फ़न, मौजमस्ती और हॉट हसीनाएं बड़े अमेजिंग हैं भारत के ये सेक्सी बीच" title="विविधता और विशेषता से भरा भारत अलग अलग धर्मों का देश है जहां सब भाई चारे के साथ एक दूसरे से मिलकर प्रेम से वास करते हैं। बात अगर भारत के धर्मों की हो और ऐसे में हम बौद्ध धर्म पर चर्चा न करें तो सारी बात फिर अधूरी रह जाती है। बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। इसके प्रस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे । वे 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक रहे। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला, और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गय। Must Read : फ़न, मौजमस्ती और हॉट हसीनाएं बड़े अमेजिंग हैं भारत के ये सेक्सी बीच" loading="lazy" width="100" height="56" />विविधता और विशेषता से भरा भारत अलग अलग धर्मों का देश है जहां सब भाई चारे के साथ एक दूसरे से मिलकर प्रेम से वास करते हैं। बात अगर भारत के धर्मों की हो और ऐसे में हम बौद्ध धर्म पर चर्चा न करें तो सारी बात फिर अधूरी रह जाती है। बौद्ध धर्म भारत की श्रमण परम्परा से निकला धर्म और दर्शन है। इसके प्रस्थापक महात्मा बुद्ध शाक्यमुनि (गौतम बुद्ध) थे । वे 563 ईसा पूर्व से 483 ईसा पूर्व तक रहे। उनके महापरिनिर्वाण के अगले पाँच शताब्दियों में, बौद्ध धर्म पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फ़ैला, और अगले दो हज़ार सालों में मध्य, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी जम्बू महाद्वीप में भी फ़ैल गय। Must Read : फ़न, मौजमस्ती और हॉट हसीनाएं बड़े अमेजिंग हैं भारत के ये सेक्सी बीच
आपको बताते चलें कि बौद्ध धर्म को अड़तीस करोड़ से अधिक लोग मानते हैं और यह दुनिया का चौथा सबसे बड़ा धर्म है। आज भारत में कई सारे ऐसे मठ हैं जो लगातार बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करके देश दुनिया के लोगों को बौद्ध धर्म की तरफ आकर्षित कर रहे हैं। तो आइये जानें भारत में स्थित 10 टॉप बौद्ध मठों के बारे में।
त्सुग्लाग्खांग मठ, धर्मशाला
धर्मशाला शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित त्सुग्लाग्खांग पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। पोताला पैलेस के रूप में जाना जाने वाला धर्मशाला का यह वही स्थान है जहाँ परम पावन दलाई लामा अपने निर्वासन के समय रहे थे, जहाँ नामग्याल मठ है।
थिकसे मठ, लेह
कसे मठ लेह से 19 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जो मध्यकालीन युग को दर्शाता है। एक एक 12 मंजिला ऊंची ईमारत है जो इलाके का सबसे बड़ा मठ है। यहाँ आने वाले पर्यटक सुन्दर और शानदार स्तूप, मूर्तियाँ, पेंटिंग,थांगका और तलवारों को देख सकते हैं जो यहाँ के गोम्पा में राखी हुई हैं।
हेमिस मठ, हेमिस
हेमिस मठ, लेह के दक्षिण-पूर्व दिशा में शहर से 45 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह मठ शहर का मुख्य आकर्षण है जिसका निर्माण 1630 ई. में सबसे पहले स्टेग्संग रास्पा नंवाग ग्यात्सो ने करवाया था। 1972 में राजा सेंज नामपार ग्वालवा ने मठ का पुर्ननिर्माण करवाया और एक धार्मिक स्कूल का निर्माण किया जिसमें तंत्र विद्या को सिखाया जाता था।
शाशुर मठ, स्पीति
स्पीति स्थित शाशुर मठ हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी में स्थित है। आपको बता दें कि आज भारत में जितने भी मठ हैं उनमें स्पीति का ये शाशुर मठ सबसे पुराना है। जब आप इस मठ के पास जाएंगे तो आपको मिलेगा कि यहां मौजूद पाइन के पेड़ इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं।
माइंडरोलिंग मठ देहरादून
देहरादून स्थित माइंडरोलिंग मठ का शुमार भारत के सबसे बड़े बौद्ध सेंटरों में होता है। आपको बता दें कि ये मठ देहरादून में राजाजी नेशनल पार्क के पास स्थित क्लीमेंट टाउन में है। ये स्थान देहरादून का मुख्य पर्यटक आकर्षण है। बताया जाता है कि यहां लगी महात्मा बुद्ध की मूर्ति भारत की सबसे लंबी मूर्ति है।
घुम मठ, दार्जिलिंग
पश्चिम बंगाल स्थित दार्जिलिंग के पूर्वी हिमालयी रेंज के अंतर्गत आने वाला घुम मठ एक बेइंतेहा सुंदर मठ है। इस मठ का भी शुमार भारत के सबसे प्राचीन मठों में है और देश विदेश से हर साल हज़ारों लोग इस मठ को देखने आते हैं।
रूमटेक मठ
रूमटेक मठ, रूमटेक में स्थित है जो गंगटोक से 24 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह मठ, तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रसिद्ध धार्मिक केन्द्रों में से एक है। इसे धर्म चक्र केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। यह मठ, समुद्र स्तर से 5800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और गंगटोक शहर के समीप ही बना हुआ है। यह मठ तिब्बत के बाहर, काग्यु वंश के महत्वपूर्ण केन्द्रों में से एक है।
तवांग मठ
तवांग मठ भारत का सबसे बड़ा और एशिया का दूसरा सबसे बड़ा मठ है। इसकी स्थापना मेराक लामा लोड्रे ने 1860-1861 में की थी। तवांग जिले के बोमडिला से यह मठ 180 किमी दूर है। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर एक पहाड़ पर स्थित इस मठ को गालडेन नमग्याल लहात्से के नाम से भी जाना जाता है।
बाइलाकुप्पे मठ
बाइलाकुप्पे, भारत में दूसरा सबसे बड़ा तिब्बती स्थल है जिसका स्थान धर्मशाला के बाद आता है। यह स्थान कूर्ग के पास कुशलनगर से 6 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां दो तिब्बती स्थल है जिनहे लुग्सम सामदुप्लिंग और डिकई लाओरसे के नाम से जाना जाता है। यह कृषि हेतू क्षेत्र भी है। इस स्थान पर कई शरणार्थी तिब्बती निवास करते हैं।
महाबोधि मन्दिर, बोधगया
महाबोधि मन्दिर एक पवित्र बौद्ध धार्मिक स्थल है क्योंकि यह वही स्थान है जहाँ पर गौतम बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। पश्चिमी हिस्से में पवित्र बोधि वृक्ष स्थित है। संरचना में द्रविड़ वास्तुकला शैली की झलक दिखती है। राजा अशोक को महाबोधि मन्दिर का संस्थापक माना जाता है। निःसन्देह रूप से यह सबसे पहले बौद्ध मन्दिरों में से है जो पूरी तरह से ईंटों से बना है और वास्तविक रूप में अभी भी खड़ा है।