हिमालय की गोद में बसा और दुनिया की सबसे खूबसूरत जगहों में शुमार जम्मू और कश्मीर से हम सभी वाक़िफ़ हैं। जम्मू और कश्मीर अपनी नेचुरल ब्यूटी के लिए दुनिया भर में अपना एक ख़ास मुकाम रखता है। ज्ञात हो कि जम्मू और कश्मीर एक फेमस टूरिस्ट स्पॉट है जहां वेकेशन के लिए साल में कभी भी जाया जा सकता है। यह जगह प्रकृति के प्रेमियों के अलावा एडवेंचर के शौक़ीन लोगों के दिलों में एक खास मुकाम रखती है।
ये स्थान इतना खूबसूरत है की मुग़ल जहांगीर भी खुद को न रोक सके और उन्होंने इस जगह को "धरती पर स्वर्ग" का दर्जा दे दिया। अपने खूबसूरत नज़ारों के अलावा ये जगह शानदार पर्वत श्रृंखलाओं, क्रिस्टल रुपी स्पष्ट धाराओं, मंदिरों और ग्लेशियरों के और बगीचों के कारण भी पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्त्व रखती है।
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जैसा कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं ये भारत के आलवा दुनिया का प्रमुख पर्यटक स्थल है और लगभग हर रोज़ ही हजारों लोग इस खूबसूरत राज्य की यात्रा करते हैं। यहां हम आपको एक सुझाव देना चाहेंगे आप कश्मीर जाने से पहले मौसम का और सही समय का पूरा ख्याल रखें| आज अपने इस आर्टिकल में हम आपको अवगत कराने वाले हैं जम्मू और कश्मीर के उन स्थानों से जहां राज्य की यात्रा पर आपको अवश्य जाना चाहिए।
तो आइये अब देर किस बात की आइये जानें कि पूरे जम्मू और कश्मीर में छुट्टी मनाने कहां कहां जा सकते हैं आप।
कैसे जाएं जम्मू और कश्मीर
राज्य में फ्लाइट की सुविधा खाली श्रीनगर और लेह में है। राज्य के ये दोनों ही स्थान देश के अलग अलग शहरों से फ्लाइट द्वारा जुड़े हैं| इसके अलावा पर्यटक यहां ट्रेन के माध्यम से भी आ सकते हैं जम्मू स्टेशन पूरे राज्य का महत्त्वपूर्ण रेलवे स्टेशन हैं जहां से आप राज्य सरकार की बसों द्वारा सुगमता से कहीं भी जा सकते हैं।आपको बता दें कि सुरक्षा की दृष्टी से यहां चंद ही ट्रेनेंहैं अतः हमारा ये ही सुझाव है कि आप सड़क द्वारा यहां की वादियों का नज़ारा लें।
फोटो कर्टसी : Steve Hicks
अल्छी
लद्दाख के लेह जिले में स्थित एक प्रसिद्ध गाँव है- अल्छी। हिमालय पर्वत क्षेत्र के बीच,लेह से 70कि.मी. दूर यह गाँव सिंधु नदी के किनारे है। यह गाँव अल्छी नाम के एक प्राचीन मठ के लिए जाना जाता है। अल्छी मठ, लद्दाख के प्रसिद्ध पर्यटन केंद्रों में से एक है। प्रकृति के बीच स्थित अल्छी गाँव, एक सुंदर स्थान है। इस जगह पर पर्यटक मठ के जीवन को पास से महसूस कर सकते हैं। इस गाँव में रात गुज़ारने के लिए भी कई जगह हैं। जहाँ लद्दाख के दूसरे मठ पहाड़ी के ऊपर बने हैं, वही केवल अल्छी मठ नीचे बना हुआ है।
फोटो कर्टसी : Fulvio Spada
अमरनाथ
अमरनाथ हिन्दी के दो शब्द "अमर" अर्थात "अनश्वर" और "नाथ" अर्थात "भगवान" को जोडने से बनता है। श्रीनगर से 145 कि.मी दूर स्थित अमरनाथ भारत का प्रमुख धार्मिक स्थान है। यह स्थान समुंदरी तट से 4175 मीटर की ऊंचाई पर है, और यहां का मुख्य आकर्षण "बर्फ का प्राकृतिक शिवलिंग" जो हिंदू भगवान शिव का प्रतीक है, इसे देखने हजारों श्रद्धालु आते हैं। इस स्थान का वर्णन संस्कृत, कि 6 वी सदी की निलामाता पुराण में किया गया है।
फोटो कर्टसी : Nitin Badhwar
अनंतनाग
