भारत का राजस्थान राज्य अपने गौरवशाली इतिहास के लिए जाना जाता है। यहां खड़े किले-महल भारतीय योद्धाओं की वीरगाथाओं का गुणगान करते हैं। इस भूमि ने भारत को कई वीर सपूत दिए हैं, जिनके योगदान से भारत का एक खास इतिहास लिखा गया है। हालांकि अब यहां राजशाही परंपरा का पतन हो चुका है लेकिन कुछ राजपरिवारों को आज भी देखा जा सकता है। यहां के राजपूत राजाओं द्वारा बनवाए गए कई महल आज खंडहर में तब्दील हो चुके हैं लेकिन इनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है।
इन ऐतिहासिक धरोहरों को देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक यहां तक का सफर तय करते हैं। जयपुर, उदयपुर, जैसलमेर, चित्तौड़गढ़, अजमेर आदि ऐतिहासिक शहर विश्व ख्याति पाने में सफल हुए हैं। लेकिन समय के साथ-साथ इन शहरों से एक ऐसा भी इतिहास जुड़ा जो इनकी कुछ अलग ही कहानी बयां करता है। जिसके बारे में जानकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं।
रहस्य की पड़ताल में आज हम बात करने जा रहे हैं राजस्थान के ऐतिहासिक शहर उदयपुर के उन प्रेतवाधित स्थानों के बारे में जहां शाम क्या दिन के वक्त भी 'नेगेटिव एनर्जी' को महसूस किया जा सकता है।
सज्जनगढ़ किला
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उदयपुर में कई ऐतिहासिक किले मौजूद हैं लेकिन उनमें से कई किले अपने प्रेतवाधित अनुभवों के लिए जाना जाता है। उन्हीं में से एक है सज्जनगढ़ का किला जो मानसून महल के नाम से भी जाना जाता है।
इस महल को देखने के लिए रोजाना कई पर्यटक आते है लेकिन उन्हें महल के भूमिगत कमरों में जाने की इजाजत नहीं। यहां का ग्राउंड फ्लोर हमेशा बंद रहता है। जिसको लेकर लोगों द्वारा अलग-अलग मत रखे गए हैं।
लोगों का मानना है की निचली मंजिल पर भूत-प्रेतों का साया है इसलिए इसे बंद रखा जाता है। किले को शाम के सात बजे बंद कर दिया जाता है।
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बड़ी झील
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उदयपुर की बड़ी झील जितना अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती है उतना ही अपने खौफनाक अनुभवों के लिए, जिसका जिक्र अकसर आस पास के गांव वाले करते हैं। यह झील चारों तरफ से घने पहाड़ी जंगलों से घिरी हुई है, जहां अकसर पास की सड़क पर जंगली जीव दिखाई देते हैं।
पर इसके अलावा यहां शाम के बाद एक अलग सा ही नकारात्मक अनुभव होता है। यह झील अपने रहस्यमयी अनुभवों के लिए कुख्यात है। इसलिए स्थानीय लोग अपने बच्चों को यहां रात के समय जाने से रोकते हैं।
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गुलाब बाग
उदयपुर का प्रसिद्ध गुलाब बाग भी प्रेतवाधित माना जाता है, सुबह से शाम तक भले ही यहां पर्यटकों की जमघट लगती है, लेकिन सूरज ढलते ही यहां अदृश्य शक्तियों का कब्जा हो जाता है। बहुत से स्थानीय लोगों का मानना है कि बाग के अंदर स्थित मस्जिद में झाड़-फूंक जैसी क्रियाएं की जाती हैं।
इसके अलावा यहां रात में लोगों ने अजीबोगरीब हरकतों और आवाजों को अनुभव किया हैं। रात के समय कुछ आवाजें मिश्रित रूप में किसी महिला-पुरूष का आती है।
इसलिए शाम होते ही यहां कोई रूकता नहीं। यह गार्डन देखने में खूबसूरत है लेकिन प्रेतवाधित कारणों की वजह से इस बाग ने अपनी अलग ही पहचान बना डाली है।
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चांदनी गांव
उदयपुर मुख्य शहर से लगभग 23 किमी की दूरी पर चांदनी नाम का एक गांव है। प्राकृतिक खूबसूरती के कारण यहां अकसर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है। लेकिन इस गांव का एक अलग किस्सा भी है, जो इंसानों से नहीं बल्कि भूत-प्रेतों से जुड़ा है। जानकारों का मानना है कि इस गांव में कोई भटकती आत्मा का साया है। जो रात में गलियों में घूमती दिखाई देती है।
शाम के बाद गांव अंधेरे के कारण गायब हो जाता है और इसी बीच यह भटकती रूह गांव में घूमती है। इसलिए देर रात कोई अपने घरों से नहीं निकलता है।
दूध तलाई झील की सड़क
उदयपुर के बहुत से लोगों का मानना है कि दूध तलाई झील के पास की सड़क पर अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं, जो इंसानी कम शैतानी ज्यादा लगती है। यह सड़क हनुमान मंदिर से पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क तक जाती है। यहां की एक घटना के बाद लोग रात में इस सड़क पर निकलने से काफी डरते हैं। माना जाता है कि कोई स्थानीय निवासी अपने मित्र के साथ दूध तलाई झील की सड़क से होता हुआ जा रहा था, थोड़ी देर जाकर उसकी कार अचानक से रूक गई और पीछे की तरफ चलने लगी, इसी बीच उसका मित्र बेहोशी की हालत में पहुंच गया ।
उस आदमी ने तुरंत कुछ धार्मिक मंत्रों का जाप किया और थोड़ी देर बाद गाड़ी स्टार्ट हो गई और वो तुरंत यहां से जल्दी निकल गया। इस घटना के बाद आसपास के गांवों में काफी खौफ है।