पौराणिक ग्रंथों में देवी दुर्गा के 'शक्ति' रूप को मानव संसार के रक्षक के रूप में व्यक्त किया गया है। देवी दुर्गा हिन्दू आस्था का अभिन्न अंग हैं। भारत में उनके सभी शक्ति रूपों को पूजा जाता है। और देवी के इन्हीं सभी रूपों में से मुख्य 9 रूपों की साधना को ही नवरात्री कहा जाता है।
भारत में नवरात्रि का पावन त्योहार पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान पूरे भारतवर्ष में मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना की जाती है। नौ रातों और दस दिनों की यह साधना वर्ष में चार बार (पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा ) आती है। इस दौरान मां दुर्गा के सभी पवित्र धामों में भक्तों का भारी जमवाड़ा लगता है।
अपने दुख-दर्द और अपनी असंख्य मनोकामनाओं के साथ श्रद्धालु मां की भक्ति में लीन हो जाते हैं। इस साल की चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक चलेगी। आइए जानते हैं चैत्र नवरात्रि हम सभी के लिए क्यों खास मानी जाती है। और साथ में जानते हैं मनचाही सच्ची मुरादों के लिए मां दुर्गा के कौन-कौन से धामों के दर्शन इस बीच किए जा सकते हैं।
मां दुर्गा के नौ रूप
चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) में आनी वाली नवरात्रि आत्मिक व मानसिक सुख के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। इस बार के नवरात्र 18 मार्च से शुरू हो रहे हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार चैत्र मास में 9 दिनों तक मां दुर्गा की उपासना करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है, और वातावरण सुख-शांति से भर जाता है।
इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नौ दिनों तक चलने वाली इस विशेष उपासना को आत्मशुद्धि व कष्टों की मुक्ति का द्वार माना जाता है। मां दुर्गा के आदि शक्ति के नौ रूपों में - मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है।गजब : अब सैलानी बिहार में लेंगे इस खास सेवा का आनंद
क्या महत्व है चैत्र नवरात्रि का
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ज्योतिषीय दृष्टि से चैत्र नवरात्रि का बड़ा महत्व है। इस दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। 12 राशियों का महा चक्र पूरा कर सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। जहां से दोबारा नए चक्र की शुरूआत होती है। बता दें कि चैत्र नवरात्रि से ही हिन्दू नववर्ष शुरू होता है।
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मां दुर्गा के प्रसिद्ध मंदिर - वैष्णों देवी मंदिर
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वैष्णो देवी भारत में मां दुर्गा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। जो समुद्र तल से 1584 मीटर की ऊंचाई पर जम्मू-कश्मीर राज्य के त्रिकुटा पर्वत के बीच स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार वैष्णो देवी भगवान विष्णु की उपासक थीं। कहा जाता है कि भैरो नाथ नाम के एक तांत्रिक ने देवी का पीछा किया था, खुद को बचाने के लिए देवी को त्रिकुट पर्वत की गुफा में छुपना पड़ा।
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मनसा देवी मंदिर
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मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित है। जां मां दुर्गा अपने भक्तों के कष्ट दूर करने के लिए स्वयं विराजमान हैं। कहा जाता है यहां भक्तों की सभी मुराद पूरी होती है, इसलिए मंदिर का नाम मनसा पड़ा। मां दुर्गा के इस मंदिर से एक धार्मिक किवदंती जुड़ी है।
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कामाख्या देवी मंदिर
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असम के गुवाहाटी स्थित कामाख्या मंदिर देवी सती के प्रमुख शक्तिपीठों में गिना जाता है। जहां देवी सती की योनी गिरी थी। यह मंदिर शहर से लगभग 8 किमी की दूरी पर निलाचल पर्वत पर स्थित है। धार्मिक किवदंती के अनुसार जब भगवान शिव सती का मृत शरीर ले जा रहे थे, तो उसी वक्त इस स्थान पर सती की योनी गिरी थी।
इस स्थान को अब प्रमुख तीर्थ के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। यह मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में बना है, जो चारों ओर से जल धाराओं से घिरा है। यह मंदिर हिन्दू आस्था मुख्य केंद्र है।
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नैना देवी मंदिर
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मां दुर्गा को समर्पित नैना देवी मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित है। यह स्थान भी देवी सती के प्रमुख शक्तिपीठों में गिना जाता है। धार्मिक किवदंतियों के अनुसार जब भगवान शिव सती के मृत शरीर को ले जा रहे थे तो उनकी आंखें इसी स्थान पर गिरी थीं। अब यह स्थान नैना देवी के नाम से जाना है।
मंदिर परिसर में एक आंगन है जहां एक बड़ा पीपल का पेड़ बाईं तरफ स्थित है। मंदिर के दाहिने ओर भगवान हनुमान और गणेश की मूर्तियां स्थापित की गई हैं। मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर शेरों के दो मूर्तियां हैं। भक्त यहां तीन देवी-देवताओं (मां काली, नैना देवी और भगवान गणेश) के दर्शन कर सकते हैं।