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सूबेदार की बेटी और गरीब लकड़हारे के अनोखे प्यार को दर्शाता है ये तालाब

By Staff

भारत कई अनसुलझे रहस्यों का देश है, यहां मौजूद हर रहस्य के पीछे कोई न कोई दिलचस्प किवदंती है। भारत के ये रहस्य कभी भूत प्रेतों और आत्माओं से जुड़े हैं तो कभी किसी वीर क्षत्रिय की बहादुरी भरी गाथाओं या फिर राजा रानी की कहानियों और अपने में बेहतरीन वास्तुकला संजोए मंदिरों से। यदि आप भारत की यात्रा करेंगे तो आप पाएंगे कि यहां कश्मीर से लेके कन्याकुमारी और राजस्थान से लेके गंगटोक तक ऐसा बहुत कुछ है जो आपको अपनी तरफ आकर्षित करेगा।

इसी क्रम में आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे तालाब और स्मारक के बारे में जिसका निर्माण एक प्रेमी जोड़े की याद में किया गया है। कहते हैं प्यार बंदिशें नहीं देखता बस हो जाता है। साथ ही प्यार कोई ऊंच नीच जात पात भी नहीं देखता।

अब तक आपने सुना होगा कि फलां प्रेमी ने अपनी प्रेमिका की याद में किसी स्मारक का निर्माण किया या फिर उसको याद करते हुए कुछ बनवाया, लेकिन अब अगर कोई प्रेमिका अपने मरे हुए प्रेमी के लिए कुछ करे तो बात ज़रा दिलचस्प होगी।

जी हाँ ये सच है, अगर आप को ये अनोखा नज़ारा देखना है तो राजधानी दिल्ली से 65 किलोमीटर दूर हरियाणा के झज्जर आइये और यहां मौजूद बुआ वाला तालाब की यात्रा करिये। बुआ वाला तालाब का निर्माण आज से 375 वर्ष पूर्व हुआ था। इस तालाब के निर्माण के पीछे एक दिल चीर देने वाली कहानी जुडी है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन झज्जर नवाब के एक सूबेदार मुस्तफा खान की बहादुर बेटी बुआ घुड़सवारी करते हुए जंगल में पहुंच गई। दुर्भागय से उनपर बाघ ने हमला कर दिया और वह मदद क लिए चिल्लाई।

उनकी चीख सुनकर पास में ही काम कर रहा हसन नाम का एक गरीब लेकिन सुंदर लकड़हारा उस ओर दौड़ा। उसने बाघ को मार गिराया और लड़की को जख्मी हालत में वापस लेकर आया। बुआ के पिता ने लकड़हारे को ईनाम देने की घोषणा की, पर हसन ने ईनाम के बदले उनकी बेटी से शादी की इच्छा जाहिर की।

अनोखे प्यार को दर्शाता है ये तालाब

बेमन से मुस्तफा खान ने लकड़हारे की बात मान ली, पर शादी को कुछ समय के लिए आगे बढ़ा दिया। एक दिन उन्होंने हसन से कहा कि वह नवाब की सेना में भर्ती हो जाए और युद्ध में हिस्सा ले। हसन ने ऐसा ही किया और युद्ध में मारा गया। कहा जाता है की अपने प्रेमी हसन की मौत से टूट चुकी बुआ का भी देहांत कुछ समय बाद हो गया और उसे अपने प्रेमी हसन की कब्र के बगल में दफनाया गया।

कैसे पहुँचें झज्जर

हम जानते हैं इस कहानी को पढ़ने के बाद आपका जरूर इस तालाब और इस मख़बरे को देखने का मन होगा। झज्जर जाने के लिए आप यहां क्लिक करें- कैसे जाएं झज्जर

पढ़ें : वो मंदिर जिसको आज भी है अपनी पूजा का इंतेजार

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