Search
  • Follow NativePlanet
Share
» »सिख धर्म के यश वैभव और शालीनता को बखूबी दर्शाता है अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

सिख धर्म के यश वैभव और शालीनता को बखूबी दर्शाता है अमृतसर का स्वर्ण मंदिर

By Syedbelal

स्वर्ण मंदिर या गोल्डन टेम्पल वाला शहर अमृतसर, पंजाब में स्थित ये शहर सिख समुदाय का अध्यात्मिक और सांस्कृतिक केन्द्र है। यह उत्तर-पश्चिम भारत के सबसे बड़े शहरों में से एक है। इस शहर की स्थापना 16वीं शताब्दी में चौथे सिख गुरू, गुरू रामदास जी ने की थी। इस शहर का नाम यहां के एक पवित्र तालाब अमृत सरोवर के नाम पर पड़ा। 1601 में गुरू रामदास जी के उत्तराधिकारी गुरू अर्जुन देव जी ने अमृतसर का विकास किया।

<span style=तो क्या पहले राजपूत हारे,शिवमंदिर तुड़वाकर हुआ ताजमहल का निर्माण " title="तो क्या पहले राजपूत हारे,शिवमंदिर तुड़वाकर हुआ ताजमहल का निर्माण " loading="lazy" width="100" height="56" />तो क्या पहले राजपूत हारे,शिवमंदिर तुड़वाकर हुआ ताजमहल का निर्माण

उन्होंने यहां एक भव्य मंदिर का निर्माण कार्य भी पूरा किया, जिसकी शुरुआत गुरू रामदास जी ने की थी। आज इस शहर की व्यापारिक गतिविधियां सिर्फ कार्पेट व फैब्रिक, हस्तशिल्प, कृषि उत्पाद, सर्विस ट्रेड और छोटे मशीन व उपकरण तक ही सीमित हो कर रह गई हैं। पर्यटन इस क्षेत्र की एक प्रमुख व्यवसायिक गतिविधि है।

अमृतसर में कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे हैं। इनमें से हरमंदिर साहिब सबसे महत्वपूर्ण है, जिसे स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र होने के कारण यहां विश्व के अलग-अलग हिस्से से हर दिन करीब एक लाख पर्यटक आते हैं। ये कहा जा सकता है कि धर्म के अलावा भी अपनी झोली में बहुत कुछ समेटे हुए है अमृतसर। तो अब देर किस बात की आइये जानें कि अमृतसर आने के बाद क्या क्या कर सकते हैं आप। अमृतसर के होटल

स्वर्ण मंदिर

स्वर्ण मंदिर

स्वर्ण मंदिर को हरमंदिर साहिब के नाम से भी जाना जाता है। यह देश का एक प्रमुख तीर्थस्थल है और यहां पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालू आते हैं। अमृतसर में स्थित इस मंदिर को सबसे पहले 16वीं शताब्दी में 5वें सिक्ख गुरू, गुरू अर्जुन देव जी ने बनवाया था। 19वीं शताब्दी की शुरुआत में महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरुद्वारे की ऊपरी छत को 400 किग्रा सोने के वर्क से ढंक दिया, जिससे इसका नाम स्वर्ण मंदिर पड़ा।

अमृत सरोवर

अमृत सरोवर

अमृत सरोवर एक मानव निर्मित झील है। बताया जाता है कि इस झील का निर्माण सिखों के चौथे गुरू, गुरू रामदास जी द्वारा किया गया था। कहा जाता है कि इस झील का पानी पवित्र है, और इसके अंदर डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

श्री अकाल तख्त

श्री अकाल तख्त

श्री अकाल तख्त का शाब्दिक अर्थ होता है शाश्वत सिंहासन और यह टेंपोरल अथॉरिटी ऑफ खालसा का सर्वोच्च तख्त है। साथ ही यह सिक्खों के अध्यात्मिक गतिविधियों का केन्द्र बिंदू भी है। छठे सिख गुरू, गुरू हरगोविंद जी द्वारा बनवाया गया यह तख्त भारत के पांच तख्तों में सबसे पुराना और सबसे महत्पवूर्ण है। अमृतसर जाने वाले सिक्ख पर्यटकों को हरमंदिर साहिब परिसर में स्थित श्री अकाल तख्त जरूर जाना चाहिए। सिक्ख समुदाय के प्रभुसत्ता का प्रतीक श्री अकाल तख्त एक पांच तल्ला संरचना है। इसमें संगमरमर जड़े हुए हैं और एक सोने की वर्क वाला गुंबद भी है।

