वराह गुफा मंदिर कांचीपुरम जिले के अंतर्गत तमिलनाडु का अद्भुत रॉक-कट गुफा मंदिर है। यह एक पहाड़ी गांव का एक हिस्सा है जो महाबलीपुरम के मुख्य स्थल राठ और तटीय मंदिर से लगभग 4 किमी की दूरी पर स्थित है। इस गफा मंदिर का संबंध 7वीं शताब्दी से बताया जाता है जो उस समय की रॉक-कट स्थापत्य कला का एक जीता-जागता उदाहरण पेश करता है।
इसके अलावा यह मंदिर प्राचीन विश्वकर्मा स्थापत्य को भी भली भांति चित्रित करता है। ऐसे कई गुफा मंदिरों को मंडप भी कहा जाता था। इस मंदिर के ऐतिहासिक परिदृश्य और खूबसूरती को देखते हुए इसे 1984 में यूनेस्कों द्वारा विश्व धरोहर भी घोषित किया जा चुका है।
मुख्य आकर्षण का केंद्र
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वराह गुफा मंदिर में सबसे मुख्य आकर्षण का केंद्र है भगवान विष्णु की प्रतिमा। भगवान विष्णु इस गुफा मंदिर में वराह के अवतार में स्थित है। मूर्ति उस पौराणिक घटना को चित्रित करती है जब धरती माता को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने वराह यानी जंगली सूअर का रूप धारण किया था। भगवान विष्णु के रूप वराह ने अपने लंबे दांतों के सहारे पृथ्वी को बचाया था। वरहा भगवान विष्ण के दशअवतार में गिने जाते हैं।
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब राक्षस हिरण्याक्ष ने धरती को कष्ट पहुंचाना तब मां वसुंधरा जल में डूब गई थीं। तब भगवान विष्णु ने वराह का रूप धारण किया और राक्षक मार कर धरती मां बचाया।
गुफा का इतिहास
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गुफा अपने स्तंभों के माध्यम से उत्कृष्ट वास्तुकला का दर्शाती है। नक्काशीदार स्तंभ और भित्तिचित्र यहां आने वाले सैलानियों को बहुत हद तक प्रभावित करते हैं। इतिहास से जुड़े लेख बताते हैं कि यह खूबसूरत आकृतियां और भित्तिचित्र पल्लव राजाओं के शासनकाल में विकसित किए गए थे। स्तंभों पर उकेरी गईं इन आकर्षक आकृतियों को ममल्ला द्वारा भी संरक्षण प्राप्त हुआ। इस शैली को ममल्ला के पुत्र परमेश्वरवर्मान 1 ने भी अपने समय में जारी रखा था।
ऐतिहासिक शोध द्वारा यह पुष्टि की गई है कि महाबलीपुरम शहर की स्थापना ममल्ला के नाम पर ही की गई थी। स्थापना के बाद 650 ईस्वी के दौरान गुफाएं और राठ का निर्माण किया गया था।
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मंदिर की वास्तुकला
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गुफा एक पहाड़ी पर स्थित है जिसके सामने पत्थरों से बना एक मंडप मौजूद है। गुफा कक्ष पश्चिम की ओर मुख किए हुए है। इसकी चौड़ाई लगभग 33 बाय 14 फीट और इसकी ऊंचाई लगभग11.5 फीट होगी। प्रवेशद्वार पर चार अष्टकोणीय खंभे और दो अष्टकोणीय आकार के भित्ती स्तम्भ मौजूद हैं। यह मंदिर एक छोटा मोनोलिथिक रॉक-कट मंदिर है जिसका नक्काशीदार मंडप 7वीं शताब्दी का बताया जाता है। मंडप पर खूबसूरत आकृतियां उकेरी गई हैं।
यहां कुछ ग्रेको-रोमन वास्तुशिल्प शैलियों को भी देखा जा सकता है। गुफा मंदिर की बैठी हुई मूर्तियां बहुत हद तक यूरोपीय वास्तुकला में देखी गईं मूर्तियों के समान लगती हैं। गुफा के अंदर मूर्ति दृश्य काफी खूबसूरत हैं। यहां भगवान विष्णु के वराह रूप को भी दर्शाया गया है।
मंदिर का आंतरिक भाग
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प्रवेश द्वार के विपरीत मंडप की पिछली दीवार के केंद्र में अभिभावक मूर्तियों को मंदिर के दोनों ओर नक्काशीदार तरीके से उकेरा गया है। मंडप के अंदर दीवारों पर कई खबसूरत मूर्तियों को देखा जा सकता है। ये प्राचीन आकृतियां प्राकृतिक पल्लव कला का भली भांति चित्रण करती हैं।
मंदिर की किनारे वाली दीवारों पर भगवान विष्ण के मुर्तियां उकेरी गई हैं। यहां आप भगवान विष्ण के दशअवतार में से एक वराह को देख सकते हैं। प्राचीन वास्तुकला को यहां अच्छी तरह समझा जा सकता हैं।
कैसे करें प्रवेश
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वराह गुफा मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले के अंतर्गत आता है, यहां आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा चेन्नई एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप कांचीपुरम रेलवे स्टेशन सहारा ले सकते हैं।
आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से कांचीपुरम दक्षिण भारत के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
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