कभी आपने सोचा है राजसी ठाट-बाट की शान कैसी होती होगी? वो राजसी ढंग के बड़े बड़े कमरे, राजसी खाने, रसोइए, बाग-बगीचे, पूरे के पूरे महल में शान से रहना, किसी सपने से कम नहीं है। ऐसे ही राजसी ठाट-बाट का मज़ा अगर आप चाहते हैं, तो कुचेसर किले की यात्रा आपके सपने को पूरा करने जैसी होगी।
कुचेसर किले का प्रवेशद्वार
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जी हाँ, हम बात कर रहें हैं उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले में दिल्ली से सिर्फ़ 2 घंटे के रास्ते पर स्थित कुचेसर गाँव के कुचेसर किले की। सारी आधुनिक सुख सुविधाओं से परिपूर्ण यह किला आपको सारे राजसी सुख का अनुभव कराएगा। भारत की पुरानी धरोहरों में से एक यह सबसे शानदार विरासत है जो अब तक अपनी चमक को बरकरार रखे हुए है।
कुचेसर किले की मुख्य इमारत
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राव राज विलास के नाम से भी जाना जाने वाला यह किला 18वीं शताब्दी का किला है। यह पौराणिक धरोहर, अजीत सिंघ के परिवार की पैतृक संपत्ति है जिनकी कुचेसर में रियासत थी। सन् 1734 में बना यह किला चारों ओर से 100 एकड़ में फैले आम के बागों से घिरा हुआ है। इस किले की सन् 1998 में फिर से नीमराना होटल की देखरेख में मरम्मत की गयी। जाट शासकों द्वारा बनाया गया यह किला होटल मड किले के नाम से विश्वप्रसिद्ध है।
कुचेसर किले का फार्म
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यह किला कई सालों तक मुगल साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन भी रहा। अंत में इसे मुगल शासकों द्वारा जाट परिवार, अजीत सिंघ के परिवार को दान कर दिया गया और तब से यह उनकी पैतृक संपत्ति है। इस किले के कई हिस्सों में आपको मुगल आर्किटेक्चर की भी झलक दिख जाएँगी। किले का चारों ओर घने, हरे-भरे फार्म हैं। यह किला ब्र्हमभट ब्राह्मणों, जो कुचेसर के राजकवि हुआ करते थे, के लिए भी लोकप्रिय है।
कुचेसर किले का प्रांगण
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इस किले को बिल्कुल ही नये और आकर्षक धरोहर के रूप में तब्दील कर दिया गया है, जिसे लोग भारत का सबसे शानदार,मड फ़ोर्ट होटल के नाम से जानते हैं। इस होटल वाले किले में ब्रिटिश और पुराने काल के तत्व अभी भी वैसे ही बरकरार हैं। और इन सबके साथ ही यह किला भारतीय परंपरा के अनुसार अपनी मेहमानवाज़ी के मंत्र 'अतिथि देवो भव:' को कायम रखता है।
कुचेसर किले का कान्फ्रेन्स हाल
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गंगा के तट पर घास के हरे-भरे मैदानों के बीच बसे इस किले का दृश्य देखते ही बनता है। यह किला अपने अतिथियों को, जो भारत के पूर्व गौरव का अनुभव लेना चाहते हैं, उन्हें प्रतक्ष रूप से भारत के वो सारे आकर्षक अनुभवों का एहसास कराता है। इस किले की खास बात यह है की यहाँ आप अपनी औपचारिक बैठक भी आयोजित कर सकते हैं जिसके लिए यहाँ एक पूरे कान्फ्रेन्स हाल का भी इंतज़ाम है, जहाँ ऑडियो वीडियो दोनो ही इक्विपमेंट्स का इंतेज़ाम है वो भी पूरे सहायक स्टाफ की मदद के साथ।
कुचेसर किले का पूल
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इस किले में रहकर इसका मज़ा लेने के लिए, हेरिटेज रूम्स से लेकर सूपर डीलक्स रूम उपलब्ध हैं, जो आप अपनी पसंद के अनुसार बुक करा सकते हैं। यहाँ पर बैलगाड़ी की सवारी के साथ-साथ कई सारे खेलों का भी मज़ा लिया जा सकता है। कई सारे इनडोर और आउटडोर खेलों के साथ आप यहाँ उन सारी क्रियाओं का मज़ा ले सकते हैं, जो आपने पहले कभी नहीं की होगी। जैसे अपने हाथों से मिट्टी के बर्तन बनाना, गुड़ कैसे बनता है यह जानना, ट्रैक्टर की सवारी करना आदि।
कुचेसर किले का कमरा
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अब आपको पता चल गया होगा कि यह किला आपके लिए एक शानदार यात्रा का पूरा संपूर्ण पैकेज है, जहाँ आप ऐतिहासिक जानकारी के साथ-साथ कई मज़ेदार क्रियाओं का भी खुलकर मज़ा ले सकते हैं। तो सोचिए मत और इस वीकेंड निकल पड़िए अपने परिवार के साथ एक शानदार वीकेंड का मज़ा लेने और राजसी सुखों का खुद से अनुभव करिए।
कुचेसर किले में मिट्टी के बर्तन बनाने का मज़ा लेती पर्यटक
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पता: दिल्ली से लगभग 105 किलोमीटर की दूरी पर, होटल मड फ़ोर्ट कुचेसर, कुचेसर, सियाना रोड, जिला बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश-245402
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