अनंतनाग जिला जिसे जम्मू और कश्मीर की व्यापारिक राजधानी कहा जाता है, कश्मीर घाटी के दक्षिणी पश्चिमी भाग में स्थित है। यह क्षेत्र कश्मीर घाटी के विकसित क्षेत्रों में से एक है। ईसा पूर्व 5000 में यह क्षेत्र बाज़ार से भरा शहर बन गया और इसे जल्दी विकसित होने वाले शहर का शीर्षक प्राप्त हुआ। यह शहर विभिन्न शहरों जैसे श्रीनगर, कारगिल, पुलवामा, डोडा और किश्तवाड़ से घिरा हुआ है। इस जिले का नाम एक लोकप्रिय लोकगीत के आधार पर पड़ा, जिसके अनुसार भगवान शिव ने अमरनाथ की गुफ़ा के रास्ते पर जाते हुए सभी कीमती वस्तुओं का त्याग कर दिया।
फोटो कर्टसी : Kumar Chitrang
अवंतिपुर
अवंतिपुर जम्मू और कश्मीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो इसके दो प्राचीन मंदिरों शिव - अवन्तिश्वर और अवन्तिस्वामी - विष्णु के लिये प्रसिद्द है। इन दोनों मंदिरों का निर्माण राजा अवन्तिवर्मन द्वारा 9 वीं शताब्दी के दौरान किया गया। शिव - अवन्तिश्वर मंदिर विनाश के देवता शिव का मंदिर है जबकि अवन्तिस्वामी - विष्णु मंदिर संरक्षण के हिंदू देवता विष्णु का है। इन मंदिरों के निर्माण में अपनाई गई वास्तु शैली यूनानी वास्तु शैली के समान है।
फोटो कर्टसी : Varun Shiv Kapur
बारामुला
बारामुला जिला जम्मू और कश्मीर राज्य के 22 जिलों में से एक है जिसे आगे 8 तहसीलों और 16 खण्डों में बांटा गया है तथा जो लगभग 4190 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह जिला पश्चिमी तरफ से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के साथ अपनी सीमाओं को बांटता है। बारामुला, कुपवारा शहर के दक्षिण में और पुंछ और बुदगाम के उत्तर में स्थित है और श्रीनगर और लद्दाख इसकी पूर्वी ओर हैं। इस प्राचीन शहर की स्थापना ईसा पूर्व 2306 में राजा भीमसिना द्वारा की गई।
फोटो कर्टसी : Aehsaan
डोडा
डोडा एक जिला है जो समुद्र स्तर से 1107 मीटर की ऊंचाई पर जम्मू और कश्मीर में स्थित है। उधमपुर जिले से अलग होने के बाद 1948 में यह एक अलग जिले के रूप में उभरा। इस जिले का नाम एक मुल्तान से आए एक बर्तन निर्माता प्रवासी के नाम पर पड़ा, वर्तमान में मुल्तान पाकिस्तान में है। प्रकृति के बीच स्थित डोडा एक आदर्श पर्यटन स्थल है। इस गंतव्य स्थल के प्रमुख आकर्षणों में शामिल नाम हैं - भद्रवाह, चिंता घाटी, सिओज घास का मैदान और भाल पाद्री। भद्रवाह, हिन्दुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है जिसे कैलाश यात्रा के नाम से जाना जाता है।
फोटो कर्टसी : Chanchal Rungta
द्रास
द्रास, जिसको 'लदाख का प्रवेश द्वार' भी कहा जाता है, जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में स्थित है। यह शहर समुद्र तल से 3280 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और इसे साईबेरिया के बाद दूसरी सबसे ठंडी बसी हुई जगह माना जाता है। कारगिल से करीबन 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, यह जगह जहाँ 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाई हुई थी, द्रास, एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।दाख के अलावा, द्रास कई लोकप्रिय हिल स्टेशन और जम्मू और कश्मीर के कई शहरों का प्रवेश द्वार भी है।
फोटो कर्टसी : Rohan
गुलमर्ग
गुलमर्ग का अर्थ है "फूलों की वादी"। जम्मू - कश्मीर के बारामूला जिले में लग - भग 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित गुलमर्ग, की खोज 1927 में अंग्रेजों ने की थी। यह पहले "गौरीमर्ग" के नाम से जाना जाता था, जो भगवान शिव की पत्नी "गौरी" का नाम है। फिर कश्मीर के अंतिम राजा, राजा युसूफ शाह चक ने इस स्थान की खूबसूरती और शांत वारावरण में मग्न होकर इसका नाम गौरीमर्ग से गुलमर्ग रख दिया।
फोटो कर्टसी : Geetanjali J
