जम्मू और कश्मीर में बसा लद्दाख घूमने के लिए भारत की सबसे शानदार जगह है। बर्फ से ढके पहाड़ और ऊंचे ठंडे रेगिस्तान, चमकती हुई झीलें और यहां के प्राकृतिक सौंदर्य के कारण लद्दाख पर्यटकों के लिए सबसे बेहतर जगह मानी जाती है। ऊंचे पर्वत और ऊबड़-खाबड़ भूमि के कारण लद्दाख ट्रैकिंग, माउंटेन बाइकिंग, रिवर राफ्टिंग जैसे रोमांचित स्पोर्ट्स के लिए मशहूर है।
ऐसा ही रोमांचित ट्रैक है त्सोक कांगड़ी। लद्दाख के पहाड़ों में ये त्सोक श्रृंख्ला की सबसे ऊंची चोटि है। इसकी ऊंचाई 20,000 फीट है और त्सोक कांगड़ी सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण ट्रैक माना जाता है। हाल ही में ट्रैकिंग के लिए लोगों का ध्यान त्सोक कांगड़ी की ओर आकर्षित हुआ है।
ट्रैक के बारे में विवरण
शुरुआत में आपको यहां पर ट्रैकिंग करने में बहुत डर लगेगा लेकिन जैसे-जैसे आप आगे बढ़ेंगे वैसे-वैसे आप खुद को इस ट्रैक के अनुसार ढाल लेंगें। अगर आप फ्लाइट से लद्दाख आ रहे हैं तो आपको खुद को पूरी तरह से इस ट्रैक के लिए तैयार कर लेना चाहिए वरना आपको सिरदर्द और जी मितली हो सकती है।PC:Sagar
ट्रैक के बारे में विवरण
इस ट्रैक को पूरा करने के लिए आपका शारीरिक रूप से फिट होना बहुत जरूरी है। ट्रैक का अंतिम चरण बेहद मुश्किल होता है क्योंकि अत्यधिक ऊंचाई होने के कारण यहां पर सांस लेने में मुश्किल होने लगती है। ये 8 दिन का लंबा ट्रैक होता है और लेह से शुरुआत होकर वहीं इसका अंत भी होता है। इस ट्रैक को पार करने के लिए अनुभव की भी जरूरत होती है। जुलाई से अगस्त तक के महीने में आप स्तोक कांगड़ी पर ट्रैकिंग कर सकते हैं। इस समय अधिकतर बर्फ पिघल चुकी होती है और आपको पर्वत की चोटि साफ दिखाई पड़ती है।
PC:Jørn Eriksson
क्या चीज़ें ले जाएं
बैकपैक में रेन कवर, एनर्जी बार और सूखे मेवे, टायलेट्रीज़, पानी की बोतल और हां मेडिकल किट ले जाना बिलकुल ना भूलें। अपने साथ एक छड़ी और टॉर्च भी लेकर जाएं। आरामदायक कपड़े जैसे टीशर्ट और ट्रैक पैंड रखें और सर्दी के लिए थर्मल और वॉटरप्रूफ जैकेट रखें । अच्छी क्वालिटी के जूते जरूर पहनें।PC: Jørn Eriksson
कैसा होगा ट्रैक
पहले से तीसरे दिन तक का ट्रैक
एक बार लेह पहुंचने के बाद आपको तैयारी के लिए यहां पर एक से दो दिन बिताने पड़ेंगें। इसके बाद आप लेह की कुछ जगहें जैसे शांति स्तूप, पैंगोंग झील, थिक्सी मठ आदि देख सकते हैं। तीसरे दिन आप त्सोक गांव के लिए रवाना होंगें जो कि आपके ट्रैक की शुरुआत होगी।
रास्ते में आपको लद्दाख की बेहत खूबसूरत जगहें देखने को मिलेंगीं। ट्रैक चांग मां तक होता है जिसकी त्सोक गांव से ऊंचार्अ 13, 087 है। कभी लद्दाख का राजा इस गांव में रहा करता था इसलिए आपको ये गांव किसी राजसी रंग-रूप देखने को मिलेगा। चांग मा पहुंचने के बाद आप यहां कैंप लगाकर आराम कर सकते हैं।
चौथे से छठे दिन तक की ट्रैकिंग
पानी की कुछ झीलें पार करने के बाद जब आप लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान में पहुंचेंगे तब आपको पता वलेगा कि ऊंचाई होती क्या है। ये सब आपको ट्रैकिंग के चौथे दिन मिलेगा। ज्यादातर ट्रैकिंग भूरे रेगिस्तान में होगी। ये थोड़ी आसान है और चौथे दिन आप मनकोरमा पहुंच जाएंगें जोकि 14,200 फीट ऊंचा है। चौथे दिन तक आप त्सोक कांगड़ी के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके होंगें।
बेस कैंप 16,300 फीट की ऊंचाई पर होगा जहां से बेहद सुंदर नज़ारा दिखाई देगा। यहां से पार्चा कांगड़ी और गुलाप कांगड़ी भी दिखाई देगा। मकोरमा के बेस कैंप से अ्रैक बस कुछ ही घंटों की दूरी पर होगा।
छठे दिन आपके लिए थोड़ा आरामदायक हो सकता है क्योंकि इस दिन आपको कठिन ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर और बर्फीले रासतों पर ट्रैकिंग करने के बारे में बताया जाएगा। लद्दाख की खूबसूरती के बीच छठे दिन आपको अट्रैकिंग के बाकी दिनों के लिए खुद को तैयार करना है।
PC: Jørn Eriksson
सातवें से आठवें दिन तक की ट्रैकिंग
ट्रैकिंग का सातवां दिन काफी अहम है। पूरे ट्रैक के सबसे मुश्किल और लंबे पड़ाव के लिए आपको खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करना है। अब आपको बेस कैंप से त्सोक कांगड़ी तक ट्रैकिंग करनी है। इसकी ऊंचाई 20,080 फीट है। ये रास्ता ग्लेशियर से होकर गुज़रता है।
इस ट्रैक में सामान्यत: लोगों को 9 से 10 घंटे का समय लगता है लेकिन अगर आप नए हैं तो आपको 2 से 4 घंटे ज्यादा लग सकते हैं। जितनी जल्दी हो सके अपने दिन की शुरुआत करें। आखिर आपके इस ट्रैक का अंतिम दिन आ ही गया। कराकोरमऔर जंस्कार श्रृंख्लाओं का खूबसूरत ऩजारा आपको मंत्रमुग्ध कर देगा।
रातभर रूकने के बाद ट्रैक पर वापिस आने के लिए तैयार हो जाएं। ये थोड़ा आसान होगा। 14 किमी के रास्ते में आपको 4-5 घंटे का समय लगेगा। आप चाहें तो इसे दो हिस्सों में बांटकर रात को बेस कैंप में आराम भी कर सकते हैं। आप चाहें तो उसी दिन लेह के लिए भी निकल सकते हैं।PC: James Edward Ball