कोहिमा, नगालैंड की राजधानी, पूर्वोत्तर भारत के सबसे सुंदर स्थानों में से एक है। इस जगह ने पीढि़यों से लोगों को अपनी सुंदरता से मंत्रमुग्ध कर रखा है। कोहिमा को यह नाम अंग्रेजों के द्वारा दिया गया था, क्योकि वह लोग कोहिमा का वास्तविक नाम केवहिमा या केवहिरा का सही ढंग से उच्चारण नहीं कर पाते थे। आपको बताते चलें कि कोहिमा का नाम केवहिमा यहां पाएं जाने वाले केवही फूलों के कारण रखा गया है जो इस शहर में चारों ओर पहाड़ों में पाए जाते हैं। अगर आप कोहिमा के इतिहास के बारे में जानेगें, तो पाएंगे कि यह क्षेत्र, दुनिया से अन्य भागों से हमेशा बिल्कुल अलग रहा है, इस जगह के अधिकाश: भागों में हमेशा नागा जनजाति ने निवास किया है।
इस जगह पर 1840 में ब्रिटिश आए थे, जिन्होने नागा जनजाति के कड़े प्रतिरोध का सामना किया था। यदि बात कोहिमा में पर्यटन की हो बता दें कि यह शहर पर्यटकों को झोली भर - भर कर प्राकृतिक सुंदरता के नैसर्गिक दृश्यों का उपहार देती है। यहां आकर आंगतुक, प्रकृति के बेहद लुभावने नजारों को देखते हैं।
ऊंची चोटियां, घुमड़ते बादल और बहकती हवा, पर्यटकों के लिए इस जगह को खास बना देती है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक यहां आकर कोहिमा चिडि़याघर, राज्य संग्रहालय, जुफु चोटी की सैर अवश्य करते हैं। अगर आप कभी कोहिमा की सैर के लिए जाएं तो दझुकोउ घाटी और दझुलेकि झरना जरूर देखें।
कोहिमा में स्थित कोहिमा कैथोलिक चर्च, पूरे देश में स्थित गिरिजाघरों में से सबसे बड़ा और सबसे सुंदर चर्च है। यह एक बेहतरीन पर्यटक स्थल भी है, इसे अवश्य देखना चाहिए। आइये इस लेख के जरिये जानें की ऐसा क्या है जो आपको कोहिमा में अवश्य देखना चाहिए।
ज़ुकोऊ घाटी
ज़ुकोऊ घाटी, ट्रैकर्स के लिए बेहद खास है जो कोहिमा शहर से 30 किमी. की दूरी पर स्थित है, यहां आकर पर्यटक इस घाटी की पवित्र सुंदरता की यादों को साथ ले जाते हैं। ज़ुकोऊ घाटी, समुद्र स्तर से 248 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है जहां से पहाड़ों के मनोरम दृश्य देखने को मिलते हैं। जंगली फूल और स्वच्छ पहाड़ी झरने इस जगह की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं। पहाड़ों में बहने वाले कलकल करते झरने यहां भ्रमण पर आने वाले पर्यटकों का मन लुभा लेते हैं।
ज़ुकोऊ घाटी घूमने का सबसे उम्दा समय बसंत का होता है, इस मौसम में जंगली जड़ी बूटी और फूल कई रंग और आकार में खिलते हैं और इस भूमि को जीवंत कर देते हैं। आपको बताते चलें कि यहां आकर लिली, कॉन्टीम, यूफोरबिया और रोडोडेंड्रन के फूलों को पूरी घाटी में चारों तरफ देखा जा सकता है।
हॉर्नबिल महोत्सव
हॉर्नबिल महोत्सव, नागालैंड का सबसे बड़ा वार्षिक महोत्सव है जो पूरी दुनिया से पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह महोत्सव हर वर्ष के दिसम्बर महीने के पहले सप्ताह में मनाया जाता है। इस महोत्सव को सयुंक्त रूप से पर्यटन विभाग और कला व संस्कृति विभाग के द्वारा नागा विरासत गांव, किसामा में आयोजित किया जाता है, जो कोहिमा से 12 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह गांव नागा के जीवन और उनके इतिहास के बारे में झलक दिखाता है।
सात दिवसीय इस महोत्सव में नागा जनजाति के समृद्ध और जीवंत संस्कृति को दर्शाया जाता है। इस महोत्सव का नाम हॉर्नबिल पक्षी के नाम पर रखा गया है इस पक्षी के पंख नागा समुदाय के लोगों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी का हिस्सा होते हैं। इस समारोह में नृत्य प्रदर्शन, शिल्प, परेड, खेल, भोजन के मेले और कई धार्मिक अनुष्ठान होते हैं।
