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जाने कांचीपुरम के भव्य मंदिर कैलासनाथार मन्दिर

जाने कांचीपुरम के भव्य मंदिर कैलासनाथार मन्दिर

By Goldi

कांचीपुरम को दक्षिण भारत की काशी के रूप में भी जाना जाता है...इसके अलावा तमिलनाडु के इस वैभवशाली शहर को 'हज़ार मंदिरों का एक स्वर्णिम शहर' नाम से भी जाना जाता है। काँचीपुरम हिन्दुओं के लिये पवित्र शहर है क्योंकि यह उन सात पवित्र स्थानों में से एक है जहाँ प्रत्येक हिन्दू को अपने जीवनकाल में अवश्य जाना चाहिये।

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हिन्दू मान्यता के अनुसार इन सभी सात स्थानों पर जाने के बाद ही मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह शहर भगवान शिव और विष्णु के भक्तों के लिये पवित्र स्थान है। काँचीपुरम शहर में भगवान शिव और विष्णु को समर्पित कई मन्दिर हैं। पल्लव राजाओं, चोल शासकों और विजयनगर शासकों के शासनकाल में कांची का विकास हुआ, और यहाँ अनगिनत भव्य और उत्कृष्ट मंदिरों का निर्माण भी हुआ।

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कांचीपुरम के इन भव्य मंदिरों की सुंदरता देखते ही बनती है। ये मंदिर अपनी बेहतरीन शिल्पकला और बनावट के लिए पूरे विश्व में जाने जाते हैं। इसी क्रम में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कांचीपुरम के भव्य मंदिर कैलासनाथार मन्दिर के बारे में...

कैलासनाथ मन्दिर

कैलासनाथ मन्दिर

कैलासनाथ मन्दिर शायद शहर का सबसे पुराना मन्दिर है। इस मन्दिर को 8वीं शताब्दी में भगवान शिव की याद में पल्लव शासक नरसिंहवर्मन द्वारा निर्मित किया गया था। हर साल शिवभक्त इस मन्दिर में आते हैं। मन्दिर का परिसर बलुये पत्थर से बना है और इस पर सुन्दर नक्काशी उस समय के शानदार शिल्पकला कौशल का उदाहरण है।PC:Keshav Mukund Kandhadai

मन्दिर की स्थापत्य कला

मन्दिर की स्थापत्य कला

मन्दिर की स्थापत्य कला द्रविड़ शैली की है जो कि उस समय की इमारतों और संरचनाओं में काफी सामान्य था। भगवान शिव के 58 छोटे तीर्थ विभिन्न रूप में मुख्य मंदिर के चारों ओर बने हैं। मंदिर की दीवारें विभिन्न सुंदर रंगों और भगवान शिव और देवी पार्वती की मूर्तियों से सजी हुई हैं। लोकप्रिय विश्वास के अनुसार, युद्ध के समय मंदिर राजा को आश्रय प्रदान करता था।PC:mckaysavage

शहर की हलचल से दूर

शहर की हलचल से दूर

मंदिर उपयुक्त रूप से शहर की हलचल से दूर एक देहाती उपनगर में स्थित है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प सौंदर्य तमिलनाडु के अन्य सभी मंदिरों से अलग है। इस मंदिर की अनूठी विशेषताओं में से एक 16 पक्षीय शिवलिंग मुख्य मंदिर में काले ग्रेनाइट से बना हुआ है। मंदिर की ओर चेहरा करके घुटने टेके हुए एक विशाल नंदी प्रवेश द्वार के सामने खड़ा है।PC:Sai Subramanian

मंदिर भगवान् शिव को अर्पित है

मंदिर भगवान् शिव को अर्पित है

वैसे तो यह मंदिर भगवान् शिव को अर्पित है परन्तु विष्णु सहित अन्य देवी देवताओं की मूर्तियाँ भी मंदिर के गर्भ गृह के बाहर स्थापित हैं।गर्भ गृह का चक्कर लगाने के लिए एक संकीर्ण गलियारा है जिसका प्रवेश बिंदु जन्म और निकास मृत्यु का पर्याय माना जाता है। जितने अधिक बार आप प्रवेश कर बाहर निकलेंगे उतने ही आप मोक्ष के करीब पहुंचेंगे। यह मंदिर मूर्तियों का खजाना है और सभी मूर्तियों की कलात्मकता बेजोड़ है। भगवान् शिव को ही 64 विभिन्न भाव भंगिमाओं के साथ इसी एक मंदिर में देखा जा सकता है।इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि मंदिर चारों ओर से 58 छोटे छोटे मंदिरों से घिरा है जिनमें विभिन्न उप देवी/देवताओं को स्थान दिया गया है।PC:Sangamithra Jithender

 कैलासनाथ मन्दिर

कैलासनाथ मन्दिर

शिवरात्रि के दिन यह मंदिर अवश्य ही विभिन्न आयोजनों का केंद्र बन जाता है।कहते हैं कि महाप्रतापी चोल राजा, राजा राजा चोल ने इस मंदिर के दर्शन किये थे। इस मंदिर से ही प्रेरणा लेकर तंजाऊर में भव्य ब्रिह्देश्वर के मंदिर का निर्माण करवाया था।PC:Nithi Anand

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