भीड़-भाड़ वाली संकरी गलियां और उन गलियों के किनारे सटी हुई छोटी-बड़ी दुकाने और हर कदम पर आस्थाओं से जुड़े सैंकड़ों मंदिर 'वाराणसी' को सबसे अलग व सबसे लोकप्रिय बनाते हैं। अगर आप भी इस वेकेशन आस्था में डूब जाना चाहते हैं भगवान की खोज करना चाहते हैं तो वाराणसी यानि 'बनारस' ज़रूर आएं। आपको बतादें कि वाराणसी को बनारस भी कहा जाता है जिसका चर्चा हिंदी फिल्मों के कई गानों में किया जाता है।
घुमावदार मोड़ों से भरी असंख्य गलियां किसी के भी मन में भ्रम दाल सकती हैं यह गलियां किसी भूलभुलैया से कम नहीं लगती। यह सांस्कृतिक शहर अपनी संस्कृति, सभ्यता व पौराणिक महत्त्व के लिए विश्वभर में मशहूर है। वाराणसी का वास्तविक व पौराणिक नाम 'काशी' है। गलियों व मंदिरों के नाम से मशहूर यह शहर साहित्य, कला एवं संगीत के लिए विश्व प्रसिध्द है क्यूंकि इस शहर ने वास्तव में विश्व को कई मशहूर साहित्यकार,कलाकार एवं संगीतज्ञ दिए हैं। तो चलिए सैर करते हैं वाराणसी की।
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वाराणसी के घाट
सूर्योदय के समय वाराणसी घाट की खूबसूरत छटा देखते ही बनती है। सूर्य की किरणे इस घाट में अपनी किरणें बिखेर कर इस घाट को और भी लुभावना बना देती हैं। सुबह सुबह यह सौंदर्य दृश्य देखकर पूरा दिन अच्छा हो जाता है।
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काशी विश्वनाथ मंदिर
काशी विश्वनाथ मंदिर अपनी लोकप्रियता के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह मंदिर 15.5 मीटर ऊँचा है और इसके शिखर पर 820 किलोग्राम स्वरणपत्र जड़े हुए हैं। इसकी भव्य सौन्दर्यता देख मन प्रसन्न हो जाता है। सुरक्षा की दृष्टि से इस मंदिर में कड़ी व्यवस्था है।
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रामनगर दुर्ग
रामनगर दुर्ग वाराणसी के दर्शनीय स्थलों में से एक है इस दुर्ग काशी का पुराना निवास है। इस किले के एक तरफ संग्राहलय है जो दर्शनीय है। इस संग्राहलय में पुराने ज़माने के हथियार, तीर, बंदूकें, तलवार, सिक्के और राजसी परिधान है। इसी संग्राहलय में एक घडी भी है जो नक्षत्र बताती है।
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चुनार
चुनार अपने पुरातन और चीनी मिटटी व पीतल के बर्तनों के लिए भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस स्थान का व्याख्यान देवकीनंदन के उपन्यास 'चंद्रकांता' में है।
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नेपाली मंदिर
नेपाल मंदिर अपनी कलात्मक शैली व अद्भुत नक्काशी के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर में खजुराहो की तरह विशिष्ट मूर्तियां भी हैं जिनकी नक्काशी देख पर्यटक मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।
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तुलसीदास घाट
तुलसीघाट को लेकर कहा जाता है कि इस घाट पर महान कवि व रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास ने अपनी पुस्तक रामचरित मानस के आखिरी अंशो व विनय पत्रिका की रचना यहीं की थी।
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बनारस हिन्दू विश्वविधालय
बनारस हिन्दू विश्वविधालय वाराणसी की शान है। यहाँ कला,सस्कृति, विज्ञान आदि की उच्य शिक्षा दी जाती है। इस मंदिर में संगमरमर का बना एक विश्वनाथ मंदिर भी है जो दर्शनीय है। इस विश्वविधालय को मदनमोहन मालवीय ने स्थापित करवाया था।
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भारत माता मंदिर
भारत माता मंदिर महात्मा गांधी कशी विधापीठ में स्थित है। जिसका निर्माण राष्ट्रभक्त बाबू शिव प्रसाद ने करवाया था। इस मंदिर में संगमरमर को तराशकर भारत माता का नक्शा बनाया गया है। इस मंदिर में जो भी प्रवेश करता है उसमे राष्ट्रभावना जन्म लेने लगती है।
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ज्ञानपावी मस्जिद
ज्ञानपावी मस्जिद बनारस के दर्शनीय स्थलों में से एक है। इस मस्जिद में आप मुग़ल काल की अद्भुत नक्काशी व मुग़ल काल की कलात्मक शैली को देख सकते हैं। इस मस्जिद को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ उमड़ी रहती है।
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जयसिंह वैधशाला
जयसिंह वैधशाला राजेन्द्र प्रसाद घाट पर तक़रीबन 16000 पुरातन में बनवाया गया था जिसका निर्माण जयसिंह ने करवाया था। इस वैधशाला में आप प्रचीन समय के ग्रहों नक्षत्रों की गतिविधियों के बारे में जान सकते हैं साथ ही यहाँ अनेकों यंत्र देख सकते हैं।
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वाराणसी कैसे जाएँ
वाराणसी जाने के लिए फ्लाइट, ट्रेन, बस व टैक्सी की अधिक कजानकारी के लिए बस एक क्लिक करें-
वायु मार्ग द्वारा- वाराणसी में अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है जो देश के कई शहरों जैसे - दिल्ली, लखनऊ, मुम्बई, खजुराहो और कोलकाता आदि से सीधी उड़ानों के द्वारा जुड़ा है।
रेल मार्ग- वाराणसी में दो रेलवे जंक्शन है : 1) वाराणसी जंक्शन और 2) मुगल सराय जंक्शन। यह दोनो रेलवे जंक्शन शहर से पूर्व की ओर 15 किमी. की दूरी पर स्थित है। इन रेलवे स्टेशनों से दिल्ली, आगरा, लखनऊ, मुम्बई और कोलकाता के लिए दिन में कई ट्रेन आसानी से मिल जाती है।
सड़क मार्ग द्वारा- वाराणसी के लिए राज्य के कई शहरों जैसे - लखनऊ( 8 घंटे ), कानपुर ( 9 घंटे ) और इलाहबाद ( 3 घंटे ) आदि से बसें आसानी से मिल जाती है। वाराणसी की यात्रा बस से करना थोड़ा सा असुविधानजक हो सकता है, इसलिए बनारस तक बस से जाने का प्लान न बनाएं। रेल या फ्लाइट, वाराणसी जाने का सबसे अच्छा साधन है।
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वाराणसी कब जाएँ
वाराणसी कब किस मौसम में जाएँ इसकी अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें-
यहाँ जाने के लिए सितंबर से मार्च तक का समय उत्तम है। बरसात में यहाँ जाना असुविधाजनक है। सर्दियों में यहाँ ठंड पड़ती है। साथ में गर्म कपडे अवश्य ले जाएँ।Image Courtesy:Flickr upload bot