जब भी बात बात भारत भ्रमण की आती है, तो हम अक्सर बिहार राज्य को इग्नोर कर देते हैं। लेकिन आपको बता दें, यह खूबसूरत राज्य अपनी संस्कृती और सभ्यता के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। इस राज्य को लिखवी नामक दुनिया में पहली लोकतंत्रों में से एक स्थापित करने का गौरव है।
अगर बात पर्यटन की जाये तो, इस राज्य में दुनिया का पहला विश्वविद्यालय स्थापित था, जो अब खंडहर में तब्दील हो चुका है। बिहार राज्य का यह नाम 'विहारा' से लिया गया है जिसका अर्थ होता है 'मठ' । बिहार, हिंदुओं, जैन और विशेषतः बौद्ध धर्म के लोगों के लिए धार्मिक केंद्र हुआ करता था। बिहार पर्यटन- झील, झरने और हॉट स्प्रिंग्स के रूप में प्राकृतिक सुंदरता के क्षेत्र प्रदान करता है। इसके अलावा राज्य के खास पर्व और खान-पान भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। तो आइये जानते हैं, बिहार को घूमने के खास कारण, कि आखिर कभी भी पर्यटन के मामले में बिहार को कभी कम नहीं आंकना चाहिए
प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल- गया
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बिहार बौद्ध समुदाय का प्रसिद्ध तीर्थ है, कहा जाता है कि, यहां स्थित बोधि वृक्ष के तले बैठ गौतम बुद्ध ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसलिए यह स्थान बौद्ध धर्म से जुड़े लोगों के लिए एक तीर्थस्थल है। आपको बोध गया में बुद्ध से जुड़ी सारी चीजें मिल जाएंगी। आप यहां भूटानी, जापानी, व चीनी, थाई मठों के दर्शन भी कर सकते हैं। यूनेस्को की विश्व धरोहर में शमिल महाबोधि मंदिर के निर्माण का श्रेय राजा अशोक को जाता है, जिसे 260 ईसा पूर्व में बनाया गया था।
सिखों का प्रसिद्ध गुरुद्वारा- तखत श्री पटना साहिब
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तखत श्री पटना साहिब सिखों के पाँच पवित्र तख्त में से एक है। यह वही जगह है जहां, सिखों के दसवें और अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म हुआ था। सिख धर्म के पांच प्रमुख तख्तों में दूसरा तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब हैं। बताया जाता है कि, यह स्थान सिर्फ सीखो के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी से ही नहीं बल्कि गुरु नानक देव के साथ ही गुरु तेग बहादुर सिंह की पवित्र यात्राओं से जुड़ा है। इस कारण देश व दुनिया के सिख संप्रदाय के लिए पटना साहिब आस्था का केंद्र रहा है। इस गुरुद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था। निश्चित तौर पर यह गुरुद्वारा उत्तरी भारत में सिख धर्म की जड़ है। इस गुरूद्वारे में दर्शन करने आने वाले सिख श्रद्धालु गुरु गोविंद सिंह से संबंधित अनेक प्रमाणिक वस्तुएँ देख सकते है। इसके गुरूद्वारे की सौम्य सफेद गुंबद हैं और दिल थाम लेने वाले डिज़ाइन में बनी सीढि़याँ दर्शकों का मन मोह लेती हैं। भारत के बेहद खूबसूरत गुरूद्वारे
बिहार के खास किले
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जी हां, देश के अन्य राज्यों की तरह बिहार में कुछ खास किले, हालंकि अब ये किले एकदम जर्जर अवस्था में हैं, लेकिन इन किलों की गौरवगाथा, आज भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। पर्यटक बिहार में रोहतास दुर्ग देख सकते हैं, रोहतास किला रोहतास जिले में स्थित एक प्राचीन दुर्ग है, जोकि भारत के प्राचीन किलों में से एक माना जाता है। इसके अलावा पर्यटक मुंगेर का किला भी देख सकते हैं- जोकि पवित्र नदी गंगा के किनारे एक पहाड़ी पर स्थित है। भारत के अन्य किलों की भांति यह किला भी अद्भुत वास्तुकला के लिए जाना जाता है। इस ऐतिहासिक सरंचना का भ्रमण कर आप बिहार के अतीत को कुछ हद तक समझ सकते हैं। यह एक घेराबंद किला है जिसके चारों ओर 4 द्वार बने हुए हैं। यह किला दो पहाड़ियों के साथ लगभग 222 एकड़ में फैला हुआ है। किले के अंदर प्रवेश करते ही आपको कई कब्र और स्मारक देख सकते हैं।
जैन मंदिर
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दुनिया का पहला विश्वविद्यालय
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बिहार की राजधानी पटना से करीबन 95 किमी की दूरी पर स्थित नालंदा वास्तुशिल्प का एक अद्भुत नमूना माना जाता है। इसे नालंदा पर्यटन द्वारा अच्छी तरह से संरक्षित किया गया है।यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल में शुमार यह जगह चीन भारत में शिक्षा का एक मुख्य केंद्र था। नालंदा के समृद्ध अतीत को इस तथ्य से निश्चित किया जा सकता है कि यहाँ तिब्बत, चीन, टर्की, ग्रीस और पर्शिया (इरान) के अतिरिक्त और भी दूर के स्थानों से लोग ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते थे। यह विश्व के पहले आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है। यहाँ पर एक समय 2000 शिक्षक और10000 विद्यार्थी रहते थे जो यहाँ पढ़ने आते थे। वर्ष 1951 में, बिहार सरकार ने पाली और बौद्ध धर्म के समकालीन केंद्र, नवा नालंदा महावीर (नई नालंदा महावीर) की स्थापना की और वर्ष 2006 में नालंदा को विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।
बिहार का खाना
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अन्य राज्यों की तरह बिहार की भी अपनी सिग्नेचर डिशेज हैं, जिनमे सत्तू, चूड़ा-दही और लिट्टी चोखा आदि शामिल हैं। बिहार में शाहकारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजन पसंद किये जाते हैं। अगर आप बिहार की यात्रा पर हैं , तो यहां के सत्तू के परांठे, कचौरी, लिट्टी चोखा, कड़ी, माल पुआ चना घुघनी,परवल की मिठाई आदि चखना ना भूलें।
अगर आप खाने के शौकिन हैं, तो बिहार कि एक सैर हो जाए
बिहार के पर्व
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छठ, बिहार का एक प्राचीन और महत्वपूर्ण त्यौहार है, यह वर्ष में दो बार मनाया जाता है: एक बार गर्मियों में, जिसे छठी का छठ कहा जाता है, और एक बार दीपावली के बाद के एक सप्ताह के आसपास, जिसे कार्तिक छठ कहा जाता है। छठ में सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। इसमें एक बार शाम को और एक बार पौ फटने पर (सूर्योदय के समय) बहती हुई नदी के किनारे या किसी भी बड़े जलाशय पर, दो बार पूजा की जाती है। छठ के अलावा भारत के सभी प्रमुख त्योहार जैसे मकर संक्रांति, सरस्वती पूजा और होली पूरी भव्यता के साथ बिहार में मनाए जाते हैं। सोनीपुर पशु मेला एक महीने चलने वाला समारोह है जो दीवाली के लगभग आधा महीने के बाद शुरू होता है। यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह सोनीपुर की गंडक नदी के किनारे आयोजित किया जाता है।