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बूंदी कई महान चित्रकारों, लेखकों एवं कलाकारों के लिए प्रेरणा स्त्रोत रहा है। रूडयार्ड किपलिंग को भी अपनी रचना "किम" की प्रेरणा यहीं से मिली थी। बूंदी के निवासी अधिकतर राजपूत हैं जो अपनी बहादुरी और वीरता के लिये जाने जाते हैं। बूंदी के अधिकतर आदिवासी पुरानी विचारधारा के हैं एवं ठेठ राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं का पालन करते हैं। हिंदी और राजस्थानी यहाँ बोली जाने वाली दो मुख्य भाषाएँ हैं।
बूंदी का इतिहास
माना जाता है कि राजस्थान का खूबसूरत शहर बूंदी हादा चौहान के अधीन आता है जोकि शाही हदोती साम्राज्य से ताल्लुक रखते थे। इस राजवंश द्वारा वास्तुकला और शिल्पकला के कई बेजोड़ नमूने देख सकते हैं। 1624 में कोटा के दो भागों में विभाजित होने के बाद हदोती परिवार का पतन हो गया था। जोधपुर की इमारतों की ही तरह बूंदी में भी आप ऐसी खूबसरत इमारतें देख सकते हैं। इन्हें इस तरह से बनाया गया है कि इनमें हमेशा ठंडक बनी रहती है। हडोती राजवंश के कई अवशेष हैं जो आपको उनके समय की कथाएं और कहानियां याद दिला देंगीं।
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यहां पर्यटक कई जगहें देख सकते हैं... जिसमें से तारागढ़ किला, बूंदी महल, रानीजी-की-बावडी, नवल सागर बहुत प्रसिद्ध हैं। बूंदी में अन्य पर्यटक आकर्षण सुख महल, चौरासी खंभों की छतरी, जैत सागर झील एवं फूल सागर हैं।
तारागढ़ किला
बूंदी का सबसे खूबसूरत आकर्षण है तारागढ़ किला जिसे 1354 में बनवाया गया था। सदियों से ये किला ऐसे ही मजबूती के साथ खड़ा है। ये किला पर्वत के किनोर पर ऊंचाई पर बना हुआ जहां से आप पूरे शहर को देख सकते हैं। इसके अलावा तारागढ़ किले के तीन दरवाज़े हैं जिनका नाम गुदी की फाटक, लक्ष्मी पोल और फुटा दरवाज़ा है। तारागढ़ किले के कमांडर के सम्मान में इस स्थान को मीरन साहेब की दरगाह कहा जाता है। इस किले का एक चक्कर आपको प्राचीन सदी में लेकर जाएगा।PC: www.reutsky.com
सुख महल
बूंदी जब उमेद सिंह के राज्य में था तब उन्होंने झील जैत सागर की सीमा पर सुख महल बनवाया था। इस महल को छतरी ने ढका हुआ है और यही इस महल का सबसे आकर्षित हिस्सा भी है। ये हिस्सा दूसरी मंजिल में देखने को मिलेगा। रुद्रयार्ड किपलिंग की किम किताब में इस महल की काफी तारीफ की गई थी जिसके बाद इस महल को पूरी दुनिया में ख्याति प्राप्त हुई। इस किताब में सुख सागर महल के जिक्र के कारण यहां पर एक फिल्म की शूटिंग भी की गई थी।
नवल सागर झील
नवल सागर एक आर्टिफिशयल झील है जो शहर के बीचोंबीच स्थित है। ये बूंदी का सबसे मुख्य आकर्षण है और इसके आसपास कई स्टैपवैल भी हैं। झील के मध्य में एक मंदिर भी है जो भगवान वरुण को समर्पित है।
पहले ये झील कुओं तक पानी पहुंचाने का मुख्य स्रोत था लेकिन अब इसे पर्यटन स्थल बना दिया गया है। तारागढ़ किले से इस झील के वास आप पक्षियों को भी निहार सकते हैं।PC:Piyush Tripathi
84 खंभों का सेनोपाथ
बूंदी के राजा राव अनिरूद्ध ने ये खूबसूरत संरचना को बनवाया था। उन्होंने 84 खंभों के सेनोपाथ को अपनी पत्नी नर्स देवा की याद में बनवाया था। इस इमारत में अलग-अलग 84 खंभे खड़े हैं जिन पर हाथी, परियां और हिरणों की नक्काशी की गई है। इन्हें देखकर पर्यटक विशेष रूप से आकर्षित होते हैं।
कैसे पहुंचे बूंदी
वायु मार्ग : बूंदी से 150 किमी दूर स्थित है जयपुर एयरपोर्ट जोकि बुंदी का सबसे निकटतम एयरपोर्ट है। ये भारत के मुख्य शहरों जैसे दिल्ली, बैंगलोर और मुंबई आदि से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग : बूंदी का समीपतम रेलवे स्टेशन कोटा में है जोकि 35 किमी दूर है। कोटा रेलवे स्टेशन कई शहरों जैसे जोधपुर, जैसलमेर, दिल्ली आदि से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से आपको बुंदी के लिए टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी।
सड़क मार्ग : राज्य सरकार द्वारा राजस्थान से बूंदी तक बसें चलती हैं। उत्तर प्रदेश और दिल्ली से भी बूंदी के लिए बस मिल सकती है। बूंदी में घूमने के लिए आपको प्राइवेट बस भी मिल जाएगी। इसके अलावा एनएच 12 से ड्राइव कर आप जयपुर से बूंदी पहुंच सकते हैं।
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