हम अपने पिछले कई लेखों में आपको भारत के दक्षिण में बसे खूबसूरत राज्य तमिलनाडु की सभ्यता और संस्कृति से अवगत करा चुके हैं। इसी तर्ज पर आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको तमिलनाडु के जिस डेस्टिनेशन से अवगत कराने जा रहे हैं उस शहर के बारे में कि यहां नयी और पुरानी संस्कृतियों का मिलान होता है। जी हां आज हम आपको अवगत कराएंगे तिरुनेलवेली से। तिरुनेलवेली शहर कई नामों से जाना जाता है। लेकिन यह खासकर नेल्लई, टिन्नीवेली और तिरुनेलवेली नामक तीन नामों से जाना जाता है।
भारत में ब्रिटिश शासन के दौरान, यह शहर टिन्नीवेली के नाम से जाना जाता था, जोकि तिरुनेलवेली का एक अंग्रेजी अनुवाद रुप है। लेकिन आजादी के बाद यह शहर फिर से तिरुनेलवेली के रुप में जाना जाने लगा। परंतु यहां के ज्यादातर निवासी इसे नेल्लई के रुप में ही संबोधित करते हैं।
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इस खूबसूरत शहर को डेक्कन पठार का दक्षिणी बिंदु भी माना जाता है। तिरुनेलवेली शहर राज्य की राजधानी चेन्नई से 613 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और त्रिवेन्द्रम या तिरुवनंतपुरम से 152 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जोकि तमिलनाडु के पड़ोसी राज्य केरल की राजधानी है।
अब यदि हम इस सुन्दर शहर को पर्यटन की दृष्टी से देखें तो मिलता है कि तिरुनेलवेली में कई सारे मंदिर हैं, जो प्राचीन काल में बनाए गए थे। यहां राज्य का सबसे बड़ा शिव मंदिर, नेल्लईअप्पार मंदिर स्थित होने के कारण यह स्थान अपने आप में गर्व महसूस करता है।तिरुनेलवेली शहर ने अपने आपको पवन चक्की संयंत्र की स्थापना के लिए एक सहज स्थान बनाया है। तो आइये अब इस लेख के जरिये जानें कि यदि आप तिरुनेलवेली में हैं तो आपको वहां ऐसा क्या है जो अवश्य देखना चाहिए।
नेल्लईअप्पार मंदिर
तिरुनेलवेली का नेल्लईअप्पार मंदिर तमिलनाडु का सबसे बड़ा शिव मंदिर है। इसे 700 ई. में पंड्या द्वारा बनाया गया था और इस मंदिर में भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती के लिए दो अलग मंदिर बनाए गए हैं। ये मंदिर 17 वीं सदी में बनाए गए संगिली मंड़पम से जुड़े हुए हैं। मंदिर के बुर्ज भी 17 वीं सदी में बनाए गए थे। मिथक कथा के अनुसार, यह मंदिर उन स्थानों में से एक था जहां भगवान शिव तांड़व नृत्य किया करते थें और इसलिए यह मंदिर शास्त्रीय नृत्य और कला के अन्य रूपों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
कृष्णा पुरम विष्णु मंदिर
यदि आप तिरुनेलवेली में हों तो आपको कृष्णा पुरम विष्णु मंदिर की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। भगवान विष्णु को समर्पित ये मंदिर शहर का प्रमुख आकर्षण है। वास्तु की दृष्टि से ये मंदिर अपनी खूबसूरत नक्काशियों और मनमोहक मूर्तियों के लिए जाना जाता है।
तिरूपुदाईमरुदर कोविल
तिरुनेलवेली शहर से 40 किलोमीटर दूर स्थित तिरूपुदाईमरुदर कोविल भी यहां मौजूद वो अट्रैक्शन है तो एक ट्रैवलर को अपनी तरफ आकर्षित करता है। आपको बता दें कि तिरूपुदाईमरुदर कोविल एक मंदिर है जो तमिरपरानी नदी के किनारे स्थित है। ये स्थान जहां एक तरफ बेहद खूबसूरत है तो वहीं दूसरी तरफ ये उनके लिए भी है जिनको मंदिर निर्माण और उसकी वास्तकला पसंद है। ज्ञात हो कि इस मंदिर में आपको दक्षिण भारत के अलग अलग राजवंशों और उनके वास्तु की झलक देखने को मिलेगी।
मुंदाथुराई टाइगर रिजर्व
मुंदाथराई टाइगर रिजर्व कुल 800 वर्ग किमी. के क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसे 1988 में राष्ट्रीय टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। यह अभयारण्य, पश्चिमी घाट के दक्षिणी हिस्से में स्थित है। यहां टाइगर के अलावा, पैंथर, जैकॉल, हाइन्स, जंगली बिल्ली, और विभिन्न प्रकार के लंगूर देखने को मिलते है। इस अभयारण्य में सरीसृप की काफी प्रजातियां पाई जाती है। इसके अंदर लगभग 24 मार्ग है जहां से पर्यटक सैर कर सकते है। इस अभयारण्य की सैर सुबह 6 से शाम 6 तक की जा सकती है। सप्ताह के सभी दिनों में यह खुला रहता है।
