने पुरातत्वीय महत्व के कारण भारी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है और यह परसागढ़ के उत्तर में स्थित है। द्रोह आश्रम मुख्यतः भगवान डण्डेश्वर के ऐतिहासिक मन्दिर के कारण लोकप्रिय है जो गण्डकी नदी के किनारे स्थित है।

सिल्हौरी

सिल्हौरी सारन क्षेत्र के साथ-साथ एक बहुत ही पवित्र स्थान है। हर साल यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन होता है जिसका भक्तगण भारी संख्या में आनन्द लेते हैं। मेले का आयोजन शिवरात्रि के पावन अवसर पर किया जाता है।

सोनपुर

सोनपुर को सुबरनपुर के नाम से भी जाना जाता है और यह बिहार के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में से एक है। यह सामान्यतः यहाँ पर नवम्बर के महीने में कार्तिक पूर्णिमा के दिन से एक पखवाड़े के लिये आयोजित होने वाले पशुमेले या मालेगाँव मेले की वजह से काफी लोकप्रिय है।

आमी

आमी धिगवाड़ा के पश्चिम से 4 किमी की दूरी पर तथा छपरा से 37 किमी दूर स्थित है। आमी में गहरे और चौड़े कुँयें के साथ एक बगीचा स्थित है जोकि प्राचीन अम्बा स्थान मन्दिर के पास है। बगीचे की विशिष्टता यह है कि यह कभी नहीं सूखता है। आमी अपने दुर्गा मन्दिरों के लिये भी लोकप्रिय है।

गौतम स्थान

गौतम स्थान गोतम ऋषि का आश्रम है जो छपरा से 5 किमी दूर है। हिन्दू मान्यता के अनुसार गौतम ऋषि की पत्नी को उनके पति ने शाप देकर पत्थर में बदल दिया था।

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