इस महोत्सव में शामिल होने वाले पर्यटक अपने साथ अपने घर यहां के नागा जीवन से जुड़े पारम्परिक चित्रों, लकड़ी की नक्काशी वाले सामानों, शॉल और मूर्तियों को ले जा सकते हैं।
कोहिमा युद्ध स्मारक
जब तुम घर जाना तो उन्हे हमारे बारे में बताना और कहना कि ' तुम्हारे आने वाले कल के लिए हमने अपना आज कुर्बान कर दिया ' यह पक्तियां कोहिमा के कोहिमा युद्ध स्मारक पर पत्थरों पर खुदी हुई हैं जो इस स्मारक में प्रवेश करते ही पर्यटकों को दिख जाएगी। इस पंक्तियां कोहिमा के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देकर लिखी गई हैं। कोहिमा के सभी आकर्षणों में से कोहिमा युद्ध स्मारक सबसे खास है जहां 1421 स्लैब, कोहिमा युद्ध के दौरान शहीद हुए सैनिकों की याद में खड़े हुए हैं।
यह स्थल द्वीतीय विश्व युद्ध के दौरान एशियन थियेटर में सबसे कट्टर था। यहां बनी सभी कब्रों में एक कांस्य प्लेट लगी हुई है जिस पर समाधिलेख लिखा हुआ है। कोहिमा युद्ध स्मारक की देखरेख राष्ट्रमंडल युद्ध स्मारक आयोग के द्वारा की जाती है और इस स्मारक को एक भूमि के टुकड़े पर बनाया गया था जिसे पूर्व में गैरीसन हिल के नाम से जाना जाता था।
कोहिमा चिडि़याघर
कोहिमा चिडि़याघर या प्राणी उद्यान, पूरे देश में सबसे व्यवस्थित चिडि़याघरों में से एक है और यह नागालैंड आने वाले पर्यटकों के लिए सबसे मुख्य आकर्षण वाला केंद्र है। पहाड़ी पर निर्मित प्राकृतिक परिदृश्यों वाला यह स्थल जानवरों और पक्षियों के लिए एक आरामदायक निवास स्थान है। पहाड़ी पर खाली जगह का बिल्कुल नए तरीके से उपयोग किया गया है जहां जानवर रह सकते हैं। यह जगह पैदल सैर करने के लिए अच्छी है और यहां आकर पर्यटक नागालैंड की शानदार वनस्पतियों और जीवों को देख सकते हैं।
चिडि़याघर में सबसे बड़ा आकर्षण दुर्लभ प्रजाति की ट्रगोपन चिडिया है जो नागालैंड की राज्य पक्षी है। एक अनुमान के अनुसार, यह लगभग 500 लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक है। ट्रगोपन चिडिया के अलावा, इस जू में जंगली भैंसे की एक खास प्रजाति मिथुन भी देखने को मिलती है जो नागालैंड का राज्य पशु है। कई जंगली पक्षियों के अलावा पर्यटक इस चिडिया घर में आकर सुनहरा लंगूर और एशियाई काला भालू भी देख सकते हैं।
कैसे जाएं कोहिमा
फ्लाइट द्वारा : नागालैंड में सिर्फ एक ही एयरपोर्ट है और यह हवाईअड्डा, कोहिमा शहर से 68 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस हवाई अड्डे से कोलकाता और गुवाहटी के लिए नियमित रूप से उड़ान भरी जाती हैं जहां से आप देश व दुनिया के अन्य हिस्सों तक आराम से पहुंच सकते हैं। दीमापुर हवाई अड्डे से कोहिमा के लिए टैक्सी और शटल्स उपलब्ध हैं।
रेल द्वारा : नागालैंड में सिर्फ एक ही एयरपोर्ट है और यह हवाईअड्डा, कोहिमा शहर से 68 किमी. की दूरी पर स्थित है। इस हवाई अड्डे से कोलकाता और गुवाहटी के लिए नियमित रूप से उड़ान भरी जाती हैं जहां से आप देश व दुनिया के अन्य हिस्सों तक आराम से पहुंच सकते हैं। दीमापुर हवाई अड्डे से कोहिमा के लिए टैक्सी और शटल्स उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग द्वारा : कोहिमा, उत्तर-पूर्व के सभी प्रमुख स्थानों जैसे - गुवाहटी, इम्फाल, शिलांग और दीमापुर सहित कई स्थानों से भली-भांति जुड़ा हुआ है। नेशनल हाईवे - 39 इस स्थान से जुड़ा हुआ है जो इसे दीमापुर से जोड़ता है। इस मार्ग नेशनल हाईवे- 37 से भी जुड़ा हुआ है जो कोहिमा को गुवाहटी से जोड़ता है जिसकी दूरी 345 किमी. है। यह मार्ग उत्तर - पूर्व का प्रवेश द्वार कहलाता है।