हेमिस
हेमिस, जम्मू और कश्मीर में स्थित एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो लेह से दक्षिण-पूर्व की ओर 40 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह जगह पर्यटकों के लिए सबसे अच्छा गंतव्य स्थल है जहां वह प्रकृति की गोद में उत्तम समय बिता सकते है। यहां का हेमिस मठ या गोम्पा मठ लोगों के बीच खासा लोकप्रिय है। इस मठ को सबसे पहले 1630 ई. में बनवाया गया था जिसका श्रेय स्टेगसंग रासपा नवांग ग्यात्सों को जाता है। बाद में 1972 ई. में इसकी पुर्नस्थापना भी की गई और यहां एक महायोग तंत्र स्कूल चलाया जाने लगा जिसके आचार्य सेंज नामवार ग्वालवा थे।
फोटो कर्टसी : Michael Douglas Bramwell
कश्मीर
कश्मीर अपनी अपार प्राकृतिक सुंदरता के कारण पृथ्वी का स्वर्ग माना जाता है। भारत के उत्तर- पश्चिमी क्षेत्र में स्थित कश्मीर घाटी हिमालय और पीर पंजाल पर्वत श्रुंखला के बीच बसी है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार एक प्रसिद्द हिंदू साधु कश्यप के द्वारा एक झील को जहां ब्राह्मण रहते थे, को सुखा देने के बाद उसके अंदर से जो भूमि प्रकट हुई उसके कारण कश्मीर राज्य अस्तित्व में आया।
फोटो कर्टसी : Sudesh Nayak
लद्दाख
इंडस नदी के किनारे पर बसा ‘लद्दाख' , जम्मू और कश्मीर राज्य का एक प्रसिद्ध पर्यटन-स्थल है। इसे, लास्ट संग्रीला, लिटिल तिब्बत, मून लैंड या ब्रोकन मून आदि के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य शहर ‘लेह' के अलावा, इस क्षेत्र के समीप कुछ प्रमुख पर्यटन-स्थल जैसे, अलची, नुब्रा घाटी, हेमिस लमयोरू, जांस्कर घाटी, कारगिल, अहम पैंगांग त्सो, और त्सो कार और त्सो मोरीरी आदि स्थित हैं ।
फोटो कर्टसी : T. R. Shankar Raman
लेह
लेह शहर इंडस नदी के किनारे कराकोरम और हिमालय की श्रृंखला के बीच स्थित है। इस जगह की प्राकृतिक सुन्दरता देश भर से पर्यटकों को साल के बारहों महीने अपनी ओर खींचती है। इस शहर में ज़्यादातर हिस्से में मस्जिद और बौद्ध स्मारक हैं जो सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दी में बनाये गए थे। एक बहुत पुराना, नामग्याल डायनेस्टी का राजा सेंग्गे नामग्याल का नौ मंजिल का महल, इस जगह का मुख्य आकर्षण है जो मेडिएवल ऐरा के वास्तुशिल्पीय ढंग को दर्शाता है।
नुब्रा घाटी
नुब्रा घाटी, जो मूलतह ल्दुम्र के नाम से जाना जाता था, का मतलब 'फूलों की घाटी' है, जो समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यह क्षेत्र लद्दाख के बाग के नाम से जाना जाता है। गर्मियों के दौरान पर्यटकों को गुलाबी और पीले जंगली गुलाबों को देखने का मौका मिलता है जो कि इस क्षेत्र में उगते हैं। इस गंतव्य का इतिहास 7वीं शताब्दी ई. पूर्व का है जब चीनी, मंगोलिया और अरब यहाँ आक्रमणकारियों के रूप में आये थे। इस्लाम से पहले, बौद्ध धर्म इस क्षेत्र पर हावी था।नुब्रा घाटी तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को लेह से खार्दूंग ला दर्रा लेना होगा, जो दुनिया का सबसे ऊँचा दर्रा है।
फोटो कर्टसी : Steve Hicks
पांगोंग त्सो
पांगोंग त्सो हिमालय में एक झील है जिस्की उचाई लगभग 4500 मीटर है। यह 134 कीमी लंबी है और भारत के लद्दाख़ से तिब्बत पहूँचती है। जनवादी गणराज्य चीन में झील की दो तिहाई है। इसकी सबसे चौड़ी नोक में सिर्फ़ 8 कीमी चौड़ी है। शीतकाल में, नमक पानी होने के बावजूद, झील संपूर्ण जमती है। आपको बता दें कि लेह से पांगोंग त्सो तक आप सड़क मार्ग द्वारा पांच घंटे में पहुँच सकते हैं।