केंद्रीय सिख संग्रहालय

केंद्रीय सिख संग्रहालय

सिख धर्म को समर्पित इस ख़ास संग्रहालय में आपको धर्म से जुडी कई महत्त्वपूर्ण वस्तुएं देखने को मिलेंगी। साथ ही इस संग्रहालय में आपको पेंटिंग के माध्यम से गुरुओं के जीवन की भी एक झलक देखने को मिलेगी। यहां प्रवेश निशुल्क है तो अब जब भी आप अमृतसर की यात्रा के बारे में सोचें तो यहां अवश्य आएं।

घंटा घर

घंटा घर

जैसे ही आप गुरूद्वारे में प्रवेश करेंगे आपको विक्टोरियन शैली में निर्मित घंटा घर दिखेगा जो कि एक बेहद सुंदर संरचना है। गुरुद्वारा प्रशासन द्वारा यहां आने वाले भक्तों से अनुरोध किया जाता है कि वो इसी स्थान पर अपने पैर धोएं और गुरुद्वारा परिसर को साफ़ रखें।

लंगर

लंगर

लंगर यहां का एक प्रमुख आकर्षण है। आपको बताते चलें कि यहाँ लंगर गुरूद्वारे में पूजा के बाद मिलने वाला प्रसाद होता है। ज्ञात हो कि लंगर में दिया जाने वाला खाना शुद्ध शाकाहारी होता है जिसे बड़ी ही साफ़ सफाई के साथ बनाया और परोसा जाता है।

बैसाखी

बैसाखी

बैसाखी का शुमार उत्तर भारत में मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख पर्वों में है। मुख्यतः इस त्योहार को पंजाब में सिख समुदाय द्वारा बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। आपको बताते चलें कि बैसाखी को सिख धर्म के अलावा हिंदू और बौद्ध धर्म के लोग भी मानते हैं। पंजाब में बैसाखी खरीफ की फसल के पकने का प्रतीक है।

नियम

नियम

यहां आने वाले लोगों को इस बात के लिए पूर्णतः निर्देशित किया जाता है कि वो गुरूद्वारे परिसर की साफ़ सफाई और पवित्रता का पूरा ख्याल रखें। गुरुद्वारा परिसर में जाने के कुछ नियम इस प्रकार हैं। गुरूद्वारे में जूते उतार के और पैर धो के प्रवेश करें। गुरूद्वारे में आने वाले लोग सर ढककर आएं। किसी भी तरह का नशा और मांस मछली परिसर में वर्जित है। आने वाले पर्यटक फोटोग्राफी केवल बहार से कर सकते हैं गुरुद्वारा परिसर के अंदर फोटोग्राफी वर्जित है।

और क्या क्या देख सकते हैं

और क्या क्या देख सकते हैं

स्वर्ण मंदिर देखने और पवित्र झील में नहाने के बाद आप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की एक बेहद दुखद घटना की याद ताजा कराने वाले जलियांवाला बाग की यात्रा अवश्य करें। आज भी इस स्थान पर आपको उस नरसंहार में इस्तेमाल हुई गोलियों के निशान दिखेंगे।

माता मंदिर और राम तीर्थ

माता मंदिर और राम तीर्थ

यहां आने के बाद आप माता मंदिर और राम तीर्थ अवश्य देखें। रानी का बाग में स्थित मंदिर माता लाल देवी 20वीं शताब्दी की एक संत माता लाल देवी को समर्पित है। उनके श्रद्धालू उन्हें पुज्य माता जी कह कर पुकारते थे। राम तीर्थ के बारे में ऐसा माना जाता है कि श्री राम तीर्थ मंदिर ऋषि वाल्मीकि का प्राचीन आश्रम है। भगवान राम को समर्पित यह मंदिर अमृतसर से 11 किमी दूर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब राम ने सीता को छोड़ दिया था तब ऋषि वाल्मीकि ने उन्हें इस आश्रम में आश्रय दिया था।

शॉपिंग और खानपान

शॉपिंग और खानपान

धर्म, मंदिर और गुरुद्वारों के अलावा शॉपिंग और खानपान भी यहां का मुख्य आकर्षण है। आप यहां आकर सिख धर्म से जुडी कई महत्त्वपूर्ण चीजों की खरीदारी कर सकते हैं। खानपान के मामले में भी ये शहर अपनी ख़ास पहचान रखता है। यहां होते हुए लस्सी वाले चौक की यात्रा अवश्य करें और वहां लस्सी अवश्य ट्राई करें।

तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X