पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर बहुत ही खूबसूरत है जो एक बेहद ख़ास अतीत को दर्शाता है। इस खूबसूरत शहर को अम्बेर के राजा महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा बंगाल के एक वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य की मदद से बनाया गया था गौरतलब है कि यह भारत का पहला शहर है जिसे वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन करते हुए बनाया गया था।
अपने प्रेरणादायक स्मारकों औरबेहतरीन वास्तुकला के लिए मशहूर जयपुर में देखने के लिए बहुत कुछ है । जयपुर शहर, अपने किलों, महलों और हवेलियों के विख्यात है, दुनिया भर के पर्यटक भारी संख्या में भ्रमण करने आते है। दूर - दराज के क्षेत्रों के लोग यहां अपनी ऐतिहासिक विरासत की गवाह बनी इस समृद्ध संस्कृति और पंरपरा को देखने आते है।
जयपुर में देखने के लिए बहुत कुछ है तो इसी क्रम में आज हम आपको बता रहें हैं जयपुर के उन प्रमुख टूरिस्ट अट्रैक्शनों के बारे में जिन्हें आपको समय अवश्य ही देखना चाहिए और अपनी यात्रा को यादगार बनाना चाहिए।
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सिटी पैलेस
सिटी पैलेस एक लोकप्रिय विरासत है जो शहर के बीचोबीच स्थित है। यह शहर की शानदार इमारतों में से एक है। इस शानदार महल का निर्माण महाराजा सवाई जय सिंह माधो ने करवाया था जिन्होने जयपुर की स्थापना की थी। महल में राजपूत और मुगल शैली की वास्तुकला का एक सुंदर समामेलन है। महल के प्रवेश द्वार पर मुबारक महल ( स्वागत महल ) बना हुआ है। इसका निर्माण भी महाराजा सवाई माधो सिंह ने 19 वीं सदी में करवाया था जिसका इस्तेमाल स्वागत क्षेत्र के रूप मे किया जाता था। वर्तमान में इस इमारत को जयपुर के राजा सवाई माधो सिंह द्वितीय को समर्पित करके एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया।
हवा महल
हवा महल एक प्रसिद्ध स्मारक है जिसका निर्माण जयपुर के कवि राजा सवाई प्रताप सिंह ने 1799 ई. में करवाया था। यह इमारत पांच मंजिला है जो जयपुर के प्रसिद्ध जौहरी बाजार के पास स्थित है जो कि पूर्ण रूप से लाल और गुलाबी बलुआ पत्थर से बनी हुई है। हवा महल की डिजायन, लाल चंद उस्ता ने बनाई थी जिसमें 950 से भी ज्यादा खिड़कियां है। इस महल का निर्माण विशेष रूप से महिलाओं के लिए किया गया था ताकि वह जाली स्क्रीन के माध्यम से शाही जुलूस के दृश्यों का आनंद उठा सकें।
गल्टाजी मन्दिर
इस मंदिर को जयपुर का गहना कहा जाता है। गल्टाजी एक धार्मिक स्थल है जो जयपुर शहर से लगभग 10 किमी. की दूरी पर स्थित है। गल्टाजी परिसर में मंदिरों, मंडपों और प्राकृतिक झरनों का काफी विस्तार है। यह जगह पहाड़ी क्षेत्रों के बीच स्थित है। यह मंदिर यहां स्थित सूर्य देवता को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण जयपुर की सबसे ऊंची चोटी दीवान कृपाराम पर किया गया है जहां से शहर के हर हिस्से को देखा जा सकता है।
अम्बेर किला
अम्बेर किले को लगभग 200 साल की अवधि में राजा मानसिंह, मिर्जा राजा जय सिंह और सवाई जय सिंह द्वारा बनाया गया था। जयपुर के अस्तित्व में आने से पहले यह लगभग 7 के लिए कच्छचावाहा शासकों की राजधानी के रूप में जाना जाता था। यह किला मूठा झील के किनारे पर स्थित है जहां महलों, मंडपों, हॉल, मंदिर और गार्डन भी हैं।
नाहरगढ़ किला
नाहरगढ़ फोर्ट को जयपुर के राजा सवाई जय सिंह द्वारा बनाया गया था। इस किले का निर्माण कार्य 1734 में पूरा किया गया, हालांकि बाद में 1880 में महाराजा सवाई सिंह माधो द्वारा किले की विशाल दीवारों और बुर्जो का पुननिर्माण भी करवाया गया था। यह किला, अरावली पर्वतों की श्रृंखला में बना हुआ है जो भारतीय और यूरोपीय वास्तुकला का सुंदर समामेलन है।
अल्बर्ट हॉल
अल्बर्ट हॉल का निर्माण महाराजा सवाई सिंह माधो द्वारा 1886 ई. में 4 लाख रूपए की लागत से सूखा राहत परियोजना के अर्न्तगत किया गया था। यह एक सुरम्य और खूबसूरत गार्डन है जो राम निवास बाग में स्थित है। इस इमारत को सर स्विंटन जैकब ने डिजायन किया था। आजकल, अल्बर्ट हॉल का इस्तेमाल एक संग्रहालय के रूप में किया जाता है जिसमें धातु मूर्तियों, चित्रों, हाथी दातों, कालीन और रंगीन क्रिस्टल का भव्य संग्रह प्रदर्शित किया गया है।
जंतर मंतर
जंतर - मंतर, भारत की पांच खगोलीय वेधशालाओं में से सबसे बड़ा है जिसकी स्थापना राजा सवाई जयसिंह द्वितीय द्वारा की गई थी। यह वेधशाला, यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की गिनती में सम्मिलित है जिसके बारे में यूनेस्को का कथन है कि यह वेधशाला मुगल काल के खगोलीय कौशल और ब्रह्माण्ड संबंधी अवधारणाओं की अभिव्यक्ति का सर्वश्रेष्ट नमूना है।
जयगढ़ किला
जयगढ़ किले को विजय किले के रूप में जाना जाता है। यह जयपुर के विख्यात पर्यटन स्थलों में से एक है जो शहर से 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह ईगल्स के हिल पर अम्बेर किले से 400 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस किले के दो प्रवेश द्वार है जिन्हे दूंगर दरवाजा और अवानी दरवाजा कहा जाता है जो क्रमश: दक्षिण और पूर्व दिशाओं पर बने हुए है।
जल महल
जल महल एक सुंदर महल है जो जयपुर की एक छोटी सी झील के बीच में स्थित है। इस महल को राजा - महाराजा और उनके परिवारों के लिए शिकार लॉज के रूप में बनाया गया था। जल महल को झील के किनारे से भी देखा जा सकता है।
बिड़ला मन्दिर
बिड़ला मन्दिर जिसे लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है जयपुर का एक प्रसिद्ध मन्दिर है और भारत में स्थित बिड़ला मन्दिरों में से एक है। ये मंदिर भगवान विष्णु और उनकी पत्नी देवी लक्ष्मी को समर्पित है। इस मंदीर की ख़ास बात ये है कि यहां भगवान विष्णु की मूर्ति को बनाने के लिए संगमरमर के एक ही पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। इस मंदिर का शुमार जयपुर के सबसे खूबसूरत आकर्षणों में किया जाता है।