भारतीय उपमहाद्वीप रहस्यों का गढ़ माना जाता हैं। चाहे बात खंडहर में तब्दील विशाल ऐतिहासिक भवनों की हो या फिर खूबसूरत नक्काशीदार बावड़ियों की। इनके पीछे की कहानी किसी न किसी किवदंती से जरूर जुड़ी मिलेगी। वैसे बावड़ियों का नाम आते ही हमारा ध्यान सीधा राजस्थान की ओर जाता है, क्योंकि यह भूमि अपने किलों के साथ-साथ बावड़ियां के लिए भी प्रसिद्ध है।
लेकिन आज हम राजस्थान की बावड़ियों की नहीं बल्कि मध्यप्रदेश स्थित एक तिलस्मी बावड़ी की बात करेंगे। कहा जाता है कि इस बावड़ी के पास जाते ही इंसान अपना होशहवास खो बैठता है। जानिए इस रहस्यमयी बावड़ी की पूरी सच्चाई.....
तांत्रिक बावड़ी का तिलस्म
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यह रहस्यमयी बावड़ी मध्यप्रदेश के श्योपुर शहर के लगभग 250 साल पुराने महल में बनी हुई है। जिसे तांत्रिक बावड़ी के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यह बावड़ी श्रापित है, इसलिए इसका पानी पीने से इंसान अपना होशहवास खो बैठता है।
जो भी इस बावड़ी का पानी पीता है, वो अपने आसपास के लोगों से झगड़ा करने लगता है। इसलिए इस जलाशय का पानी तिलस्मी माना जाता है।
जुड़ी है पुरानी किवदंती
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इस तांत्रिक बावड़ी को लेकर एक पुरानी किवदंती जुड़ी हुई है, कहा जाता है, बहुत सालों पहले यहां दो भाई पानी पीने के लिए आए थे, जैसे ही उन दोनों ने इस बावड़ी के पानी को अपने गले से उतारा, वे भूल गए कि वे दोनों भाई हैं। जिसके बाद वे बुरी तरह एक दूसरे से लड़ने गए। बहुत लोगों से इसे मात्र कहानी समझा, पर जब यह घटना राजपरिवार के कुछ लोगों से साथ घटी तो इसे बावड़ी को बंद करने का फैसला लिया गया।
क्यों कहा जाता है इसे तांत्रिक बावड़ी ?
जानकारों की मानें राजा गिरधर सिंह गौड़ ने लगभग 250 साल पहले यहां 8 बावड़ियां खुदवाई थीं। जिनमें से एक हमारे सामने तांत्रिक बावड़ी रूप में मौजूद है। किवंदतियों के अनुसार इस बावड़ी में किसी नाराज तांत्रिक ने जादू-टोना कर दिया था।
जिसके बाद से शुरू होती बावड़ी के रहस्य की कहानी। जो भी इस जलाशय का पानी पीता वो अपने परिवार-दोस्तों से लड़ाई-झगड़ा करना शुरू कर देता। यह कहानी कितनी सच है और कितनी झूठ इस विषय में कोई सटीक प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं।
बावड़ी की संरचना
यह तिलस्मी बावड़ी लगभग 100 वर्ग फीट है, जिसकी गहराई 10 फीट बताई जाती है। इस बावड़ी का निर्माण यहां के गढ़ी इलाके के सोरती बाग में भगवान शिवजी के स्थान पर करवाया गया था। यह इलाका कभी खूबसूरत बाग हुआ करता था, जहां आम के पेड़ों की भरमार थी। राजपरिवार के लोग अकसर यहां आया करते थे। राजा गिरधर सिंह गौड़ द्वारा बनवाई गईं 8 बावड़ियों में आज चार-या पांच बावड़ी ही मौजूद हैं, जिसमें से एक में पानी भरा रहता है जबकि बाकी सूख चुकी हैं।
तांत्रिकों का बसेरा
राजा गिरधर द्वारा बसाया गया यह नगर कभी तांत्रिकों के लिए जाना जाता था। एक से बढ़कर एक जादूगर यहां मौजूद थे। स्थानीय लोगों के अनुसार एक बार दो तांत्रिकों में भयंकर मुकाबला हुआ। पहले तांत्रिक ने अपनी तंत्र विद्या से बड़े ताड़ के पेड़ को तोड़ दिया। दूसरे तांत्रिक ने अपने जादू से उस पेड़ को जोड़ दिया। कहा जाता है कि वो पेड़ बहुत दिनों तक यहां खड़ा रहा।
कैसे पहुंचे तांत्रिक बावड़ी
यह तांत्रिक बावड़ी मध्यप्रदेश राज्य के श्योपुर जिले स्थित गिरधपुर कस्बे के हीरापुर गढ़ी में स्थित है। यहां आप तीनों मार्गों से आ सकते हैं। यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन 'श्योपुर कलां' है। हवाई मार्ग के लिए आप जयपुर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे/ग्वालियर एयरपोर्ट का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो यहां सड़क मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। श्योपुर सड़क मार्गों द्वारा राज्य के बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।