माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। यह डेस्टिनेशन अपनी प्राकृतिक सुंदरता, आरामदायक जलवायु, हरी भरी पहाड़ियों, निर्मल झीलों, वास्तुशिल्पीय दृष्टि से सुंदर मंदिरों और अनेक धार्मिक स्थानों के लिए जाना जाता है । यह स्थान जैन धर्म के मानने वालों का भी प्रसिद्ध तीर्थ गंतव्य है। यह हिल स्टेशन अरावली पर्वत की सबसे ऊँची चोटी पर 1220 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। Must Read : तो क्या प्राचीन शिव मंदिर तोड़ने के बाद हुआ था ताजमहल का निर्माण
माउंट आबू अपने शानदार इतिहास, प्राचीन पुरातात्विक स्थलों और अद्भुत मौसम के कारण राजस्थान के पर्यटन के आकर्षणों में सबसे बड़ा है। अधिकांशतः गर्मियों में और मानसून के दौरान यहाँ प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक और भक्त आते हैं। पिछले दशकों में यह हिल स्टेशन गर्मियों और हनीमून के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है। तो यदि अब तक आप माउंट आबू की खूबसूरती से महरूम थे तो ये लेख आपके ही लिए है। HOTEL : माउंट आबू के सस्ते होटल
आज इस लेख के माध्यम से हम आपको अवगत कराने वाले हैं माउंट आबू के कुछ चुनिंदा टूरिस्ट अट्रैक्शनों से। तो अब देर किस बात की स्लाइड्स खोलिए और जानिये माउंट आबू में क्या क्या देख सकते हैं आप।
नक्की झील
नक्की झील माउंट आबू का एक अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जहाँ अनेक पर्यटक और स्थानीय लोग आते हैं। यह 1200 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और भारत की एकमात्र कृत्रिम झील है। यह एक सुंदर और शांत स्थान है जिसकी पृष्ठभूमि में सुरम्य पहाडियाँ हैं। पर्यटक गाँधी घाट का भ्रमण भी कर सकते हैं जो महात्मा गाँधी की याद में बनाया गया था। 12 फरवरी 1948 को उनकी राख इस झील में विसर्जित की गई।
सनसेट पॉइंट
सनसेट पॉइंट माउंट आबू का शाम के पर्यटन का प्रमुख आकर्षण है जो नक्की झील के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। इस स्थान की पृष्ठभूमि में सुंदर पहाड़ हैं, जो देखने में सुंदर लगते हैं, विशेषत: सूर्यास्त के समय। गर्मियों के मौसम में यह स्थान पर्यटन का एक लोकप्रिय आकर्षण रहता है क्योंकि बड़ी संख्या में यात्री इस स्थान के आरामदायक ठंडे परिवेश का आनंद उठाने के लिए यहाँ आते हैं।
अंचलगढ़
अंचलगढ़ राजमाची में स्थित एक छोटा गाँव है। यह अंचलगढ़ किले के लिए प्रसिद्द है जो माउंट आबू से 11 किमी. की दूरी पर स्थित है। वे पर्यटक जो इस हिल स्टेशन की सैर के लिए आते हैं वे अंचलगढ़ किले के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण यहाँ अवश्य आते हैं। मूल रूप से परमार वंश के राजाओं द्वारा बनाए गए इस किले का पुनर्निर्माण ईसा पश्चात 1452 में मेवाड़ के राजा राणा कुम्भा द्वारा किया गया।
ब्रह्म कुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय
माउंट आबू में स्थित ब्रह्म कुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय विश्व प्रसिद्द सामाजिक - आध्यात्मिक शैक्षणिक संस्था है। यह विश्वविद्यालय ब्रह्म कुमारी विश्व आध्यात्मिक संस्था के प्रशासन के अधीन है। इसकी स्थापना 1936 में विश्व शान्ति और भाईचारे का प्रचार करने के उद्देश्य से की गई। इस विश्वविद्यालय में कई पाठ्क्रम जैसे ध्यान, योग, अध्यात्म आदि सिखाए जाते हैं। ब्रह्म कुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के 132 देशों में लगभग 8500 केंद्र हैं। विश्वभर में इसके 8,00,000 सदस्य हैं।
दिलवारा जैन मंदिर
11 वीं और 13वीं शताब्दी में बने हुए दिलवारा जैन मंदिर माउंट आबू के ऐसे पर्यटन स्थल हैं, पर्यटकों को जिनका भ्रमण अवश्य करना चाहिए। ये मंदिर सफेद संगमरमर की नक्काशियों से बने हैं। ये मंदिर पाँच नाज़ुक नक्काशियों वाले मंदिरों से मिलकर बने हैं और संपूर्ण राजस्थान में ये सबसे सुंदर माने जाते हैं। सभी पाँच मंदिर एक दूसरे से भिन्न हैं जिनमें से प्रत्येक का नाम राजस्थान के एक गाँव के नाम पर रखा गया है। ये पाँच मंदिर हैं विमल वसाही मंदिर, लुना वसाही मंदिर, पीथालहर मंदिर, खरतार वसाही मंदिर और श्री महावीर स्वामी मंदिर। बड़ी संख्या में जैन भक्त यहाँ तीर्थंकरों (संत) के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने यहाँ आते हैं।
टोड रॉक
टोड रॉक माउंट आबू का एक जाना माना पर्यटन स्थल है जो नक्की झील के पास स्थित एक बड़ी चट्टान है। यह पहाड़ी शहर से मुख्य ट्रेकिंग के रास्ते पर स्थित है। इस बुलंद चट्टान का आकार मेंढक से मिलता है अत: इसे टोड रॉक कहा जाता है।इसके अलावा इस टोड रॉक के आसपास कई चट्टानी संरचनाएँ हैं जिनमें प्रमुख रूप से कैमल रॉक, नंदी रॉक और नून रॉक आते हैं। ये चट्टानें ट्रेकिंग के लिए उपयुक्त है। इस चट्टानों के ऊपर पहुँचने पर ट्रैकर्स (पदयात्री) नक्की झील और उसके परिवेश का सुंदर दृश्य देख सकते हैं।
माउंट आबू वन्य जीव अभयारण्य
इस हिल स्टेशन की सैर के लिए आने वाले पर्यटकों के लिए माउंट आबू वन्य जीव अभयारण्य एक अवश्य देखने योग्य स्थान है। यह अभ्यारण्य अरावली पर्वत श्रेणियों में स्थित है और यह 19 किमी. लंबे और 5 - 8 किमी. चौड़े पठार पर स्थित है। 1960 में इसे वन्य जीवन अभ्यारण्य घोषित किया गया। यहाँ पर्यटक विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीवजन्तु देख सकते हैं जो प्रकृति प्रेमियों और वन्य जीवन उत्साहियों के लिए एक दावत के समान है।
फ़ूड
फ़ूड या भोजन के मामले में भी ये स्थान अपने आप में ख़ास है। यहां जहां एक ओर आप शुद्ध राजस्थानी क्यूज़ीन का लुत्फ़ ले सकते हैं तो वहीं दूसरी तरफ आपको यहां भारत के अलग अलग राज्यों का भी भोजन आसानी से मिल जाएगा। वैसे हम आपको यही सलाह देंगे कि यहां आने के बाद लोकल राजस्थानी थाली का जायका अवश्य लें जिसका स्वाद लाजवाब होता है।