यदि आपने 1980 से 1990 का दौर देखा हो और आप दूरदर्शन पर फ़िल्में, चित्रहार और रंगोली जैसे कार्यक्रमों के शौक़ीन रहे हों तो आपने उस समय कुछ सुना हो या न सुना हो, मगर एक नाम हमेशा ही आपके कौतुहल का विषय रहा होगा। ये नाम है दरियागंज का, जी हां वही दरियागंज जहां की कोतवाली में पूरी दिल्ली के गुमशुदा लोगों की रिपोर्ट दर्ज कराई जाती थी। आपको बता दें कि दरियागंज का नाम दो शब्दों दरिया और गंज से मिल के बना है जहां दरिया से यमुना नदी को सम्बोधित किया गया है।
ज्ञात हो कि पुरानी दिल्ली के अंतर्गत आने वाला ये स्थान हमेशा से ही लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है। दरियागंज सेंट्रल दिल्ली जिले के तीन उप विभाजनों में से एक है,दिल्ली गेट से शुरू होता हुआ ये नेताजी सुभाष रोड और लाल किले तक फैला हुआ है। आपको बताते चलें कि पुरानी दिल्ली का शॉपिंग और कॉमर्शियल हब होने के कारण आज दरियागंज उन लोगों के लिए एक बेहद महत्त्वपूर्ण स्थान है जो लाल किले के पास, चांदनी चौक और जामा मस्जिद के आस पास के हिस्सों में रह रहे हैं।
सर्वाधिक नेत्र चिकित्सालयों और अस्पतालों के कारण आपको दरियागंज में हर समय भारी भीड़ भाड़ और ट्रैफिक जाम का सामना करना पड़ेगा। यदि आप किताबों और साहित्य के शौक़ीन हैं और आपको किताबों कि खुशबू से प्यार है और नहीं रह सकते तो ये स्थान आपके ही लिए है। PICS : दिल्ली की चुनिंदा तस्वीरें
यहां हर रविवार फुटपाथ पर किताब बाज़ार लगता है जहां से आप मुनासिब दामों में अपनी पसंद की किताब खरीदकर उसे पढ़ सकते हैं। इस किताब बाज़ार की ख़ास बात ये है कि रविवार को 2 किलोमीटर के क्षेत्र में आपको किताबें ही किताबें देखने को मिलेंगी। तो चलिए अब देर किस बात की कुछ तस्वीरों के जरिये दिखाते हैं आपको कि असल में कैसा है दरियागंज।
दरिया गंज में एक भीड़भाड़ भरी दोपहर
दरिया गंज में एक भीड़भाड़ भरी दोपहर में लिया गया एक खूबसूरत फोटो। आप इस तस्वीर के अंदर इलाके की झलक को बखूबी देख सकते हैं साथ ही ये भी महसूस कर सकते हैं कि ये स्थान हमेशा व्यस्त रहता है।
कहां है दरियागंज
आप इस नक़्शे में दिल्ली के इस प्राचीन मगर आधुनिक स्थान के दर्शन कर सकते हैं। दरियागंज सेंट्रल दिल्ली जिले के तीन उप विभाजनों में से एक है,दिल्ली गेट से शुरू होता हुआ ये नेताजी सुभाष रोड और लाल किले तक फैला हुआ है।
डॉ. श्रॉफ नेत्र अस्पताल, दिल्ली
ये तस्वीर है दरियागंज के प्रसिद्ध डॉ. श्रॉफ नेत्र अस्पताल की आपको बता दें कि इस अस्पताल की स्थापना 1926 में की गयी थी और इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को निशुल्क नेत्र चिकित्सा देना था।
गुमशुदा तलाश केंद्र
इस तस्वीर से तो आप वाकिफ़ ही होंगे यदि आपने 1980 से 1990 का दौर देखा हो और आप दूरदर्शन पर फ़िल्में, चित्रहार और रंगोली जैसे कार्यक्रमों के शौक़ीन रहे हों तो आपने उस समय कुछ सुना हो या न सुना हो, दरयागंज का नाम और ये तस्वीर दोनों आपके आकर्षण का केंद्र रही होगी।
शाहजहांनाबाद
दरियागंज का हिस्सा पुरानी दिल्ली के पास स्थित शाहजहांनाबाद से मिला हुआ है। ये एक ऐतिहासिक स्थान है तो यदि आप दिल्ली में हैं तो कई चीज़ों को एक साथ करने के लिए दरियागंज की सैर अवश्य करें।
किताब बाजार
यदि आप किताबों और साहित्य के शौक़ीन हैं और आपको किताबों कि खुशबू से प्यार है और नहीं रह सकते तो ये स्थान आपके ही लिए है। यहां हर रविवार फुटपाथ पर किताब बाज़ार लगता है जहां से आप मुनासिब दामों में अपनी पसंद की किताब खरीदकर उसे पढ़ सकते हैं। इस किताब बाज़ार की ख़ास बात ये है कि रविवार को 2 किलोमीटर के क्षेत्र में आपको किताबें ही किताबें देखने को मिलेंगी।