अगस्थीयार झरना
यह झरना, पापनाशम शिव मंदिर में पास में स्थित है जो 4 किमी. की ऊंचाई से एक पहाड़ी से बहता है। इस झरने की लम्बाई 100 मीटर है और पापनाशम मंदिर स यहां तक पर्यटक ट्रैकिंग करके पहुंच सकते है। माना जाता है कि इस झरने में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते है और शरीर के कई विकार भी दूर हो जाते है। इस झरने का मुख्य स्त्रोत कल्याण तीर्थम है जो एक बड़ी सी दीवार की संरचना के पार है। विद्धानों का मानना है कि संत अगस्तियार ने इसी स्थान पर धरती को बैलेंस किया था और इसे कहर से बचाया था क्योंकि भगवान शिव की शादी में काफी भीड़ इक्ट्ठा हो गई थी।
थामीराबारानी नदी
थामीराबारानी नदी, अम्बासमुद्रम शहर के बाहरी इलाके में बहती है। यह नदी मूल रूप से पश्चिमी घाट से निकली है और तिरूनेवेली और तुतिकोरिन जिले से होकर बहती है। इस नदी का नाम तमिरान से लिया गया है जिसका अर्थ होता है - कॉपर। इस नदी में धात्विक गुण पाएं जाते है और कहा जाता है कि इस नदी के पानी में कई औषधीय गुण पाएं जाते है। इस नदी का पानी बहुत मीठा है। नदी में धात्विक गुण होने के कारण इसकी चमक बेहद अनोखी है।
पापनाशम बांध
पापनाशम बांध का निर्माण 1942 में किया जाता है जो पश्चिमी घाट के पोथाई हिल्स में स्थित है। यह बांध, पापनाशम झरने के पास स्थित है जो तामीरवारानी नदी के तट पर बहता है। यह स्थान पवित्र माना जाता है, क्योंकि ऐसा मानते है कि भगवान शिव और माता पार्वती, संत अगस्तीयार के आने से पहले यहां उपस्थित हो गए थे।
भोजन और रहना
यदि आप दक्षिण भारतीय भोजन के शौक़ीन हैं तो ये कहा जा सकता है कि आपको तमिलनाडु का ओरिजिनल दक्षिण भारतीय जायका सिर्फ और सिर्फ तिरुनेलवेली शहर में ही चखने को मिलेगा। यहाँ कई ऐसे रेस्टुरेंट मौजूद हैं जो आपको शुद्ध दक्षिण भारतीय भोजन परोसते हैं। बात यदि रहने की हो तो आप इस पवित्र शहर के होटलों के लिए यहां क्लिक करें - तिरुनेलवेली के सस्ते होटल
कैसे जाएं तिरुनेलवेली
फ्लाइट द्वारा : मदुरै हवाई अड्ड़ा तिरुनेलवेली का सबसे नजदीकी हवाई अड्ड़ा है। इस हवाई अड्डे पर अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों उड़ानों की सेवा उपलब्ध है। किसी उड़ान द्वारा मदुरै पहुंचना एक सहज निर्णय होगा और फिर यहां से आप रेल या सड़क मार्ग द्वारा तिरुनेलवेली पहुंच सकते हैं। मदुरै से तिरुनेलवेली की दूरी लगभग 154 किलोमीटर की है और सड़क मार्ग द्वारा तिरुनेलवेली तक पहुंचने में ढ़ाई घंटे का समय लगेगा और यहां की सड़के भी अच्छी हैं।
रेल द्वारा : रेल द्वारा तिरुनेलवेली तक बड़ी आसानी से पहुँचा जा सकता है और यह रेलमार्ग द्वारा देश के हर बड़े शहर से जुड़ा है। तिरुनेलवेली से तमिलनाडु के अन्य प्रमुख शहर जैसे चेन्नई, मदुरै, तंजावुर और कोयंबटूर के लिए ट्रेनों की सेवा उपलब्ध है। पड़ोसी राज्य केरल से भी कई रेल गाड़ियां तिरुनेलवेली जंक्शन पर रुकती हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : तिरुनेलवेली शहर तमिलनाडु के बाकी हिस्सों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा है। चेन्नई से तिरुनेलवेली की दूरी लगभग 630 किलोमीटर की है। दूरी के संदर्भ में केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम, तिरुनेलवेली का निकटतम स्थान है। यह तिरुनेलवेली से 165 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तिरुनेलवेली सड़क मार्ग द्वारा कोच्चि, बेंगलुरु, कोयंबटूर और चेन्नई जैसे कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।